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मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

भंडारा - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज आपको एक किस्सा सुनता हूँ ... कोई नया किस्सा नहीं है ... वही अपना जाना पहचाना वाला है ... पर फिर भी इस मे एक खास बात है ... यह किस्सा कभी पुराना नहीं होता ... चाहे वक़्त कितना भी बदल जाये |

आइये किस्से की ओर चलते है ...
अपनी बुढ़ी सास से बहु ने कहा -:
"माँ जी, आप अपना खाना बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी में जाना है ...!!"
बुढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे गैस चुल्हा जलाना नहीं आता ...!!"

तो बेटे ने कहा -: "माँ, अगले मोहल्ले मे जो काली माता का मंदिर है उसमें आज भंडारा है , तुम वहाँ चली जाओ खाना बनाना भी नहीं पड़ेगा !!!"
माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन कर मंदिर की ओर चली गई .....
यह पुरा वाक्या 8 साल का बेटा रोहन सुन रहा था |
पार्टी में जाते वक्त रास्ते में रोहन ने अपने पापा से कहा -:
"पापा, मैं जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना तब मैं भी अपना घर किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ....!!!
माँ ने उत्सुकतावश पुछा -: क्यों बेटा ?
रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ, जब मुझे भी किसी दिन ऐसी ही किसी पार्टी में जाना होगा
तब तुम भी तो किसी मंदिर में भंडारे में खाना खाने जाओगी ना और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर के मंदिर में जाना पड़े....
रोहन का जवाब सुनकर उस बेटे और बहु का सिर शर्म से नीचे झुक गया जो अपनी माँ को मंदिर के भंडारे के भरोसे में छोड़ आए थे............

तो साहब देखा न आपने ... किस्सा वही ... सुना सुनाया ... सबक हर बार नया |

सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. achhi kahani ke sath achhi buletin....sabhi link bhi achhe sazaye hain.....

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  2. और भंडारे होते रहें कम से कम माँ भूखी ना रहे एक सच ये भी ।
    मम्मी पापा की 38वीं विवाह वर्षगाँठ पर बधाई शिवम ।
    सुंदर हलचल सुंदर संयोजन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. nice links......................

    http://rishabhpoem.blogspot.in/

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं

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