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गुरुवार, 20 मार्च 2014

आराधना

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों सादर नमस्कार

आज प्रस्तुत है एक नई कहानी उम्मीद है आपको आजकल ये अंक पसंद आएगा | प्रस्तुत है आज का बुलेटिन |

"ओ हो माँ ! रुको तो सही, मैं आ रही हूँ ना | ऐसी भी क्या जल्दी है ?"

"बेटी जल्दी नहीं है तेरे पापा के खाने का समय हो रहा है इसलिए खाना तैयार करना है | रात को उनकी दवा का समय हो जायेगा | अच्छा बता तू क्या खाएगी ?"

"नहीं माँ, आज से आप नहीं मैं खाना बनाउंगी आप आराम करो | वरना उस दिन की तरह फिर से हाथ ना जल जाये |"

"नहीं नहीं ! तू क्यों रसोई को देखती है तू अपनी पढ़ाई में दिल लगा | ये सब काम तेरे करने के नहीं हैं |"

आराधना जल्दी से रसोई में आई और माँ का हाथ पकड़ कर उनके कमरे में ले गई |

"अब बैठो यहाँ पर आराम से और कोई काम करने की ज़रूरत नहीं है मेरे होते | जब तक तुम्हारी आँखों का ऑपरेशन नहीं करवा देती घर के काम से तुम्हारी छुट्टी | मैं सब अकेले ही देख लुंगी | पापा को क्या पसंद है मुझे पता है | मैं सब संभाल लूंगी | चलो जल्दी से लेट जाओ और मैं आँखों में दवाई डाल देती हूँ | फिर आँखें बंद कर के आराम कर लेना कुछ देर | कल ऑपरेशन है इसलिए आज कोई भी टेंशन नहीं लेना वरना फिर से बी. पी. बढ़ जायेगा | "

आराधना एक माध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी अपने माता पिता की एकलौती संतान थी | संस्कारों से परिपूर्ण और मृदुभाषी | पिछले कुछ समय से उनका जीवन प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते बीत रहा था | पहले पिताजी की बीमारी और अब माँ की आँखों में काला मोतिया बिन्द | बहुत समय से तबियत ठीक ना होने के कारण उनके इलाज में देरी हो रही थी | जिसके चलते माँ को रोज़मर्रा के काम काज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था |

पर साहस की धनी आराधना भी इन मुश्किलों से डरकर पीछे हटने वालों में से नहीं थी | उसने भी फैसला कर लिया था के इस बरस माँ का इलाज करवा कर ही दम लेगी | रुपया रुपया कर के पैसे जोड़ रही थी | डॉक्टरों और नर्सिंग होम के चक्कर काट रही थी | पिता और माता के सिवा उसकी दुनिया में और कोई नहीं था | उसका तो छोटा सा संसार बस उन दोनों में ही था |

आराधना जल्दी से रसोई में गई और उसने चूल्हे पर दाल चढ़ा दी | जल्दी जल्दी आटा गूंथ कर रोटियां बनायीं और बिजली की तेज़ी से खाना तयार कर दिया | रात को भोजन के उपरान्त उसने जल्दी जल्दी सब काम निपटाया और बिस्तर पर लेट गई और अगले दिन का इंतज़ार करने लगी | सोचते सोचते ना जाने कब उसकी आँख लग गई |

पौ फटने पर जब अलार्म की आवाज़ सुनी तो हडबडा कर उठी और सुबह के काम निपटने लगी | आज माँ को लेकर जाना था | आज उनकी आँखों का ऑपरेशन होना था | बारह बजे का समय मुक़र्रर हुआ था | सुबह से ही माँ को समझाने में लगी थी |

"माँ आज सब कुछ ठीक से हो जायेगा | चिंता की कोई बात नहीं है | डॉक्टर बहुत अच्छे हैं | डरने की कोई ज़रूरत नहीं हैं |" उसके पिता भी उसका साथ दे रहे थे | अपनी बीमारी के बाद भी उनके जोश में कोई कमी नहीं थी | बोले, "आज तो मैं भी साथ चलूँगा |"

समय पर घर से सब साथ में निकले और नर्सिंग होम पहुँच गए | वहां पहले से ही बुकिंग हो रखी थी | पहुँचते ही उसके पापा डॉक्टर के कमरे में गए और उनसे अपने लिए एक बिस्तर का इंतज़ाम करने की गुज़ारिश की | बीमार होने के बाद भी उनकी हिम्मत की दाद देनी तो बनती थी | अपने दर्द को भुलाकर मुश्किल के समय में अपनी जीवन संगनी के साथ खड़े रहने का जो जज्बा उनके दिल में था उससे उनका प्यार की इन्तेहां का पता चलता था | डॉक्टर ने भी उनकी उम्र और तबियत को देखते हुए तुरंत एक बेड का इंतज़ाम करवा दिया जिससे वो आराम कर सकें |

सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद माँ के साथ उनके ऑपरेशन के इंतज़ार में बैठ गए | दिल में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे | आराधना ने अपना मोबाइल फ़ोन निकला और इन्टरनेट चालू किया और अपने एक मित्र को सब कुछ बताया | मित्र ने भी उसका साथ देते हुए उसे शांत रहने को कहा और सब कुछ ठीक होने का आश्वासन दिया |

