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सोमवार, 30 जून 2014

अच्छी खबरें आती है...तभी अच्छे दिन आते है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

पीएसएलवी सी-23 के प्रक्षेपण के लिए शनिवार को शुरू हुई 49 घंटे की उलटी गिनती सोमवार सुबह 9:52 बजे पूरी होते ही पीएसएलवी सी-23 अपने साथ पांच उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना हो गया | इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां मौजूद थे।

गौरतलब है कि पहले इसका प्रक्षेपण समय 8: 49 बजे निर्घारित था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे तीन मिनट आगे किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के बयान में कहा गया है कि प्रक्षेपण यान फ्रांसीसी उपग्रह स्पॉट-7 के साथ 4 अन्य उपग्रह अंतरिक्ष में ले जाएगा। फ्रांस के पृथ्वी निगरानी उपग्रह के साथ कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर के उपग्रह इसमें शामिल हैं।

अब तक दूसरे देशों के 35 उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका पीएसएलवी सी-23 अपने साथ 714 किलो वजन का फ्रांसीसी पृथ्वी निगरानी उपग्रह स्पॉट-7, 14 किलो का जर्मनी का आईसैट, 15-15 किलो का कनाडा का एनएलएस 7.1 (कैन एक्स 4) एवं एनएलएस 7.2 (कैन एक्स-5) और सिंगापुर का 7 किलो का वेलोक्स-1 अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।


एक समय था जब इसरो के अंदर एक जगह से दूसरी जगह अंतरिक्ष यान के कलपुर्ज़े साइकल से पहुंचाए जाते थे ... एक आज का दिन है जब हम दूसरे देशों के उपग्रह अंतरिक्ष मे स्थापित कर रहे है |

 ऐसे ही कल खबर मिली कि भारतीय बेडमिन्टन खिलाडी सायना नेहवाल ने विश्व की नंबर ११ खिलाडी स्पेन की कैरोलिना मैरीन को 21-18 21-11 से सीधे गेमों में हराकर ऑस्ट्रेलियन सुपर सीरिज जीती।


अब जब इस तरह की अच्छी खबरें मिलें तो उम्मीद जागती है कि अच्छे दिन भी आस पास ही है |

ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से इन महान सफलताओं पर सायना नेहवाल, इसरो के सभी वैज्ञानिकों और साथी देश वासियों को हार्दिक मुबारकबाद |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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ब्लॉगसेतु : ब्लॉग एग्रीगेटरों की दुनिया में एक अभिनव प्रयास......

शास्त्री जी नाराज़गी छोडिये : केवल भाई क्षमा मांगिये तकनीकी समस्या बताते हुए ..

आइये कुछ देर हँस लें

कन्याकुमारी का स्मारक

चश्मा (लघु कथा )

नया मंडी हाउस स्टेशन, नई सुविधाएं

मान जाओ

तुम मेरे लाइटहाउस हो

चिट्ठियाँ हैं और बहुत हो गई हैं

स्टेट ऑफ होमलैंड

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

रविवार, 29 जून 2014

वास्तविकता और ब्लॉग बुलेटिन

सभी  चिट्ठाकार मित्रों सादर नमस्कार।।


आज का ज्ञान :- 
मनुष्य को हमेशा सच के लिए लड़ना चाहिए क्योंकि सच ही वास्तविकता है और जीत हमेशा वास्तविकता की ही होती है। 


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ...........  














आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। शुभरात्रि।।  

शनिवार, 28 जून 2014

हुनर की कीमत - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक बार एक कारखाने के मालिक की मशीन ने काम करना बंद कर दिया. कई दिनों की मेहनत के बाद भी मशीन ठीक नहीं हो पायी. मालिक को रोज लाखों का नुकसान हो रहा था।

 तभी वहाँ एक कारीगर पहुँचा और उसने दावा किया कि वो मशीन को ठीक कर सकता है।

 मालिक फौरन ही उसे कार्यशाला में ले गया।

 मशीन ठीक करने से पहले कारीगर ने मालिक से कहा कि वो मशीन तो ठीक कर देगा लेकिन मेहनताना अपनी मर्जी से तय करेगा।

 मालिक का तो रोज लाखों का नुकसान रोज हो रहा था इसलिये वो मान गया।

 कारीगर ने पूरी मशीन का मुआयाना किया और एक पेच को कस दिया।

 मशीन को चालू किया गया. मशीन ने कार्य करना शुरू कर दिया था।

 मालिक बहुत खुश हु़आ।

 कारीगर ने दस हजार रूपया मेहनताना मांगा।

 मालिक को बहुत आश्चर्य हुआ।

 केवल एक पेच कसने के दस हजार रूपय! लेकिन उसने अपना वादा निभाया और दस हजार रूपए कारीगर को देते हुये पूछा कि एक पेच कसने के दस हजार रूपय कुछ ज्यादा नहीं हैं?

 कारीगर ने तुरंत जवाब दिया, "साहब पेच कसने का तो केवल मैंने एक रूपया लिया है, बाकि 9999 रुपये तो कौन सा पेच कसना है यह पता करने के लिये हैं।"

सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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छोटे बेटे के जन्मदिन पर पूरा परिवार एक साथ !

शरीर जरूर विकलांग है पर आत्मा नहीं

मानव को वरदान में, मिले बोल अनमोल

बचाती हैं व्‍यक्तित्‍व को !!!!

खिड़की खुली रखोगे तो आएँगी बहारें

नेता नहीं जनता को दें ट्रेनिंग

छोटी सी बात .....

हिज्र-ए-जश्न

इश्क़

स्मृति ईरानी उन अपराधियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएं..

दोस्त

द्विरागमन .... (1)

बम संकर टन गनेस के बहाने गाँव की सैर

सपने में भी भेड़ प्‍यासी हैं

जवाब-ए-ख़त...

मृगतृष्णा ( कुण्डलिया )

नया अध्याय तू पढ़

इश्क़ तुम्हारा भुनता था

बुलबुल गोलू in दिल्ली का ZOO

किसान का कार्टून : डीयू यूजीसी सीरियल

जीवन

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

शुक्रवार, 27 जून 2014

ब्लॉग बुलेटिन - 75वाँ जन्मदिवस दिवंगत राहुल देव बर्मन (पंचम दा)

सभी ब्लॉगर मित्रों को सादर नमस्कार।।
हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार राहुल देव बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 ई. कोलकाता ( पश्चिम बंगाल ) में हुआ था। राहुल देव बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन ( एस. डी. बर्मन ) भी हिन्दी फिल्मों के जाने - माने संगीतकार थे। राहुल देव बर्मन जी को आर. डी. बर्मन, पंचम और पंचम दा के नाम से भी जाना जाता है। राहुल देव बर्मन जी को फिल्म जगत में पंचम नाम से पुकारा जाता था।  यहाँ चटका लगाकर आगे पढ़े .... 


आज राहुल देव बर्मन यानि पंचम दा के 75वें जन्मदिवस पर हिन्दी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें और उनके संगीत को याद करते हुए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते है। सादर।। 


अब चलते हैं आज कि बुलेटिन की ओर  ………… 














 आज की ब्लॉग बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। शुभरात्रि।।

गुरुवार, 26 जून 2014

नायब सूबेदार बाना सिंह और २६ जून - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

नायब सूबेदार बाना सिंह (जन्म: 6 जनवरी, 1949 काद्‌याल गाँव, जम्मू और कश्मीर) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैन्य अधिकारी है। इन्हें यह सम्मान सन 1987 में मिला। पाकिस्तान के साथ भारत की चार मुलाकातें युद्धभूमि में तो हुई हीं, कुछ और भी मोर्चे हैं, जहाँ हिन्दुस्तान के बहादुरों ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर कर रख दिया। सियाचिन का मोर्चा भी इसी तरह का एक मोर्चा है, जिस ने 8 जम्मू एंड कश्मीर लाइट इंफेंटरी के नायब सूबेदार बाना सिंह को उन की चतुराई, पराक्रम और साहस के लिए परमवीर चक्र दिलवाया। पूरी पोस्ट यहाँ पढ़ें |

