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बुधवार, 1 जुलाई 2015

मुसकुराते रहिए और स्वस्थ रहिए - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज १ जुलाई है ... एक तरफ़ जहाँ आज डाक्टर्स डे है ... दूसरी ओर आज जोक डे भी है ... ऐसे मे आज एक लतीफ़ा सुनता हूँ जो इन दोनों अवसरों को सार्थक करेगा |

सोचिए अगर डॉक्टर फिल्म बनाते तो फिल्मों के नाम क्या होते ...

कभी खांसी कभी जुखाम।

कहो न बुखार है।

डाक्टर  नंबर 1।

हम ब्लड दे चुके सनम।

रहना है अब हॉस्पिटल में।

बचना ए मरीजों।

दिल तो कमजोर है।

एक बोतल दो किडनी।

अजब मरीजों की गजब बीमारी।

आइये अब इस मुस्कान को बनाए रखते हुये ... धरती के भगवान यानि डाक्टर्स को तहे दिल से शुक्रिया कहे कि उनके कारण आज की इस भागम भाग वाली दुनिया मे हम अपनी मुस्कान बनाए रख पाते हैं !!


तो मुसकुराते रहिए ... और स्वस्थ रहिए ...इसी कामना के साथ चलते है आज की बुलेटिन की ओर ...

सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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स्मार्ट सिटी में रिक्शेवाले

अनूप शुक्ला at फ़ुरसतिया

छोड़ गईं छुट्टियां

varsha at likh dala

ईश्वर अपनी ओर खींचता है

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...

एक अक्षराशिक़ का विरहकाव्य

गौतम राजरिशी at पाल ले इक रोग नादां...

पहाड़ी वादियों में

Kavita Rawat at KAVITA RAWAT

रिलायंस नेटकनेक्ट+ वायरलेस ब्रॉडबैंड का फ्रॉड

पागलपन की डिग्री

Anshu Mali Rastogi at चिकोटी

एलोरा :

पिता

ई. प्रदीप कुमार साहनी at मेरा काव्य-पिटारा

कल्पना चावला की ५४ वीं जयंती

शिवम् मिश्रा at बुरा भला

स्त्रियां जानती हैं

सही सही है या गलत सही है पिताजी भी ना जाने किसको सिखा गये

सुशील कुमार जोशी at उलूक टाइम्स

हैप्पी बर्थडे, अर्णव...!

अनुपमा पाठक at अनुशील

वोट भी डाउनलोड होगी !

संतोष त्रिवेदी at टेढ़ी उँगली

पिता के गुण दर्शाने के लिए गीत गाते है नर बुलबुल

HARSHVARDHAN at गौरेया
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!

12 टिप्‍पणियां:

  1. डाक्टर्स डे और जोक डे
    तो समझ में आता है
    अच्छा लगता है देखकर
    कि 'उलूक' उवाच भी
    इन दोनो के बीच
    में कहीं आता है
    आभारी होता है और
    बहुत होता है
    उसका सूत्र
    'सही सही है या गलत सही है पिताजी भी ना जाने किसको सिखा गये'
    जब सूत्रों के बीच में
    से कहीं मुँह चिढ़ाता
    हुआ दिख जाता है
    बहुत मेहनत करता है
    छाँट कर लाने वाला
    सूत्रों को कुछ इधर से
    और कुछ उधर से भी
    जितने सूत्र कम से कम
    उतनी टिप्प्णीयों को
    मगर ढूँढना एक बड़ा
    काम जरूर हो जाता है
    चुटकुला इतना सा ही
    कुछ समझ में जैसा आता है ।

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  2. बहुत खूब जोशी साहब ... बस यह तुरंत कविता करना ही नहीं आया कभी ...   टिप्प्णीयों की लालसा तो वैसे भी कभी नहीं रही ... ब्लॉग जगत से बहुत स्नेह मिला है ... ब्लॉग बुलेटिन के माध्यम से केवल कर्ज़ उतार रहा हूँ |
    ऐसे ही स्नेह बनाए रखें |
    सादर |

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  3. वाह! आज ज़ोक दिवस भी है... ग्रेट!
    सुन्दर संयोजन!
    आभार!

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  4. डॉक्टर डे पर रोचक वार्ता के साथ बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

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  5. धन्यवाद ! मेरी पोस्ट शामिल करने के लिये शुक्रिया।

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  6. मिश्रा सर, बहुत रोचक पोस्ट.. उम्दा लिंक्स.. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..

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  7. समय की नब्ज को पकड़ता बेहतरीन बुलेटिन
    सुंदर संकलन
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

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