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बुधवार, 21 मई 2014

'मैं' मेरा अहम नहीं स्वत्व है



सबकुछ लिखने की कोशिश में मैंने अपने मैं को जगाया है 
'मैं' मेरा अहम नहीं 
स्वत्व है 
जन्मगत संस्कारों की धुरी है 
संस्कारों के गुम्बदों पर मर्यादा के धागे बाँध 
अमर्यादित शब्दों को मर्यादा के घेरे में 
लोगों के दिलों में उतारती हूँ 
सहनशीलता के बाँध को तोड़ 
रोती और रुलाती हूँ 
आँसू कमज़ोरी नहीं 
कायरता नहीं 
संवेदना के स्वर हैं 
इसी स्वर से परिवर्तन हुआ है 
होगा  … 



11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सुंदर आगाज के साथ सुंदर सूत्रों से सजा एक सुंदर बुलेटिन :)

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  2. सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन.....

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  3. मैं और संवेदना के स्वरों को नमन …………सुन्दर बुलेटिन ………आभार

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  4. मन की तरंगों का आशातीत परिणाम है ,बधाई खूबसूरत अंदाज़ के लिए

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  5. बहुत सुन्दर सूत्र...आभार

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  6. हमेशा की तरह खूबसूरत अंदाज़ लिए ..... बुलेटिन
    ………आभार

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  7. सहनशीलता के बाँध को तोड़
    रोती और रुलाती हूँ
    आँसू कमज़ोरी नहीं
    कायरता नहीं
    संवेदना के स्वर हैं
    इसी स्वर से परिवर्तन हुआ है
    होगा …
    Simply beautiful

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  8. आँसू कमज़ोरी नहीं
    कायरता नहीं
    संवेदना के स्वर हैं

    सुंदर कविता से सजे सूत्र।

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  9. बेहद उम्दा बुलेटिन दीदी ... प्रणाम स्वीकारें |

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