Pages

गुरुवार, 22 मई 2014

पतझड़

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों

प्रस्तुत है आज का बुलेटिन उम्मीद है आपका स्नेह प्राप्त होगा |














एक फूल जब चमन में खिल गया
सारे गुलशन से ही वो अलग हुआ
ज़िन्दगी सिमट गई उसकी
वक़्त आखिरी जिंदगी का, उसका आ गया
वो तो मासूम बेखबर था ज़माने से
वो तो अपनी ही हर सोच में उलझ गया
उस माली का किरदार भी, अजब ही था कुछ
पूरे चमन की आँखों में वो खटक गया
सीखी माली से चमन ने भी बेवफाई
जिंदा रहने का भी स्वप्न छोड़ दिया
अब क्या तोड़ोगे तुम हर गुल को
बाग़ का पत्ता-पत्ता भी ये कह कर रो दिया
मांगी माफ़ी माली ने, जब जानी अपनी गलती
भोले-भाले उपवन में फिर वसंत हो गया....

आज की कड़ियाँ 













अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

9 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे सूत्र चयनित किये हैं आपने साथ में मेरी सोच को सम्मिलित किया धन्यवाद आपका !
    कृपया मेरा नाम ठीक कर लें "निवेदिता श्रीवास्तव" के स्थान पर आपने "नेहा श्रीवास्तव" लिख दिया है .....

    जवाब देंहटाएं
  2. @निवेदिता श्रीवास्तव

    भाभी प्रणाम ... भूल सुधार दी गई है ... ध्यान दिलाने के लिए आपका आभार | ऐसे ही स्नेह बनाएँ रखें |
    सादर |

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छे सूत्रों के लिये धन्वायद। फूल का चाहे अंत समय आ जाये बहार तो उसके खिलने से ही है।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा सूत्र संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया बुलेटिन तुषार भाई ... आभार आपका |

    जवाब देंहटाएं
  6. आप सबका आभार | बहुत बहुत शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!