आज इस कामयाबी की २७ वीं वर्षगांठ के अवसर पर ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से नायब सूबेदार बाना सिंह जी और उन के साथियों को एक चटक सल्युट |

सादर आपका 
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मन ... "बेताज बादशाह"

अपराध की जात बताओ भैया

स्कूल की पत्रिका

‘जय हो पंखो वाली मईया ‘

कभी धूप कभी छांव - दो

खिलखिलाती रही

संबंधों के निर्वहन का संघर्ष

दुःख का महत्त्व

गुल्लक में जमा लम्हें...

बस! तुम साक्षी रहना...

भारत में पारिवारिक रक्त सम्बन्धों में यौन सम्बन्ध

रेत घुलती ही नहीं

बाप

परमवीर अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डे की ३९ वीं जयंती

नन्हा गुरु

सुब्ह से हो गई शाम......!

(लघुकथा ) बड़े लोग

मसूरी की सैर पर एक कवितामयी चित्रकथा ----

बात बोलेगी हम नहीं

बस हिंदी के नाम ही से डर गए...

आसमां और हथेलियाँ...

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आज के इस खास दिन यह थी हमारी २१ लिंकों की सलामी  ... अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

मंगलवार, 24 जून 2014

ब्लॉग बुलेटिन - पुण्यतिथि आदरणीय श्री पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी

सभी चिट्ठाकार मित्रों को सादर नमस्कार।।


आज "ओम जय जगदीश हरे" आरती के रचयिता और हिन्दी के पहले गुमनाम गद्यकार श्री पंडित श्रद्धाराम शर्मा उर्फ़ श्रद्धाराम फिल्लौरी जी की 133वीं पुण्यतिथि है। श्रद्धाराम फिल्लौरी जी का जन्म 30 सितम्बर, 1837 ई. को जालंधर, पंजाब के फिल्लौरी नामक ग्राम में हुआ था। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी धर्म प्रचारक, उपन्यासकार, ज्योतिष, संगीतज्ञ तथा स्वतन्त्रता सेनानी थे। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी ने "ओम जय जगदीश हरे" आरती की रचना सन 1870 ई. में मात्र 32 वर्ष की आयु में की थी। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी  "आधुनिक पंजाबी भाषा" के जनक है।

पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी को संभवत : भारत का पहला उपन्यासकार भी माना जाता है। श्रद्धाराम फिल्लौरी जी ने सन 1877 ई. में "भाग्यवती" नामक एक उपन्यास की रचना की थी। जिसे हिन्दी भाषा का पहला उपन्यास माना जाता है। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी का निधन 24 जून, 1881 ई. को लाहौर ( अब पाकिस्तान में ) में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि अपने जीवन की आखिरी साँस गिनते हुए उन्होंने कहा था कि - " अब हिन्दी भाषा की सेवा करने वाला एक ही कर्मठ व्यक्ति रह गया। "

आप जानते हैं उनका इशारा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की तरफ था जिन्हें "आधुनिक हिन्दी भाषा का जनक" माना जाता है। 


आज आदरणीय श्री पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी की पुण्यतिथि पर भारत के तमाम हिन्दीप्रेमी तथा हिन्दी ब्लॉगजगत उन्हें सच्चे दिल से स्मरण करते हुए, श्रद्धामयी श्रद्धांजलि अर्पित करते है सादर।।


अब रुख करते हैं आज कि बुलेटिन की ओर ........













