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सोमवार, 17 अगस्त 2015

मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी
मदन लाल ढींगरा का भारतवासियों के नाम ऐतिहासिक पत्र
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मदनलाल ढींगरा (१८८३-१९०९) : युवा क्रान्तिकारी
"प्यारे देशवासियों ,
मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मैंने एक अंग्रेज का खून बहाया है और वह इसलिये बहाया है कि मैं भारतीय देशभक्त नौजवानों को अमानवीय रूप से फाँसी के फंदों पर लटकाए जाने और उन्हें आजन्म कालेपानी की सजा दिये जाने का बदला ले सकूँ । इस प्रयत्न में अपनी अन्तरात्मा के अतिरिक्त मैंने किसी और से परामर्श नहीं लिया और अपने कर्तव्य के अतिरिक्त किसी अन्य से सांठ - गांठ नहीं की । मेरा विश्वास है कि जिस देश को संगीनों के बल पर दबाकर रखा जाता हो , वह हमेशा ही आजादी की लडाई लडता रहता है । जिस देश के हथियार छीन लिये गए हों , वह खुली लडाई लडने की स्थिति में नहीं होता । मैं खुली लडाई नहीं लड सकता था , इस कारण मैंने आकस्मिक रूप से आक्रमण किया । मुझे बंदूक रखने की मनाही थी , इस कारण मैंने पिस्तौल चला कर आक्रमण किया ।
 
हिन्दू होने के नाते मैं यह विश्वास करता हूँ कि मेरे देश के प्रति किया गया अपराध ईश्वर का अपमान है । मेरे मातृभूमि का कार्य ही भगवान राम का कार्य है । मातृभूमि की सेवा ही भगवान श्रीकृष्ण की सेवा है । मुझ जैसे धनहीन और बुद्धिहीन व्यक्ति के पास अपने रक्त के अतिरिक्त मातृभूमि को समर्पित करने के लिये और क्या था , इसी कारण मैं मातृ - देवी पर अपनी रक्ताञ्जली अर्पित कर रहा हूँ । भारतवर्ष के लोगों को सीखने के लिये इस समय एक ही सबक है और वह यह है कि मृत्यु का आलिंगन किस प्रकार किया जाए और यह सबक सिखाने का एक ही तरीका है कि स्वयं ही मर कर दिखाया जाए , इसीलिये मैं मर कर दिखा रहा हूँ और अपनी शहादत पर मुझे गर्व है । यह पद्धति उस समय तक चलती रहेगी जब तक पृथ्वी के धरातल पर हिन्दू और अंग्रेज जातियों का अस्तित्व है । ( पराधीनता का यह अस्वाभाविक सम्बन्ध समाप्त हो जाए तो अलग बात है । )
 
ईश्वर से मेरी एक ही प्रार्थना है कि वह मुझे नया जीवन भी भारत - माता की गोद में ही प्रदान करे और मेरा वह जीवन भी भारत - माता की आजादी के पवित्र कार्य के लिये समर्पित हो । मेरे जन्म और बलिदान का यह क्रम उस समय तक चलता रहे जब तक भारत - माता आजाद न हो जाए । मेरी मातृभूमि की आजादी मानवता के हित - चिंतन और परम - पिता परमेश्वर के गौरव - संवर्द्धन के लिये होगी ।
वन्दे मातरम् !! "
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आज भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी - मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते है !
वन्दे मातरम् !!!
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर बुलेटिन शिवम जी । आभारी है 'उलूक' भी सूत्र 'कलाकारी क्यों एक कलाकार से मौका ताड़ कर ही की जाती है" को जगह मिलने पर ।

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  2. बहुत सुन्दर बुलेटिन, आपके आभारी हैं

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  3. सुन्दर बुलेटिन।
    मेरी रचना को इसमें शामिल करने के लिए आभार !

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