अच्छा लिखनेवाले मुझे नज़र आ जाते हैं और उनको सबसे मिलवाना मेरी टिप्पणी है और कहने की ज़रूरत नहीं कि उनके लेखन से मैं प्रभावित हूँ ...
प्रतिभा कटियार
लौटाया जाना जरूरी है
हालांकि लौटाये जाने पर भी
सब कुछ लौटता नहीं फिर भी
उधार की चीजें लौटाया जाना जरूरी है
नहीं लौटता वो रिश्ता
जो चीजों की उधारी के दरम्यिान
कायम हो जाता है
हमारी जरूरतों से
पढ़ी हुई किताबों के लौटाये जाने पर
नहीं लौटते पढ़े हुए किस्से
किताब के पन्नों पर चिपकी,
मुड़ी ठहरी हमारी नजर
हमारी उंगलियों की छुअन...
देर तक उसका सीने पे पड़े रहना
किताब के पन्नों में भर गई हमारी ठंडी सांसें
मांगी गई स्कूटर लौटाये जाने पर
वापस नहीं लौटता वो सफर
जो उधारी के दौरान तय किया गया हो
उधार के स्कूटर पर बैठकर मिलने जाना महबूबा से
उसका सहमकर बैठना पीछे वाली सीट पर
रास्ते में सफर के दौरान उग आये नन्हे स्पर्श
और रक्ताभ चेहरा, सनसनाहट
नहीं लौटती स्कूटर लौटाने के साथ...
महंगे चाय के कप लौट जाते हैं पड़ोसियों के
लेकिन नहीं लौटती उन कपों को ट्रे में रखकर
लड़केवालों के सामने ले जाने की पीड़ा
और भीतर ही भीतर टूटना कुछ बेआवाज
लौटाये गये म्यूजिक एलबम के साथ
नहीं लौटता उम्र भर का वो रिश्ता
जो सुनने के दौरान कायम हुआ
उस संगीत से
लौटाये जाने पर नहीं लौटते वो आंसू
जो उधार के सुख से जन्मे थे
फिर भी उधार ली हुई चीजों का
लौटाया जाना जरूरी है...
सुंदर...
जवाब देंहटाएंअति सुंदर....
प्रतिभा कटियार जी की बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंGazzzzzaaaaab
जवाब देंहटाएंBahut sundar
जवाब देंहटाएंशानदार ... :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।इस तरह तो न देखा था
जवाब देंहटाएंबहुत खूब । इस तरह.तो न देखा था
जवाब देंहटाएंबहुत खूब । इस तरह.तो न देखा था
जवाब देंहटाएंबहुत खूब । इस तरह.तो न देखा था
जवाब देंहटाएंसुंदर !
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