प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आइये आप को लतीफा पढ़वाता हूँ ...
क्लास में टीचर: सुनो बच्चो कल तुम लोगों का ग्रुप फोटो लिया जायेगा। सब लोग अपने-अपने घर से 50 रुपये ले कर आना।
पप्पू, बंटी से: साला ये सब टीचर लोगों की मिली-भगत होती है। एक फोटो के 20 रुपये लगते हैं और हम लोगों से 50-50 रुपये लिए जा रहे हैं, मतलब एक बच्चे से 30 रुपये बचेंगे। अब अपनी ही क्लास में 60 बच्चे हैं तो 60 x 30 = 1800 रुपये, खुली लूट मचा रखी है इन लोगों ने। फिर हमारे पैसों से यह सब स्टाफ रूम में बैठ कर समोसे खाएंगे।
पप्पू, बंटी से: साला ये सब टीचर लोगों की मिली-भगत होती है। एक फोटो के 20 रुपये लगते हैं और हम लोगों से 50-50 रुपये लिए जा रहे हैं, मतलब एक बच्चे से 30 रुपये बचेंगे। अब अपनी ही क्लास में 60 बच्चे हैं तो 60 x 30 = 1800 रुपये, खुली लूट मचा रखी है इन लोगों ने। फिर हमारे पैसों से यह सब स्टाफ रूम में बैठ कर समोसे खाएंगे।
बंटी :चल भाई घर चलते हैं, अपन कर भी क्या सकते है ... कल मम्मी से 50 रुपये लेकर आना।
घर जाकर पप्पू अपनी मम्मी से: मम्मी कल स्कूल में ग्रुप फोटो लेना है तो टीचर ने 100 रुपये मंगवाए हैं।
वैसे तो लतीफा यहीं ख़त्म हो जाता है ... पर इस लतीफे के पीछे एक सबक भी है ... रोज़मर्रा की ज़िन्दगी मे बच्चे हम देख कर ही नई नई बातें सीखते है ... और ऐसा नहीं हैं कि वो बहुत बड़ी बड़ी बातों से सीख लेते हो ... मामूली ... छोटी छोटी बातें ... जिन पर हम और आप गौर नहीं करते पर यह बच्चे उन पर भी नज़र रखते है |
तो आइए इन बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए हम और आप खुद मे भी कुछ बदलाव लाएँ |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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विवाहेत्तर संबंधों का राजनीतिक एपीसोड ....
कितना तपोगे थार
याद गुज़री.......
(लघुकथा) पिता
अक्षय आमेरिया की रेखाओं की दुनिया
मंगलाचार : नूतन डिमरी गैरोला
बेटियाँ ..... गोविन्द माथुर
** माथेरान ** Matheran *
उत्पीड़न विपर्यय
तुम्हारे नाम ~ घाटी की ओ पवित्र लड़कियों
इंसानियत का कीमा
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बहुत सुन्दर ब्लॉग बुलेटिन . मेरी पोस्ट को सामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन बहुत अच्छा विचार रखा आपने, कुछ लिंक्स तक अभी पहुँचते है |
जवाब देंहटाएंजितने सुंदर चिट्ठे उतनी ही सुंदर भूमिका। सच में बच्चे सही गलत सब हमसे ही सीखते हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति सुंदर बुलेटिन ।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारा बुलेटिन....
जवाब देंहटाएंअपनी रचना का लिंक यहाँ पाकर खुश हूँ...
देर से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ..
सस्नेह
अनु
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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