प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम |
एक दादा और दादी ने अपने जवानी के दिनों को याद करने का सोचा।
उन्होंने फैसला किया कि हम फिर से दरिया के किनारे मिलेंगे जहाँ हम पहली बार मिले थे।
दादा सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर गुलाब लेकर पहुँच गए पर दादी नहीं आयी।
दादा जी गुस्से में घर पहुंचकर बोले,"तुम आयी क्यों नहीं, मैं इंतज़ार करता रहा तुम्हारा?"
दादी ने भी शरमा के जवाब दिया,"माँ ने जाने ही नहीं दिया।"
उन्होंने फैसला किया कि हम फिर से दरिया के किनारे मिलेंगे जहाँ हम पहली बार मिले थे।
दादा सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर गुलाब लेकर पहुँच गए पर दादी नहीं आयी।
दादा जी गुस्से में घर पहुंचकर बोले,"तुम आयी क्यों नहीं, मैं इंतज़ार करता रहा तुम्हारा?"
दादी ने भी शरमा के जवाब दिया,"माँ ने जाने ही नहीं दिया।"
तो यह थी दादा - दादी की एक छोटी सी प्रेम कहानी!
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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निषेध का निषेध
संगीत दिवस पर
मेध अषाढ़ का
फूल और मिट्टी
मेरे पिता : साहित्याचार्य पं० चंद्रशेखर शास्त्री -- प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त'
ब्लॉगोत्सव-२०१४, अठारहवाँ दिन, दोहरा मापदंड क्यूँ ???
इतना तो जाना है हमने ...
हिंदी का विरोध किया जाना कितना उचित है !!
राष्ट्रभाषा पर विवाद क्यों ?
आओ प्यार की भाषा बोलें। आओ हिंदी बोलें।
तजुर्बा ए मर्दानगी
ख़ानाबदोश !
ओ वसुषेण (कर्ण )
डॉ. हेडगेवार की ७४ वीं पुण्यतिथि
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
एक बहुत सुंदर फूलों का गुच्छा ले कर आये हैं आज शिवम जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिवम्
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को आज के ब्लॉग बुलेटिन में स्थान प्रदान कर आपने मुझे जो सम्मान प्रदान किया उससे अनुग्रहीत हूँ ! सादर
जवाब देंहटाएंप्रेम कहानी बहुत अच्छी लगी |उम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ ,शुक्रिया
जवाब देंहटाएंवाह वाह....वाह वाह...
जवाब देंहटाएंdada dadi ki kahani bahut sweet lagi. hindi ke baare mein ye lekh aur kavita padhi aur tab mujhe yaad aaya ki kai baar jab indiblogger.in ya kisi fb page par is topic par bahas hoti hai ki Hindi hamaari "National Language" hai ya nahin tab ye Brown Bhartiy log The Hindu Newspaper aur wikipedia mein chhape kisi article ka refrance dete hain ki ye dekho khud constitution mein hi ise aisa koi darja nahi diya gaya hai.. us waqt behad gussa aata hai par kya kahein.
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंshukriya meri kriti ko yaha samman dene k liye. apka prayas prashansneey hai. aabhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
उम्दा लिंक्स से सुसज्जित बेहतरीन बुलेटिन, प्यारी-सी प्रेम कहानी !
जवाब देंहटाएंदिलकश बुलेटिन !मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए शुक्रिया शिवम जी !
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