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मंगलवार, 18 अगस्त 2015

सबकी पहचान है





गड़ेरिया बन मैं भेड़ों को नहलाता रहा 
नुकीले सिंघों का नुकीलापन 
सहलाकर कम करता रहा 
एक साथ ले जाना घुमाने 
इकट्ठे ले आना 
आज तक नहीं जान सका 
कौन अधिक प्यारा रहा ! … 













5 टिप्‍पणियां:

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