आदरणीय ब्लॉगर मित्रों
प्रस्तुत है आज का बुलेटिन उम्मीद है आपका स्नेह प्राप्त होगा |
एक फूल जब चमन में खिल गया
सारे गुलशन से ही वो अलग हुआ
ज़िन्दगी सिमट गई उसकी
वक़्त आखिरी जिंदगी का, उसका आ गया
वो तो मासूम बेखबर था ज़माने से
वो तो अपनी ही हर सोच में उलझ गया
उस माली का किरदार भी, अजब ही था कुछ
पूरे चमन की आँखों में वो खटक गया
सीखी माली से चमन ने भी बेवफाई
जिंदा रहने का भी स्वप्न छोड़ दिया
अब क्या तोड़ोगे तुम हर गुल को
बाग़ का पत्ता-पत्ता भी ये कह कर रो दिया
मांगी माफ़ी माली ने, जब जानी अपनी गलती
भोले-भाले उपवन में फिर वसंत हो गया....
प्रस्तुत है आज का बुलेटिन उम्मीद है आपका स्नेह प्राप्त होगा |
एक फूल जब चमन में खिल गया
सारे गुलशन से ही वो अलग हुआ
ज़िन्दगी सिमट गई उसकी
वक़्त आखिरी जिंदगी का, उसका आ गया
वो तो मासूम बेखबर था ज़माने से
वो तो अपनी ही हर सोच में उलझ गया
उस माली का किरदार भी, अजब ही था कुछ
पूरे चमन की आँखों में वो खटक गया
सीखी माली से चमन ने भी बेवफाई
जिंदा रहने का भी स्वप्न छोड़ दिया
अब क्या तोड़ोगे तुम हर गुल को
बाग़ का पत्ता-पत्ता भी ये कह कर रो दिया
मांगी माफ़ी माली ने, जब जानी अपनी गलती
भोले-भाले उपवन में फिर वसंत हो गया....
आज की कड़ियाँ
अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज
अच्छे सूत्र चयनित किये हैं आपने साथ में मेरी सोच को सम्मिलित किया धन्यवाद आपका !
जवाब देंहटाएंकृपया मेरा नाम ठीक कर लें "निवेदिता श्रीवास्तव" के स्थान पर आपने "नेहा श्रीवास्तव" लिख दिया है .....
@निवेदिता श्रीवास्तव
जवाब देंहटाएंभाभी प्रणाम ... भूल सुधार दी गई है ... ध्यान दिलाने के लिए आपका आभार | ऐसे ही स्नेह बनाएँ रखें |
सादर |
बढ़िया सूत्रीय बुलेटिन , शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
अच्छे सूत्रों के लिये धन्वायद। फूल का चाहे अंत समय आ जाये बहार तो उसके खिलने से ही है।
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन तुषार भाई ... आभार आपका |
जवाब देंहटाएंआप सबका आभार | बहुत बहुत शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंthnx sr / :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन :)
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