सोमवार, 23 जून 2014

पथप्रदर्शक एवं प्रेरणापुंज डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी (जन्म: 6 जुलाई, 1901 - मृत्यु: 23 जून, 1953) महान शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। एक प्रखर राष्ट्रवादी के रूप में भारतवर्ष की जनता उन्हें स्मरण करती है। एक कट्टर राष्ट्र भक्त के रूप में उनकी मिसाल दी जाती है। भारतीय इतिहास उन्हें एक जुझारू कर्मठ विचारक और चिन्तक के रूप में स्वीकार करता है। भारतवर्ष के लाखों लोगों के मन में एक निरभिमानी देशभक्त की उनकी गहरी छबि अंकित है। वे आज भी बुद्धिजीवियों और मनीषियों के आदर्श हैं। वे लाखों भारतवासियों के मन में एक पथप्रदर्शक एवं प्रेरणापुंज के रूप में आज भी समाये हुए हैं।

 आज स्व॰ डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की ६१ वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हम पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से उन्हें शत शत नमन करते है |

सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

रविवार, 22 जून 2014

अमरीश पुरी और ब्लॉग बुलेटिन

सभी ब्लॉगर मित्रों को सादर नमस्कार।।


आज हिन्दी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता तथा खलनायक स्वर्गीय अमरीश पुरी जी 82वीं जयन्ती है। अमरीश साहब का जन्म जालंधर, पंजाब में 22 जून, सन 1932 ई. में हुआ था। उन्होंने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत प्रेम पुजारी ( 1971 ) से की थी। अमरीश साहब की कुछ प्रसिद्ध फिल्में - निशांत, मंथन , गाँधी, नसीब, हीरो, कुली, मिस्टर इंडिया, राम लखन, दाता, त्रिदेव, जादूगर, नगीना, लोहा, घायल, विश्वात्मा, दामिनी, करण अर्जुन, कोयला, हलचल आदि। 12 जनवरी, सन 2005 ई. को 72 वर्ष की आयु में अमरीश पुरी जी का निधन हो गया। अमरीश पुरी जी ने अपने 34 साल के फ़िल्मी कैरियर में 220 से अधिक फिल्मों में काम किया था। वो फिल्मों में निभाई गई अपनी खलनायक चरित्रों के लिए ज्यादा प्रसिद्ध थे। 

आज अमरीश पुरी जी की 82 वीं जयन्ती पर हिन्दी ब्लॉगजगत तथा ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है। सादर।।


अब चलते हैं आज कि बुलेटिन की ओर  ………… 














आज कि बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। शुभरात्रि।।

शनिवार, 21 जून 2014

छोटी सी प्रेम कहानी - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक दादा और दादी ने अपने जवानी के दिनों को याद करने का सोचा।

 उन्होंने फैसला किया कि हम फिर से दरिया के किनारे मिलेंगे जहाँ हम पहली बार मिले थे।

 दादा सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर गुलाब लेकर पहुँच गए पर दादी नहीं आयी।

 दादा जी गुस्से में घर पहुंचकर बोले,"तुम आयी क्यों नहीं, मैं इंतज़ार करता रहा तुम्हारा?"

 दादी ने भी शरमा  के जवाब दिया,"माँ ने जाने ही नहीं दिया।"

तो यह थी दादा - दादी की एक छोटी सी प्रेम कहानी!

सादर आपका
शिवम् मिश्रा

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निषेध का निषेध

संगीत दिवस पर

मेध अषाढ़ का

फूल और मिट्टी

मेरे पिता : साहित्याचार्य पं० चंद्रशेखर शास्त्री -- प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त'

ब्लॉगोत्सव-२०१४, अठारहवाँ दिन, दोहरा मापदंड क्यूँ ???

इतना तो जाना है हमने ...

हिंदी का विरोध किया जाना कितना उचित है !!

राष्ट्रभाषा पर विवाद क्यों ?

आओ प्यार की भाषा बोलें। आओ हिंदी बोलें।

तजुर्बा ए मर्दानगी

ख़ानाबदोश !

ओ वसुषेण (कर्ण )

डॉ. हेडगेवार की ७४ वीं पुण्यतिथि

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

गुरुवार, 19 जून 2014

.पैसा बोलता है



पैसा बहुत बड़ी चीज है
पैसा बोलता है
गाली देता है
औरंगजेब बन
दारा का सर कलम कर
थाली में सजाता है
कौन टूटा
कितने टुकड़े हुए
गुरुर में पैसे के
इसे सोचने की फुर्सत ....
नहीं नहीं - ज़रूरत कहाँ है !

