प्रिये ब्लॉगर मित्रगण नमस्कार,
आज की कड़ियाँ
अमर शहीद भगवती चरण वोहरा जी की १११ वीं जयंती - शिवम् मिश्रा
उन खतों का मुकम्मल पता रकीब की मज़ार है - पूजा उपाध्याय
स्पर्श - रंजना भाटिया
तुम्हारी मनमर्जियां मेरी अमानत हैं - प्रतिभा कटियार
कहीं बच्चे भी कभी बड़े होते हैं ? - वंदना गुप्ता
एक ग़ज़ल : तेरे बग़ैर भी - आनंद पाठक
भगीरथ से - ओंकार
सरोगेट कंट्री - सीमा आज़ाद
कोई छीलता जाता है - रश्मि शर्मा
चाँद - चेतन रामकृष्ण
एक साँप के प्रति - निहार रंजन
बहाने कुछ न लिखने के - निवेदिता श्रीवास्तव
आज के लिए इतना ही अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए - नमस्कार
नमन और आभार
धन्यवाद्
तुषार राज रस्तोगी
जय बजरंगबली महाराज | हर हर महादेव शंभू | जय श्री राम
शहर से बाहर होने के कारण पिछले हफ्ते बुलेटिन लगा पाने में असमर्थ रहा उसका दिल से खेद है परन्तु आज फिर से आपके सामने हाज़िर हूँ एक छोटा सा लेख लेकर जो जीवन की सच्चाई से जुड़ा है। आशा है आपको मेरा लेख प्रभावित करेगा और थोड़ा बहुत सोचने पर विवश भी करेगा। तो पेश है दिल की बात शब्दों के साथ :-
इंसान को कभी भी किसी की मजबूरियों पर हँसना नहीं चाहियें क्योंकि कोई भी प्राणी इन्हें स्वयं खरीद कर नहीं लाता। मजबूरी इंसान से क्या करवाये कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए वक़्त की मार से हमेशा डर कर रहना चाहियें क्योंकि बुरा वक़्त किसी को कभी बताकर नहीं आता और ना ही अच्छा वक़्त कभी किसी से पूछ कर आता है। आपकी अक्ल कितनी भी तेज़ क्यों ना हो, आप कितने ही अक्लमंद क्यों ना हों परन्तु जब तक आपका नसीब आपकी अकल का साथ नहीं देगा ज़िन्दगी में जीत हासिल कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ही होगा। बीरबल भले ही बेहद अक्लमंद था परन्तु इतना होशियार होने के बावजूद कभी भी बादशाह नहीं बन सका। इसलिए तो कहते हैं नसीब से कोई नहीं लड़ सकता। मिलता उतना ही है जितना नसीब में लिखा होता है फिर चाहे कितने ही घोड़े क्यों ना खोल लो। व्यक्ति सिर्फ मेहनत कर सकता है, कोशिश कर सकता है, अपना कर्म कर सकता है परन्तु उसका फल मिलना या ना मिलना यह किस्मत पर निर्भर करता है। किस्मत से कोई भी व्यक्ति पार नहीं पा सकता। बातें बनाना बहुत ही आसान काम है परन्तु उन्ही बातों को साकार करना बहुत ही कड़ा काम है। बिना परिश्रम और लगन के कोई भी बनाई गई बात साबित नहीं होती है इसलिए हमेशा बोलने से पहले तोलना सीखिए और कभी भी व्यर्थ ना बोलिए क्योंकि ना तो तुम अपने आप को गले लगा सकते हो और ना तुम खुद अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो और ना ही इस दुनिया से रुखसत हो सकते हो। जीवन में किसी ना किसी अपने की ज़रुरत हमेशा होती है, आपको समझने के लिए और विपरीत हालातों में आपके साथ उनका मुकाबला करने के लिए, आपका हाथ थाम कर आपके साथ खड़े रहने के लिए या फिर आपको हौंसला देने के लिए। एक दुसरे के लिए जीने का नाम ही ज़िन्दगी है इसलिए वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे दिल से चाहते हैं। कोई भी रिश्ता पैसों का मोहताज नहीं होता क्योंकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन को अमीर ज़रूर बना देते हैं। इसलिए अपना वक़्त अपने अपनों को दीजिये और अपने रिश्तों को मज़बूत बनाइये। सभी को आदर, सम्मान और प्यार देने से ही प्यार, दुलार, अपनापन, यश, कीर्ति, सम्मान मिलता है और जब यह सब मिलता है तब ही दुनिया आबाद रहती है। ये बातें हैं तो बहुत छोटी-छोटी पर ज़िन्दगी में मायने बहुत रखती हैं।
