सभी चिट्ठाकार मित्रों को सादर नमन।।
आज विश्व वानिकी दिवस है। वानिकी दिवस प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। विश्व वानिकी दिवस पहली बार वर्ष 1971 ई. में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन - सम्पदा का महत्व समझे तथा अपने - अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें। अगर हम अपने देश की बात करे तो भारत की 22.7 % भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व रह गया। लेकिन बढ़ती जनसंख्या, प्रदूषण और लकड़ियों की बढ़ती मांग के कारण ये जंगल भी जल्दी ही विलुप्ति के कगार पर आ जाएँगे। इसीलिए हमें ईश्वर की दी गई अमूल निधि यानि हमारे जंगलों को बचाना होगा। पृथ्वी पर इस हरे सोने के अस्तित्व के लिए हमें अपने आसपास पेड़ - पौधे अवश्य लगाने चाहिए। जय हिन्द। जय भारत।।
कल मशहूर पत्रकार, स्तम्भकार और लेखक खुशवंत सिंह जी का निधन हो गया। खुशवंत जी का जन्म 2 फरवरी, 1915 ई. को हदाली ( अब पाकिस्तान में ) में हुआ था। खुशवंत जी की प्रसिद्ध अंग्रेजी कृतियाँ है :- "ट्रेन टू पाकिस्तान", "आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल", "देल्ही", "ए हिस्ट्री ऑफ द सिख्स", "द सनसेट क्लब", "द लैसंस ऑफ माई लाइफ" आदि। वर्ष 1984 ई. में उन्होंने "ऑपरेशन ब्लू स्टार" के विरोध में "पदम् भूषण" सम्मान लौटा दिया था। आज हम सब खुशवंत सिंह जी को मौन श्रद्धांजलि अर्पित करते है सादर।।
अब चलते हैं आज कि बुलेटिन की ओर ………
आज कि बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे।।
आज विश्व वानिकी दिवस है। वानिकी दिवस प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। विश्व वानिकी दिवस पहली बार वर्ष 1971 ई. में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन - सम्पदा का महत्व समझे तथा अपने - अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें। अगर हम अपने देश की बात करे तो भारत की 22.7 % भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व रह गया। लेकिन बढ़ती जनसंख्या, प्रदूषण और लकड़ियों की बढ़ती मांग के कारण ये जंगल भी जल्दी ही विलुप्ति के कगार पर आ जाएँगे। इसीलिए हमें ईश्वर की दी गई अमूल निधि यानि हमारे जंगलों को बचाना होगा। पृथ्वी पर इस हरे सोने के अस्तित्व के लिए हमें अपने आसपास पेड़ - पौधे अवश्य लगाने चाहिए। जय हिन्द। जय भारत।।
खुशवंत सिंह |
कल मशहूर पत्रकार, स्तम्भकार और लेखक खुशवंत सिंह जी का निधन हो गया। खुशवंत जी का जन्म 2 फरवरी, 1915 ई. को हदाली ( अब पाकिस्तान में ) में हुआ था। खुशवंत जी की प्रसिद्ध अंग्रेजी कृतियाँ है :- "ट्रेन टू पाकिस्तान", "आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल", "देल्ही", "ए हिस्ट्री ऑफ द सिख्स", "द सनसेट क्लब", "द लैसंस ऑफ माई लाइफ" आदि। वर्ष 1984 ई. में उन्होंने "ऑपरेशन ब्लू स्टार" के विरोध में "पदम् भूषण" सम्मान लौटा दिया था। आज हम सब खुशवंत सिंह जी को मौन श्रद्धांजलि अर्पित करते है सादर।।
अब चलते हैं आज कि बुलेटिन की ओर ………
आज कि बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे।।
बढ़िया बुलेटिन व सूत्र संकलन , हर्षवर्धन भाई धन्यवाद
जवाब देंहटाएंⓘⓐⓢⓘⓗ ( हिन्दी जानकारियों का ब्लॉग )
खुशवंत जी को नमन और श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद हर्ष जी |
खुशवंत जी को श्रद्धाँजलि !
जवाब देंहटाएंसुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बुलेटिन.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंखुशवंत जी को श्रद्धांजलि.उनके कॉलम बहुत रोचक होते थे.
अच्छे लिंक्स ढूंढने की आपकी ये साधना हर्षित करने वाली है...मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
आपका बहुत बहुत आभार जानकी पुल
जवाब देंहटाएंअच्छा बुलेटिन खुशवंत सिंह जी को श्रद्धांजलि - जय हो
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