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मंगलवार, 13 अगस्त 2013

प्रियेसी

आदरणीय ब्लॉगर मित्रों सादर नमस्कार,
आज की एक झटपट बुलेटिन लेकर हाज़िर हुआ हूँ उम्मीद है कुछ असर तो डालने में कामयाब होगी ।

अरुण अधर, नीले नयन
मुख है चाँद चकोर
प्रियेसी एक होगी ऐसी
वो होगी मनभावन चित्त चोर
आएँगी खुशियों की शाम भी
हो ना ऐ दिल उदास
हर गीत जीवन में देगा
तुझको फिर एक नई आस
करेगा तू उस दिलबर पर
उम्रभर फिर नाज़.… 



आज की कड़ियाँ 

अफ़वाहें और उनसे जूझते हम सब - अविनाश वाचस्पति

एक लडकी के लिए इंजीनियर की प्रेम कविता - मस्ती मालगाड़ी

प्रेम - व्यापार - डॉ मंजुलता सिंह

तीन प्रेम कहानियां और मरलिन मुनरो की कविताएं! - राजेंद्र तिवारी

बातें तुम्हारी प्रिये क्यों ठहरी-ठहरी - अभिरंजन कुमार

मेरी व्यथा - मुकेश

राजस्थान की प्रेम कहानियाँ - रतन सिंह शेखावत

अपने ही मन से कुछ बोलें : अटल बिहारी बाजपेयी - प्रेम सरोवर

लौट आओ - सोम ठाकुर

प्रदीप सैनी की प्रेम कविताएं - बिमलेश

ज्वलंत समय में लिखना प्रेम कविता - प्रशांत

अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार

जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और रोचक सूत्रों से सजा बुलेटिन।

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  2. झटपटिया सही पर जोरदार बुलेटिन है तुषार भाई ... जय हो !

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  3. बहुत सुंदर लिंक्स.

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