आप सोचते होंगे कि आज यह सब बातें क्यों कर रहा हूँ मैं? तो बताना चाहूँगा कि आज आदरणीय, हम सबके प्यारे और भारत के बेटे स्वामी विवेकानन्द जी की ११३ वीं पुण्यतिथि है जो अपने जीवन काल में युवा शक्ति के भी प्रतीक रहे हैं। साथ ही अमर क्रांतिकारी विचारक और संगठनकर्ता भाई भगवती चरण वोहरा की १११वीं जयंती भी आज के दिन ही है। मैं अपने इस लेख के द्वारा भारत के इन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ जिन्होंने अपने जीवनकाल में, अपनी बातों में, अपने इरादों में, अपनी भावनाओं में, अपने विचारों में सदैव देशवासियों को देशभक्ति, मानवता, प्रेम, आध्यात्म, दर्शन, संयम, नैतिकता, भाईचारा, सदभाव, निस्वार्थ सेवा, और शांति का ही सन्देश दिया है। भारत माता के ऐसे कर्मठ बेटों को मेरा शत शत नमन और उम्मीद करता हूँ अपने देश का हर प्राणी ऐसा ही गुणवान बने, सत्य और प्रेम के मार्ग पर चले और सभी के लिए एक मिसाल कायम करे। यदि आज का युवावर्ग ऐसी महान पुण्यआत्माओं की शिक्षा का दस प्रतिशत भी ग्रहण कर जीवन में उतार ले तो भारत की समस्त समस्याओं का समाधान चुटकियों में हो जाए। इसलिए मेरे देशवासिओं से और मेरे बुलेटिन के पाठकों से मेरी गुज़ारिश है कि जितना हो सके, थोडा बहुत जितना भी समय मिले, भूले भटके जीवन में एक बार ज़रूर और ज़रूर ऐसे किसी भी महान इंसान की शिक्षाओं को पढ़ने का प्रयास ज़रूर कीजिये और उनका अनुसरण जीवन में ज़रूर करने की कोशिश कीजिये।
इंसान को कभी भी किसी की मजबूरियों पर हँसना नहीं चाहियें क्योंकि कोई भी प्राणी इन्हें स्वयं खरीद कर नहीं लाता। मजबूरी इंसान से क्या करवाये कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए वक़्त की मार से हमेशा डर कर रहना चाहियें क्योंकि बुरा वक़्त किसी को कभी बताकर नहीं आता और ना ही अच्छा वक़्त कभी किसी से पूछ कर आता है। आपकी अक्ल कितनी भी तेज़ क्यों ना हो, आप कितने ही अक्लमंद क्यों ना हों परन्तु जब तक आपका नसीब आपकी अकल का साथ नहीं देगा ज़िन्दगी में जीत हासिल कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन ही होगा। बीरबल भले ही बेहद अक्लमंद था परन्तु इतना होशियार होने के बावजूद कभी भी बादशाह नहीं बन सका। इसलिए तो कहते हैं नसीब से कोई नहीं लड़ सकता। मिलता उतना ही है जितना नसीब में लिखा होता है फिर चाहे कितने ही घोड़े क्यों ना खोल लो। व्यक्ति सिर्फ मेहनत कर सकता है, कोशिश कर सकता है, अपना कर्म कर सकता है परन्तु उसका फल मिलना या ना मिलना यह किस्मत पर निर्भर करता है। किस्मत से कोई भी व्यक्ति पार नहीं पा सकता। बातें बनाना बहुत ही आसान काम है परन्तु उन्ही बातों को साकार करना बहुत ही कड़ा काम है। बिना परिश्रम और लगन के कोई भी बनाई गई बात साबित नहीं होती है इसलिए हमेशा बोलने से पहले तोलना सीखिए और कभी भी व्यर्थ ना बोलिए क्योंकि ना तो तुम अपने आप को गले लगा सकते हो और ना तुम खुद अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो और ना ही इस दुनिया से रुखसत हो सकते हो। जीवन में किसी ना किसी अपने की ज़रुरत हमेशा होती है, आपको समझने के लिए और विपरीत हालातों में आपके साथ उनका मुकाबला करने के लिए, आपका हाथ थाम कर आपके साथ खड़े रहने के लिए या फिर आपको हौंसला देने के लिए। एक दुसरे के लिए जीने