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शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

दरोगा, जज से बड़ा - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

भरी अदालत में मुकदमा जीतने के बाद जज साहब ने बुजुर्ग को बधाई देते हुए कहा, "बाबा आप केस जीत गए।"

बुजुर्ग किसान: राम तनै... इतनी तरक्की दे कि तू "दरोगा" बण जा।

वकील बोले, "रे ताऊ "जज" तो "दरोगा" तै बहुत बड़ा हो हैं।

बुजुर्ग बोले, "ना रै मेरी नज़र मा तो दरोगा बडा है।"

वकील: वो कैसे?

बुजुर्ग: इस जज ने मुकदमा खत्म करै मे "दस साल" लगा दिये जबकि "दरोगा जी" शुरू म ही कह रहे थे 'पांच हजार रुपया दे दयो, दो दिन मे मामला रफा दफा कर दूंगा', तो हुए ना दरोगा जी जज से भी बड़े।

सादर आपका
 शिवम् मिश्रा
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मुहब्बत दिल में रखती हूँ मैं नफरत भूल जाती हूँ.....

***Punam***atbas yun...hi....
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बुजुर्ग किसान ने व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा मारा है
    बढ़िया लिंक्स-सह-सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  2. जज को क्या पता दरोगा होना क्या होता है

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  3. दरोगा पुलिस वाला तो बस एक होता है
    यहाँ तो कण कण में एक दरोगा होता है
    किस दरोगा से बचाया जाये क्या क्या
    दरोगा हो नहीं पाता है इधर कोई
    कहीं और जा कर के दरोगा होता है ।
    सुंदर बुलेटिन ।

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  4. आपका धन्यवाद जखीरा को शामिल करने के लिए ।
    कहानी से तो मने भी लगे कि दरोगा ही बडा होवे

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  5. Mast chutkula bhai ... Mazeedaar bulletin....Meri post shamil karne ke liye shukriya...jai ho mangalmay ho - :)

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  6. सुंदर लिंक संयोजन
    उत्क्रष्ट प्रस्तुति
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

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