रोटी बनाना कौन सी बड़ी बात है
रोटी खरीदनेवाला शहंशाह है .
पैसे की राजनीति में
सारे के सारे रिश्ते दाव पर लगे हैं
जीत के हर दावपेंच के खेल में
सहज खेल लोग भूल गए हैं !
...........
-'पैसे में ताकत ना सही
खरीदने की क्षमता तो है '
क्या फर्क पड़ता है
यदि पैसे से
एक दो स्वाभिमान को
न खरीदा जा सके
उस स्वाभिमान का मखौल उड़ानेवाले
तादाद में दो पैसे में मिल जाते हैं !



मंगलवार, 17 जून 2014

बच्चे और हम - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आइये आप को लतीफा पढ़वाता हूँ ...

क्लास में टीचर: सुनो बच्चो कल तुम लोगों का ग्रुप फोटो लिया जायेगा। सब लोग अपने-अपने घर से 50 रुपये ले कर आना।

 पप्पू, बंटी से: साला ये सब टीचर लोगों की मिली-भगत होती है। एक फोटो के 20 रुपये लगते हैं और हम लोगों से 50-50 रुपये लिए जा रहे हैं, मतलब एक बच्चे से 30 रुपये बचेंगे। अब अपनी ही क्लास में 60 बच्चे हैं तो 60 x 30 = 1800 रुपये, खुली लूट मचा रखी है इन लोगों ने। फिर हमारे पैसों से यह सब स्टाफ रूम में बैठ कर समोसे खाएंगे। 

बंटी :चल भाई घर चलते हैं, अपन कर भी क्या सकते है ... कल मम्मी से 50 रुपये लेकर आना।
घर जाकर पप्पू अपनी मम्मी से: मम्मी कल स्कूल में ग्रुप फोटो लेना है तो टीचर ने 100 रुपये मंगवाए हैं।

वैसे तो लतीफा यहीं ख़त्म हो जाता है ... पर इस लतीफे के पीछे एक सबक भी है ... रोज़मर्रा की ज़िन्दगी मे बच्चे हम देख कर ही नई नई बातें सीखते है ... और ऐसा नहीं हैं कि वो बहुत बड़ी बड़ी बातों से सीख लेते हो ... मामूली ... छोटी छोटी बातें ... जिन पर हम और आप गौर नहीं करते पर यह बच्चे उन पर भी नज़र रखते है |
तो आइए इन बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए हम और आप खुद मे भी कुछ बदलाव लाएँ |

सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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विवाहेत्तर संबंधों का राजनीतिक एपीसोड ....

कितना तपोगे थार

याद गुज़री.......

(लघुकथा) पि‍ता

अक्षय आमेरिया की रेखाओं की दुनिया

मंगलाचार : नूतन डिमरी गैरोला

बेटियाँ ..... गोविन्द माथुर

** माथेरान ** Matheran *

उत्पीड़न विपर्यय

तुम्हारे नाम ~ घाटी की ओ पवित्र लड़कियों

इंसानियत का कीमा

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अब आज्ञा दीजिये ... 

जय हिन्द !!!

सोमवार, 16 जून 2014

त्रासदी का एक साल - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज से ठीक एक साल पहले उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा से वहाँ लगभग 70 हज़ार से अधिक लोग प्रभावित हुए। इस विनाशलीला में हजारों लोग मारे गए तथा ना जाने कितने ही लोग घायल हुए। आज भी इसका सटीक ब्योरा कोई भी नहीं बता पाया है ... अभी हाल ही मे कुछ और नरकंकाल उन्हीं घाटियों से बरामद हुये है जो पिछले साल हुई इस घटना की भयानक कहानी कह रहे है | इस त्रासदी ने कईयों का जीवन ही बदल दिया। भारत का शायद ही ऐसा कोई शहर हो जहां के लोग इस आपदा से किसी न किसी रूप मे प्रभावित न हुये हो | 


इस प्राकृतिक आपदा में मारे गए सभी असैन्य और सैन्य लोगों को ब्लॉग बुलेटिन परिवार अपनी हार्दिक  श्रद्धांजलि अर्पित करता है। साथ साथ प्रभावित परिवारों को हम अपनी हार्दिक संवेदनाएं प्रेषित करते है |

सादर आपका
शिवम् मिश्रा

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एक कल जो आज भी है...

