2014 के पन्नों से खेलते हुए
हम उतरे थे 2015 के पन्नों पर
हर किसी ने लिखा-जीया
जीया-लिखा
थोड़ा प्यार
थोड़ा इंतज़ार
थोड़ी शिकायतें
ढेरों मनुहार
कोई अकबर बना
कोई सलीम
इब्राहम लोदी,औरंगजेब भी उभरे
सीता,अहिल्या,यशोधरा,यशोदा
माँ दुर्गा का आशीष ले चलती गईं
शूर्पणखा,मंथरा की कहानी भी चलती गई
रावण दशहरे में विरोध-स्वीकार शब्द सुनता रहा
कोयल कूक गई
ऋतुराज बसंत भी उतरा
मौसम कुछ कम
कुछ अधिक ... उतरता गया
देशभक्त देशभक्ति को दुहराते रहे
कवि आये
कहानीकार,उपन्यासकार आये
अनकही बातों को कहने की कोशिश करते गए
....
मैं ब्लॉग पर गई
ट्विटर,फेसबुक,गूगल के चक्कर लगाती गई
आँखों को भिगोया
निचोड़ा
और 2015 के शेष क़दमों पर रख दिया
सिलसिला बना रहे
आप सब आमंत्रित हैं ब्लॉग बुलेटिन पर
ताकि आपका रचयिता मन कुछ और रचे
नए वर्ष के आगमन पर ....
बहुत खूब... फलती फूलती रहे ब्लोगिंग
जवाब देंहटाएंशुभारम्भ ...और स्वागत नए ब्लॉगों का ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता पढ़वाई..
जवाब देंहटाएंबाकी लिंक्स पर जा रही हूँ..
अच्छी ही होंगी...
आपका चयन हरदम श्रेष्ठ रहता है
सादर
सिलसिला बना रहे
जवाब देंहटाएंआप सब आमंत्रित हैं ब्लॉग बुलेटिन पर
ताकि आपका रचयिता मन कुछ और रचे
नए वर्ष के आगमन पर ....
.. सच सिलसिला चलते रहना चाहिए। . उत्साह के लिए प्रोत्साहन जरुरी घुट्टी है। .
सुन्दर व सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
Hamesha ki tarah lajwaaaab krti prastuti.....
जवाब देंहटाएंSadar
बहुत खूबसूरत प्रस्तावना! इस श्रृंखला की पहचान आप से है! और कई ब्लॉग्स की पहचान इस श्रृंखला से!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तावना! इस श्रृंखला की पहचान आप से है! और कई ब्लॉग्स की पहचान इस श्रृंखला से!
जवाब देंहटाएंइस श्रृंखला का तो सभी को इंतज़ार रहता है | जय हो रश्मि दीदी |
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