समय बीतता गया और दोनों के बीच बातें चलती रहीं | पल पल जो भी हो रहा था वो अपने मित्र को बताती जा रही थी | अपने दिल में उठते डर और धबराहट को बांटती जा रही थी | इस सबके बीच माँ ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थिएटर में चली गईं | आराधना और उसके पापा दोनों भगवान् से बस यही प्रार्थना कर रहे थे कि सब कुछ सुचारू रूप से हो जाये | उधर आराधना का दोस्त भी उसे तसल्ली दे रहा था |

अंततः खबर आई कि ऑपरेशन सही तरह से हो गया है | इतना सुनते ही सबकी जान में जान आई और आराधना की आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक आये | जिस काम के पूरा होने में दो वर्ष का समय लग गया था आज वो पूरा हो ही गया | उसने अपने दोस्त को फ़ोन पर बताया कि सब कुछ कुशल मंगल है | ऑपरेशन ठीक हो गया है | अपने दोस्त को ऐसे वक़्त में साथ रहने के लिए और उसकी हिम्मत बाँधने के लिए धन्यवाद् देकर उसने बताया अब वो माँ-पापा को लेकर घर जा रही है और फिर बाद में बात करेगी |

इस कहानी को आप सबको बताने का सिर्फ इतना ही मकसद है की एक तो आज  विश्व किस्सागोई दिवस है और दूसरा आज की दुनिया में स्त्री और पुरुष में कोई अंतर नहीं है | लड़कियां आज लड़कों से कहीं ज्यादा ज़िम्मेदार हैं | उन्हें लड़कों से ज्यादा अपने परिवार का ख्याल रहता है | यदि आराधना जैसी एक ही बेटी हर घर में है तो मैं तो कहता हूँ कि समझ लेना चाहियें के जीवन सुखों से परिपूर्ण है | इसलिए बेटियों का सदा मान करें, सम्मान करें और उन्हें प्यार और इज्ज़त दें | बेटियां बहुमूल्य हैं अमूल्य है | उन्हें समझें और उनके जीवन को खुशियों से भर दें |

जो लोग बेटियों के होने पर मातम मनाते हैं या मुंह लटका कर बैठ जाते हैं उनसे मेरी गुज़ारिश है ज़रा अपनी आँखें खोलें और आज की दुनिया में क्या हो रहा है देखें | बेटियों के हुनर और गुण को पहचाने और उनको अपने जीवन में उनका उचित स्थान दें उनका हक दें | भगवान् ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दे जो बेटियों को बोझ समझते हैं | अपने आँगन में गुनगुनाती इस गोरैया को पहचाने और उसे उन्मुक्त होकर चहकने दें | बेटियों को बचाएं समाज को बचाएं |

आज गौरैया दिवस है अगर उस चिड़िया रुपी गौरैया को विलुप्त होने से नहीं बचा सकते तो कम से कम अपने घर की इस गौरैया को तो बचने का अहद करें | बेटियां जीवन दयानी हैं इन्हें बचाएं | आप सभी को आज गौरैया दिवस की शुभकामनाएं |

आज की कड़ियाँ 
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रिश्तों को जल की तरह होना चाहियें ना ? - प्रीती सुराना

ओ री गौरैया - रश्मि शर्मा

मसाला चाय’ की युवाओं में बढ़‌ती लोकप्रियता - रविन्द्र प्रभात

क्या बतलाऊं - मदन मोहन बहेती "घोटू"

क्या इनको तुम जान सके ? - शिखा कौशिक

चुभते दिन चुभती रातें - वंदना गुप्ता

दिल की दहलीज़ - डॉoभावना कुँअर

आवाज दो - उदय वीर सिंह

कौन है वह - अनीता

रोंपा एक नया अफसाना - वंदना ग्रोवर

अनचाही यादें - प्रीती बाजपेयी

अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संयोजन...मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद

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  2. वाकई बहुत बहादुर गौरैया की कहाँनी है बहुत सुंदर :) सुंदर बुलेटिन ।

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  3. बेहद सार्थक प्रस्तुति ... कहानी के माध्यम से आज के दिन के महत्व को बेहद सटीक तरह से बताया है ... आभार तुषार |

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  4. बुलेटिन व तुषार भाई को , धन्यवाद !

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  5. शुक्रिया मित्रों :) बहुत बहुत आभार - जय हो मंगलमय हो

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  6. बहुत ही सुन्दर सूत्र, रोचक कहानी।

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  7. कहानी में छिपा सन्देश काबिले तारीफ है ...बधाई सुन्दर शब्द चयन एवं सयोजन के लिए, मेरी रचना को भी स्थान प्रदान करने क लिए सहृदय आभार ...

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  8. कहानी बहुत रोचक है सुंदर बोध कराती है..बहुत बहुत आभार !

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  9. कहानी का सन्देश प्रभावशाली है!! बहुत ही अच्छी बुलेटिन. प्रेरक भी और लिंक्स भी सुन्दर!!

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  10. आपकी खबर मुझे बहुत ही बेहतरीन लगी और भी जानकारी के लिए यह क्लिक करे https://newsup2date.com/category/religion/

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