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गुरुवार, 8 मई 2014

बाबा का दरबार, उंगलीबाज़ भक्त और ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

एक दिन बाबा दरबार में बैठे थे और भक्त अपनी दुखभरी कहानियाँ सुनाकर बाबा से सलाह मांग रहे थे।

 भक्त: बाबा की जय हो। बाबा मुझे कोई रास्ता दिखाओ, मेरी शादी तय नहीं हो रही, आपकी शरण में आया हूँ।

 बाबा: आप काम क्या करते हो?

 भक्त: शादी होने के लिए कौन सा काम करना उचित रहेगा?

 बाबा: तुम मिठाई की दूकान खोल लो।

 भक्त: बाबा, वो तो 30 सालों से खुली हुई है, मेरे पिताजी की मिठाई की ही दुकान है।

 बाबा: शनिवार को सुबह 11 बजे दुकान खोला करो।

 भक्त: शनि मंदिर के बगल में ही मेरी दूकान है और मैं रोज 11 बजे ही खोलता हूँ।

 बाबा: काले रंग के कुत्ते को मिठाई खिलाया करो।

 भक्त: मेरे घर दो काले कुत्ते ही है और मैं सुबह शाम उन्हें मिठाई खिलाता हूँ।

 बाबा: सोमवार को मंदिर जाया करो।

 भक्त: मैं केवल सोमवार ही नहीं, हर रोज मंदिर जाता हूँ। दर्शन के बगैर मैं खाने को छूता तक नहीं।

 बाबा: कितने भाई बहन हो?

 भक्त: बाबा आपके हिसाब से शादी तय होने के लिए कितने भाई बहन होने चाहिए?

 बाबा: दो भाई एक बहन होनी चाहिए।

 भक्त: बाबा, मेरे असल में दो भाई एक बहन ही है।

 बाबा: दान किया करो।

 भक्त: बाबा मैंने अनाथ आश्रम खोल रखा है, रोज दान करता हूँ।

 बाबा: एक बार किसी तीर्थ स्थान हो आओ।

 भक्त: बाबा आप के हिसाब से शादी होने के लिए कितने बार तीर्थ जाना जरुरी है?

 बाबा: जिंदगी में एक बार तो जाना ही चाहिए।

 भक्त: मैं तीन बार जा चूका हूँ।

 बाबा: नीले रंग की शर्ट पहना करो।

 भक्त: बाबा मेरे पास सिर्फ नीले रंग के ही कुर्ते हैं, कल सारे धोने के लिए दिए हैं, वापिस मिलेंगे तो सिर्फ वही पहनूंगा।

 बाबा शांत होकर ध्यान करने लगते हैं।

 भक्त: बाबा, एक बात कहूँ?

 बाबा: हां जरूर, बोलो बेटा जो बोलना है।

 भक्त: मैं पहले से ही शादी-शुदा हूँ और तीन बच्चों का बाप भी हूँ इधर से गुजर रहा था, सोचा तुम्हे उँगली करता चलूँ।

सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

16 टिप्‍पणियां:



  1. ☆★☆★☆



    इधर से गुजर रहा था, सोचा तुम्हे उँगली करता चलूँ।
    :)
    वाह ! वाऽह…!
    आदरणीय शिवम् मिश्रा जी
    मस्त है बाबा का दरबार, उंगलीबाज़ भक्त

    ...और ब्लॉग बुलेटिन में सम्मिलित लिंक्स पर भी अवश्य विजिट करूंगा...


    आपको और ब्लॉग बुलेटिन के सभी मित्रों को भी मेरे ब्लॉग शस्वरं
    पर आने का आमंत्रण है...

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  2. सुंदर बुलेटिन जैसा होता है हमेशा ही आज 'उलूक' के सूत्र 'इतने में ही क्यों पगला रहा है जमूरे हिम्मत कर वो आ रहा है जमूरे" को स्थान दिया सम्मान के लिये आभार ।

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  3. सुन्दर लिंक्स लिए बुलेटिन..... शामिल करने का आभार

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  4. बहुत सुंदर बुलेटिन. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

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  5. बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति बहुतखूब , धन्यवाद !

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  6. भक्त तो बाबा से भी दो कदम आगे निकला ... तगड़ा उंगलीबाज़ :)

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  7. बाबा गुड और भक्त शक्कर ... :)

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  8. शुक्रिया शिवमजी, दुनिया कै इस कोने पर भी नज़र डालने का , कुछ देर में लिन्कस पढ़ना शुरु करते हैं।

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  9. ऊँगली करने में ज्यादा मज़ा है :) बढिया बुलेटिन ……आभार

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  10. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति .

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  11. ऐसा भी होता है। सुंदर कडियों से सजी श्रृंखला। गिनते हैं कडी कडी ।

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  12. Baba ka dhandha paani kyon choupat karte ho bhai? ...kisi ke pet par laat maarna achcha nahi!!

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