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गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हैं... (ब्लॉग बुलेटिन)

नमस्कार मित्रो,
विगत कुछ समय से राजनैतिक तुष्टिकरण के चलते सामाजिक सौहार्द्र बनने-बिगड़ने की स्थिति में आता जा रहा है. कभी मूर्ति-विसर्जन के नाम पर, कभी मंदिर से लाउडस्पीकर उतारने के नाम पर, कभी गौ-माँस के नाम पर, कभी शोभा यात्रा के नाम पर, कभी सड़क पर नमाज के नाम पर, कभी मंदिर में आरती के नाम पर. ये तो चंद बिन्दु हैं मगर देखा जाये तो आज देश के शहर-शहर में, नगर-नगर में, गाँव-गाँव में इस तरह के ज्वलनशील, संवेदनशील विषय तैर रहे हैं. इनको समझकर उनके निदान की आवश्यकता है, ये जानने-समझने की आवश्यकता है कि ऐसी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के पीछे का मंतव्य क्या है, मंशा क्या है, किसका हाथ है.

बहरहाल, इन सब पर विचार करना, स्थितियों को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करना हमारा-आपका दायित्व बनता है. आइये इस ओर कार्य करे, हमारे-आपके दिल से दूर जा रहे लोगों को वापस दिल तक लाने का कार्य करें. क्या हम सब ऐसा कर सकेंगे? क्या हम सब राजनैतिक खिलाड़ियों के हाथों मात्र मोहरा बने रहेंगे? सोचिये, विचारिये और लीजिये आज की बुलेटिन का आनंद, हमारी एक कविता के साथ.....

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पड़े थे खंडहर में पत्थर की मानिंद,
उठाकर हमने सजाया है.
हाथ छलनी किये अपने मगर,
देवता उनको बनाया है.
पत्थर के ये तराशे बुत
हम ही को आँखें दिखाने लगे हैं,
कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हैं.

बदन पर लिपटी है कालिख
सफेदी तो बस दिखावा है,
भूखे को रोटी, हर हाथ को काम,
इनका ये प्रिय नारा है.
ये अपना पेट भरने को
मुँह से निवाले छिना रहे हैं,
कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हैं.

सियासत का बाज़ार रहे गर्म
कोशिश में लगे रहते हैं,
राम-रहीम के नाम पर
उजाड़े हैं जो
उन घरों को गिनते रहते हैं.
नौनिहालों की लाशों पर गुजर कर
ये अपनी कुर्सियाँ बचा रहे हैं,
कहाँ से चले थे, कहाँ आ गए हैं.

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5 टिप्‍पणियां:

  1. मंशा एक ही है किसी का घड़ा फोड़ कर अपने पानी भरने का इंतजाम करने की तीव्र अभिलाषा होना । सुंदर बुलेटिन ।

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  2. अब हमारी 'भावनायेँ' बहुत जल्द आहात होने लगी है ... या यह कहें कि अब हम जल्द भड़काने मे आ जाते हैं |

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  3. क्षुद्र स्वार्थ पूर्ति के लिए समाज को बांटना राजनीति की कुत्सित नीति है जो अंग्रेजों के समय से चली आ रही है लेकिन दुःख होता है आज भी वही मानसिकता घर किये हुए है ....

    बहुत अच्छी सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति ...

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  4. सेंगर जी, ब्लॉग जगत की अच्छी सैर कराई है आपने।
    बुलेटिन में 'हिन्दी वर्ल्ड' को शामिल करने का आभार।

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!