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सोमवार, 7 जुलाई 2014

इंसान की दुकान मे जुबान का ताला - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

'इंसान' एक दुकान है और 'जुबान' उसका ताला;
 जब ताला खुलता है, तभी मालूम पड़ता है;
 कि दुकान 'सोने' की है या 'कोयले' की।

सादर आपका
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हर लम्हे का अक्स

गुलेरी जी की 131वीं जयंती पर

हिंदी ब्लॉगर / चिट्ठाकार संबंधी एक विशिष्ट शोध-सर्वे में अपना अभिमत प्रदान करें

१५ वें बलिदान दिवस पर विशेष

बिहार की राजनीति फिजां मे जहर घोलते लालू प्रसाद यादव

 रूचि बनाम आजीविका.... 

खटखटाते रहो, खटखटाते रहो ...

तिरिया चरितर(त्रिया चरित्र)

बारिश

अंडमान यात्रा की शुरूआत

मगर सिसकती रात ना पूछ

ऋषियों का अमृत - उच्चारण ऋ का

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. इसीलिये हम बोलते नहीं कुछ लिख देते हैं :)
    सुंदर बुलेटिन शिवम जी ।

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  2. बढ़िया बुलेटिन व प्रस्तुति , शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

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  3. बढ़िया सन्देश +बढ़िया लिंक्स = बढ़िया बुलेटिन :)

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  4. बड़ी पुरानी कहावत है कि चुप रहने से बेवक़ूफ़ भी अक़्लमन्दों की जमात में शामिल हो जाता है. असली पहचान तो ज़ुबान से ही होती है!!

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  5. सुन्दर संकलन
    बहुत आभार... मुझे शामिल करने का ...

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  6. इतने अच्छे लिंक्स के साथ मुझे शामिल करने के लिए आपका आभार।

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  7. मेरी पोस्ट को इस प्रतिष्ठित मंच पर शामिल करने के लिए आपका सादर आभार। Thnx a lot , sir :)

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  8. बहुत-बहुत आभार आपका ....मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए

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  9. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...धन्यवाद

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  10. शिवम् मिश्रा जी, सुंदर प्रस्तुति...बढ़िया लिंक्स...मुझे स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार...!!

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  11. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन एवं प्रस्‍तुति
    आभार

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