114. फीफा फीवर (के बहाने)

यह कैसी फैशन ?

डायरी के पन्ने- 22

मुनिया

दाह-संस्कार

वो जो वह एक अक्स है -शहरयार

माँ और देवी माँ की ‘माहवारी’ में फर्क क्यों...!!!

उस दिन की याद आई ........(संस्मरण )

फ़रियाद ....

एक अटूट रिश्ता ....टूटता सा ...!

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

रविवार, 15 जून 2014

फादर्स डे




फादर्स डे दुनिया के अधिकांश देशों में मनाया जाता है और इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। फादर्स डे परंपरा की शुरुआत करने का श्रेय अमेरिका में रहने वाली श्रीमती सोनोरा स्मार्ट डोड के संघर्ष को दिया जाता है। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने पिता से मिली, जो अपने 6 बच्चों की परवरिश अकेले ही कर रहे थे। 1909 में सोनोरा के मन में यह विचार कौंधा कि जब मदर्स डे मनाया जा सकता है तो पिता को सम्मान देने के लिए फादर्स डे क्यों नहीं। यह ठीक है कि शुरू में उनके विचार का खंडन किया गया, लेकिन बाद में अपना लिया गया। सोनोरा फादर्स डे 5 जून को अपने पिता के जन्मदिन के दिन मनाना चाहती थी, लेकिन इसे जून के तीसरे संडे को मनाया जाना तय किया गया। पहला फादर्स डे 19 जून 1910 को आयोजित किया गया।

आज फादर्स डे है  … मेरी बड़ी बहन नीलम प्रभा की रचना इस दिन के नाम सबकी ओर से -

तेरे आशीषों की छाँव तले 
ये लता हर पल फूले फले 
…………… 
जीवन पात्र मेरा खाली रह जाता 
पिता के रूप में जो तुम्हें नहीं पाता 
ऊँचा आकाश है मंदिर ऊँचा 
पर कब हमने इनको है पूजा 
सरे किस्मत तेरे दर से उठे ना  ……। 

पिता एक स्तम्भ - जो वटवृक्ष की तरह जीवन में होता है, जिसके आगे हर तूफ़ान दिशा बदल लेते हैं  … 

पापा बस पापा - सोच का सृजन - Blogger

ताकि पापा न कहें कि "मैं हार गया !!"


इस लिंक के साथ फेसबुक के ख़ास पल पापा के नाम 


हम हमेशा से यह सुनते आए हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है। परन्तु मुझे इस बात पर यकीन नहीं होता। पति-पत्नी के आपसी रिश्ते कैसे भी हों उन्हें सात ही जन्मों का ही माना जाता है। जब भी कोई स्त्री व्रत रखती हैं तो भी वह पति के साथ अपने सात जन्मों का ही साथ मांगती हैं। लेकिन किसी और रिश्ते में ऐसा क्यों नहीं है। जैसे बहन-भाई, माता-पिता और उनके बच्चों, चाहे उनमें कितना भी प्यार हो, ऐसी मान्यता क्यों नहीं है कि ये सभी रिश्ते भी सात जन्मों के लिए ही हों। यहां तक कि मां भी अपने बेटे-बेटी के लिए व्रत रखती पर उसमें सात जन्मों का साथ नहीं मांगती बल्कि उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि ही मांगती है।
-शशि

.....प्यारे पापा...


कितना खूबसूरत है इस दुनिया में पिता होना...!