मोदी सरकार नें अपना एक वर्ष पूरा कर लिया है और ऐसे में कई चर्चाएं हो रही है कि इस सरकार नें क्या किया, क्या नहीं किया, क्या और अच्छा हो सकता था और क्या चूक हो गई। मैं एक अप्रवासी भारतीय के नज़रिए से पिछले एक वर्ष का अपना मत रख रहा हूं।
मित्रों भारतीयों की स्मरण शक्ति बहुत कमज़ोर होती है और हम केवल सामनें का ही देखते हैं, ऐसे में पहले 2014 की स्थिति की एक झांकी देखना सबसे ज़रूरी हो जाता है। भारत की भौगोलिक स्थिति के बारे में क्या कहना, हमे विरासत में पाकिस्तान और चीन जैसे पडोसी मिले हैं जो सदैव भारत विरोधी गतिविधियों में सापेक्ष रूप से न सही लेकिन किसी न किसी रूप से लिप्त रहते ही हैं। बीते कई वर्षों में हमनें नेपाल, बांग्ला-देश, श्रीलंका जैसे देशों से भी सम्बन्ध बिगाडे हुए थे। देश उहापोह की स्थिति में था, हर रेटिंग एजेन्सी नें हमारी साख को नकारात्मक कर दिया था। मुद्रा भंडार की चिंताजनक स्थिति, कोई निवेश नहीं, उपर से आए दिन नये भ्रष्टाचार, वाकई विदेश में भारत की चिंताजनक स्थिति थी। मैं जब पिछले साल अमेरिका आया था तब लोग मजाक बनाते थे भारत की राजनीतिक स्थिति का। उस समय मेरे पास कोई शब्द न थे जिसके द्वारा मैं टाईम जैसे मैगज़ीन पर प्रधानमंत्री की "अंडर-अचीवर" की स्थिति को किसी भी प्रकार से जस्टीफ़ाई कर सकूं। दिन बदले, देश बदला, और आज ठीक एक साल बाद की स्थिति वास्तव में गौरव की गाथा है। यमन संकट में मोदी की कूटनीतिक सफ़लता का लोहा दुनियां नें माना, नेपाल भूकम्प में भारत के आपदा प्रबंधन नें दुनियां को हैरान किया। खुद नेपाल के प्रधानमंत्री मोदी के संदेश से भूकम्प की जानकारी लेते दिखे। पिछले साल, मोदी के लिए मेडिसन स्कवायर गार्डेन पार्क का सज जाना और किसी सुपर स्टार की तरह सभा को सम्बोधित करना यहां के अमरीकियों के लिए भी अचम्भे की बात थी। आज टाईम मैगज़ीन भारत के प्रधानमंत्री को अपने कवर पर फ़िर से स्थान देता है लेकिन इस बार यह उनकी यशगाथा लिए होता है, मेरे लिये भारत का इस स्थिति में आना बहुत बडे गौरव की बात है।
इसके अलावा भी कई अन्य बातें जनता को जानना ज़रूरी है, इस पूरे आलेख के लिए यहां चटका लगाईए
--------------------------------------
--------------------------------------
बुलेटिन के आज के अंक में इतना ही, कल फ़िर से एक नये अंक के साथ फ़िर मिलेंगे... तब तक के लिये शुभकामनाएं...
जय हिन्द
देव
वाह क्या जोड़ है बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंअच्छी लघुकथा के साथ
एक साल के सारे बबाल ।
हमारे देश की सरकार पर अप्रवासी की नज़र एक दम सटीक बैठी है!! सुन्दर और पठनीय लिंक्स के साथ सजी बुलेटिन। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन!! बहुत बहुत आभार देव साहब, मेरी पोस्ट को सम्मलित करने के लिए
जवाब देंहटाएंनई सरकार के लिए आपके प्रयास सराहनीय हैं.मुझे चश्मे का सही नम्बर सुझाने के लिए आभार भाई :)
जवाब देंहटाएंसाल भर की सरकार की बढ़िया समीक्षा की देव बाबू :)
जवाब देंहटाएं