Pages

सोमवार, 29 जुलाई 2013

भारत मे भी होना चाहिए एक यूनिवर्सल इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

ब्रिटेन और अमेरिका में कोई भी समस्या हो, एक ही यूनिवर्सल इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर पर मदद ली जा सकती है। दिल्ली में दामिनी प्रकरण के बाद हमारे देश में भी एकल हेल्पलाइन की जरूरत महसूस की जाने लगी फिर बात आई गई हो गई पर उत्तराखंड आपदा के समय भी इस तरह के नंबर की एक बार फिर जरूरत महसूस की गई ।  

आइए जानें देश और दुनिया में मौजूद हेल्पलाइन के बारे में.... 

भारत में

-हमारे देश में इस समय सरकारी आपातकालीन हेल्पलाइन के कई नंबर चल रहे हैं। जैसे यदि आपको पुलिस से तात्कालिक सहायता लेनी हो, तो इसके लिए 100 नंबर डायल करना होता है, आग लग जाए तो फायरब्रिगेड को बुलाने के लिए 101 नंबर है, वहीं दुर्घटना हो जाने पर एंबुलेंस बुलाने के लिए 102 और 108 नंबर उपलब्ध हैं। इसी प्रकार हर समस्या के लिए अलग-अलग नंबर मौजूद हैं।

-दामिनी प्रकरण के बाद दिल्ली सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा देने के लिहाज से हेल्पलाइन के रूप में 181 नंबर आरंभ किया है।

- इस प्रकरण के बाद से भारत में भी चर्चा चल निकली है कि अमेरिका और ब्रिटेन की तर्ज पर यहा भी एकल आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए। देश में इसकी जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही है।

- अधिक नंबर होने से अचानक किसी मुसीबत में फंसने पर संबंधित हेल्पलाइन नंबर याद रह पाने की समस्या बनी रहती है। इसलिए भारत में ऐसी हेल्पलाइन के बारे में विचार किया जा रहा है, जिस पर किसी भी समस्या के लिए कभी भी फोन किया जा सके।

विदेशों में

- पहला आपातकालीन नंबर ब्रिटेन में शुरू हुआ। 1 जुलाई, 1937 को लंदन में 999 नंबर की सेवा शुरू की गई, जिस पर पूरे देश में कहीं से भी कॉल किया जा सकता है।

- पहले अमेरिका में भी हमारे देश की तरह ही हर आपातकालीन समस्या के लिए अलग नंबर हुआ करता था।

-1957 में यूएस नेशनल एसोसिएशन ऑफ फायर के प्रमुख के मन में यह खयाल आया कि एक ऐसा नंबर होना चाहिए, जिस पर किसी भी आपात स्थिति में और किसी भी समस्या पर देश भर के लोग मदद के लिए कॉॅल कर सकें।

-एक दशक तक विचार-विमर्श के बाद 911 नंबर पर सहमति बनी।

-16 फरवरी, 1968 को पहली बार अलबामा के सीनेटर रैनकिन फाइट ने इस नंबर पर पहली कॉल की थी।

- पहली कॉल के बाद ही पूरे अमेरिका में इसका इस्तेमाल आम हो गया। इसे यूनिवर्सल इमरजेंसी नंबर कहा गया।

-अमेरिका के अलावा कनाडा, कोस्टारिका, जॉर्डन, लाइबेरिया, पराग्वे आदि में भी 911 ही यूनिवर्सल इमरजेंसी नंबर है।

-यूरोप, रूस, यूक्त्रेन, स्विट्जरलैंड आदि में 112 को यूनिवर्सल इमरजेंसी नंबर के रूप में 1990 में आरंभ किया गया। 

मेरी राय मे भारत मे भी जल्द से जल्द एक ही यूनिवर्सल इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर शुरू हो जाना चाहिए ... आप क्या कहते है ???

सादर आपका 
========================

एक चिट्ठी अपने प्रिय के नाम

मेरा पता..?

ग्राहम बेल की आवाज़ और कुदरत के कानून से इंसाफ।

नए सपने

भारत की २ महान विभूतियों को नमन

सायरन के घायल पाँव

युवा शिखर सम्मान (परिकल्पना ब्लॉग गौरव युवा सम्मान) 2013

द्वैध में द्वन्द्व, एकत्व में मुक्ति

सूर्यमुखी कन्या

"मैं" का सफर भी !!!

तिथियाँ

खोलिए आँख तो सवेरा है

मनोरंजन की "प्लानिंग" करता योजना आयोग

मायने बदल रही जिंदगी

-ज़मीर से हारे हुए लोग

========================
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

11 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने, सुंदर लिंक्स, आभार.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  2. एक हेल्प-लाईन नम्बर होना ही चाहिए, आपने सही बताया.

    सभी पठनीय पोस्ट लिंक्स,

    मेरी पोस्ट को सम्मलित करने के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  3. उपयोगी जानकारी ....सुंदर लिंक्स ...बढ़िया वार्ता ...!!

    जवाब देंहटाएं
  4. आपने बिल्कुल ठीक कहा भईया हमारे देश में ऐसी व्यवस्था होनी ही चाहिए, सुन्दर विचार।।
    आज की बुलेटिन भी लाजवाब है!!

    नये लेख : ग्राहम बेल की आवाज़ और कुदरत के कानून से इंसाफ।

    प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक : डॉ . सलीम अली

    जवाब देंहटाएं
  5. आपका कहना सही है, न केवल एक नम्बर हो, वरन कितनी देर में स्थान पर पहुँचा गया, वह भी सतत देखा जाये और उसे न्यूनतम भी किया जाये।

    जवाब देंहटाएं
  6. bahut sahi kaha... aur ye jitna jald ho, utna behtar...

    links to behtar hote hi hain... iske karan hi blog bulletin jana jata hai :)

    जवाब देंहटाएं
  7. सर जी, यहाँ फिर यही सुनने को मिलेगा कि इस रूट की सभी लाईने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कृपया थोड़ी देर बाद,,,,,,! :) उनकी नक़ल कर के ही तो आज देश की यह दुर्दशा है न उनकी तरह हो सके, न अपनी तरह के रहे !

    जवाब देंहटाएं
  8. sahi sujhav hai shivam bharat me es number ki adhik aabshyakta hai
    par aisa na ho bah no reply ho
    dhanyabad

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!