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शनिवार, 7 नवंबर 2015

आज का पंचतंत्र - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक टोपी बेचने वाला दरख्त के नीचे आराम कर रहा था कि अचानक कुछ बंदर उसकी सारी टोपियाँ उठा कर ले गए!

इन्सान की नक़ल करते बंदर का ख्याल आया तो आदमी ने अपनी टोपी उतार के नीचे फेंकी तो बंदरो ने भी वैसा ही किया!

और आदमी अपनी टोपियाँ उठा के चला गया घर जाकर उसने ये वाकया अपने पोते को सुनाया!

इत्तिफाक से सालों बाद उसी आदमी का पोता भी टोपियाँ बेचते हुए उस दरख्त के नीचे आ बैठा और बंदर फिर टोपियाँ ले गए!

उसे अपने दादा की सुनाई हुई कहानी याद आई और उसने अपने सिर की टोपी उतार कर नीचे फ़ेंक दी!

एक बन्दर पेड़ से नीचे आया उसने टोपी को उठाया और आदमी को एक थप्पड़ मार कर बोला!

अबे तू क्या सोचता है क्या हमारा दादा हमको कहानी नही सुनाता होगा!

अब आप सोच रहे होंगे कि असल कहानी तो कुछ और ही थी ... अरे साहब जब ज़माना इतना बदल गया तो क्या कहानी मे बदलाव नहीं आएगा !!??

सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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नीर नयनों में भर आये... !!

इस दीपावली

जीवन जैसा चेहरा

यूँ भी दिवाली ...

नुक्कड़ वार्ता

ऑफिस में रखे इन बातो का ध्यान !

आजादी की पहली लड़ाई

वैसे लोग आजकल बेवकूफ कहलाते हैं

ऐसे वैसों को दिया है, कैसे कैसों को दिया है

लिट्टी चोखा या बाटी चोखा बनाने की विधि

सपनो का घर

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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

9 टिप्‍पणियां:

  1. लज़ीज़ खाना वाली लिंक बढ़िया है ...
    और जोक के तो क्या कहने !॥मस्त

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  2. Waah...maja aa gaya kahani padhkar.
    Meri rachna ko shamil karne ke liye dhnyawad aur aabhar

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  3. सभी अच्छी पोस्टो के लिंक !
    ब्लॉग बुलेटिन पर डायनामिक ब्लॉग की पोस्ट के लिंक को शामिल करने पर आपका आभार

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  4. अच्छी चर्चा ......
    मेरी कविता "सपनों का घर" को स्थान देने के लिए आभार |

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  5. प्रकाश उत्सव की बधाई..सुंदर लिनक्स से सजा ब्लॉग बुलेटिन..आभार !

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  6. पंचतंत्र के बहाने अच्छी खिंचाई के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  7. सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति
    मेरी रचना'नुक्कड़ वार्ता'को स्थान देने के लिए आभार!

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