सबकुछ लिखने की कोशिश में मैंने अपने मैं को जगाया है
'मैं' मेरा अहम नहीं
स्वत्व है
जन्मगत संस्कारों की धुरी है
संस्कारों के गुम्बदों पर मर्यादा के धागे बाँध
अमर्यादित शब्दों को मर्यादा के घेरे में
लोगों के दिलों में उतारती हूँ
सहनशीलता के बाँध को तोड़
रोती और रुलाती हूँ
आँसू कमज़ोरी नहीं
कायरता नहीं
संवेदना के स्वर हैं
इसी स्वर से परिवर्तन हुआ है
होगा …
वाह सुंदर आगाज के साथ सुंदर सूत्रों से सजा एक सुंदर बुलेटिन :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन.....
जवाब देंहटाएंमैं और संवेदना के स्वरों को नमन …………सुन्दर बुलेटिन ………आभार
जवाब देंहटाएंमन की तरंगों का आशातीत परिणाम है ,बधाई खूबसूरत अंदाज़ के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र...आभार
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह खूबसूरत अंदाज़ लिए ..... बुलेटिन
जवाब देंहटाएं………आभार
सहनशीलता के बाँध को तोड़
जवाब देंहटाएंरोती और रुलाती हूँ
आँसू कमज़ोरी नहीं
कायरता नहीं
संवेदना के स्वर हैं
इसी स्वर से परिवर्तन हुआ है
होगा …
Simply beautiful
आँसू कमज़ोरी नहीं
जवाब देंहटाएंकायरता नहीं
संवेदना के स्वर हैं
सुंदर कविता से सजे सूत्र।
nikikathiriya.blogspot.in
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा बुलेटिन दीदी ... प्रणाम स्वीकारें |
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