का नाम ही ज़िन्दगी है इसलिए वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे दिल से चाहते हैं। कोई भी रिश्ता पैसों का मोहताज नहीं होता क्योंकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन को अमीर ज़रूर बना देते हैं। इसलिए अपना वक़्त अपने अपनों को दीजिये और अपने रिश्तों को मज़बूत बनाइये। सभी को आदर, सम्मान और प्यार देने से ही प्यार, दुलार, अपनापन, यश, कीर्ति, सम्मान मिलता है और जब यह सब मिलता है तब ही दुनिया आबाद रहती है। ये बातें हैं तो बहुत छोटी-छोटी पर ज़िन्दगी में मायने बहुत रखती हैं।
आप सोचते होंगे कि आज यह सब बातें क्यों कर रहा हूँ मैं? तो बताना चाहूँगा कि आज आदरणीय, हम सबके प्यारे और भारत के बेटे स्वामी विवेकानन्द जी की ११३ वीं पुण्यतिथि है जो अपने जीवन काल में युवा शक्ति के भी प्रतीक रहे हैं। साथ ही अमर क्रांतिकारी विचारक और संगठनकर्ता भाई भगवती चरण वोहरा की १११वीं जयंती भी आज के दिन ही है। मैं अपने इस लेख के द्वारा भारत के इन वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ जिन्होंने अपने जीवनकाल में, अपनी बातों में, अपने इरादों में, अपनी भावनाओं में, अपने विचारों में सदैव देशवासियों को देशभक्ति, मानवता, प्रेम, आध्यात्म, दर्शन, संयम, नैतिकता, भाईचारा, सदभाव, निस्वार्थ सेवा, और शांति का ही सन्देश दिया है। भारत माता के ऐसे कर्मठ बेटों को मेरा शत शत नमन और उम्मीद करता हूँ अपने देश का हर प्राणी ऐसा ही गुणवान बने, सत्य और प्रेम के मार्ग पर चले और सभी के लिए एक मिसाल कायम करे। यदि आज का युवावर्ग ऐसी महान पुण्यआत्माओं की शिक्षा का दस प्रतिशत भी ग्रहण कर जीवन में उतार ले तो भारत की समस्त समस्याओं का समाधान चुटकियों में हो जाए। इसलिए मेरे देशवासिओं से और मेरे बुलेटिन के पाठकों से मेरी गुज़ारिश है कि जितना हो सके, थोडा बहुत जितना भी समय मिले, भूले भटके जीवन में एक बार ज़रूर और ज़रूर ऐसे किसी भी महान इंसान की शिक्षाओं को पढ़ने का प्रयास ज़रूर कीजिये और उनका अनुसरण जीवन में ज़रूर करने की कोशिश कीजिये।
आज की कड़ियाँ
अमर शहीद भगवती चरण वोहरा जी की १११ वीं जयंती - शिवम् मिश्रा
उन खतों का मुकम्मल पता रकीब की मज़ार है - पूजा उपाध्याय
स्पर्श - रंजना भाटिया
तुम्हारी मनमर्जियां मेरी अमानत हैं - प्रतिभा कटियार
कहीं बच्चे भी कभी बड़े होते हैं ? - वंदना गुप्ता
एक ग़ज़ल : तेरे बग़ैर भी - आनंद पाठक
भगीरथ से - ओंकार
सरोगेट कंट्री - सीमा आज़ाद
कोई छीलता जाता है - रश्मि शर्मा
चाँद - चेतन रामकृष्ण
एक साँप के प्रति - निहार रंजन
बहाने कुछ न लिखने के - निवेदिता श्रीवास्तव
आज के लिए इतना ही अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए - नमस्कार
नमन और आभार
धन्यवाद्
तुषार राज रस्तोगी
जय बजरंगबली महाराज | हर हर महादेव शंभू | जय श्री राम
छोटी सारगर्भित बातों से ओत प्रोत लेख । सुंदर सूत्रों के साथ सुंदर शनिवारीय बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जोशी जी
हटाएंभाई भगवती चरण वोहरा जी की १११वीं जयंती एवं स्वामी विवेकानन्द जी की ११३ वीं पुण्यतिथि पर सादर नमन!
जवाब देंहटाएंसार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
भाई भगवती चरण वोहरा जी की १११वीं जयंती एवं स्वामी विवेकानन्द जी की ११३ वीं पुण्यतिथि पर सादर नमन!
जवाब देंहटाएंआभार तुषार भाई |
khoobsoorat buletin .........aabhar
जवाब देंहटाएं