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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2015

अभी लिखे रास्ते और भी हैं … 2







ब्लॉग - जहाँ अपनी दस्तकों के साथ हर रचनाकार सबको पढता था, कितना सन्नाटा है अब ! 
चाह लो तो रौनकें आज भी भावनाओं की नदी जैसी बह रही है, जाओ तो नदी से मिलने   ..
..... 

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ संध्या दीदी
    अच्छी रचनाओं से अवगत करवाया आपने
    सादर

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  2. ब्लॉग संकट पर दो लाइनें लिखी थीं एक बार ! आप भी मुलाहिजा फरमाएं --
    हैं दरो दीवार मायूसी में गुम
    दोस्त भी मिलते हैं अब चौपाल पर !
    सुन्दर सार्थक बुलेटिन !

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  3. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!