प्रिये ब्लॉग मित्रगण,
सादर नमस्कार
आज आपके समक्ष हाज़िर हूँ आपके जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कुछ पुरानी कहावतों के साथ जो हम सभी के जीवन में खास स्थान रखती हैं और हम में से बहुत से लोग इन्हें लगभग भुला चुके हैं | बड़े बूढों की कही बातों को आज हम नज़रंदाज़ करते हैं, उनका उपहास बनाते हैं, उन्हें संजीदगी से नहीं लेते परन्तु हम यह भूल गए हैं के आज हम जो भी हैं उन्ही के आशीर्वाद से हैं और उन्होंने जो भी बातें कहीं हैं वह अपने अनुभव के आधार पर कही हैं | वे हमारी स्तिथि-परिस्थतियों से भली भांति परिचित हैं और स्वयं इस समय से गुज़र चुके हैं | इसलिए जो कष्ट, मुश्किलें और परेशानियाँ वे झेल चुके हैं वह अपने अनुभव हमारे साथ साँझा कर हमें उन परिस्थितियों से बचाना चाहते हैं | इसलिए हमेशा अपने बड़ों की बात कम से कम सुने और याद रखिये, जीवन में उनका अनुसरण करें, उनका सम्मान करें, जीवन में सतर्क रहें और अपना जीवन स्वयं सुखमय बनाने का प्रयास करें | आभार
नोट : हर कहावत पर एक लिंक है | पोस्ट पढने के लिए कहावत पर क्लिक करें |
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अर्थात: - जन्म देने वाली माँ और हमारी धरती माँ मतलब जन्मभूमि से बढ़कर हमारे जीवन में कुछ और नहीं होता | जननी के पैरों तले स्वर्ग होता है और जन्मभूमि कैसी भी हो स्वर्ग के समान ही होती है | आप कही भी चले जाएँ माँ और मातृभूमि को आप कभी भुला नहीं सकते | इसलिए सदैव अपनी माता और सुख सुख धाम का आदर करें | आप कभी भी कहीं भी चले जाएँ परन्तु माता की गोद और आँचल की छाँव आपको और कहीं नहीं मिलेगी | उसी प्रकार जो मान, सम्मान, इज्ज़त और प्यार आपको अपनी धरती पर मिल सकता है वह और कहीं नहीं पायेंगे |
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अर्थात: - आपको चोट वही व्यक्ति पंहुचा सकता है जो आपका सबसे विश्वसनीय हो | जो आपे सभी भेदों से भली भांति परिचित हो | जीवन में हमेशा किसी पर भी आँख मूँद कर भरोसा न करें | क्योंकि आपको सबसे अधिक हानि प्रदान करने वाला वही होता है जो आपके राज़ जानता हो | आपके जीवन में सेंध लगाने की क्षमता, आपको विषम परिस्थितियों में पहुँचाने का उत्तरदायी और आपको बर्बाद करने का करक सिर्फ वह प्राणी हो सकता है जो आपके जीवन, परिस्थितियों और घर के हालातों से पूर्णतः परिचित हो | जिस प्रकार लंका और रावण तो ध्वस्त करने का श्रेय विभीषण को जाता है | इसलिए अपनी आस पास में उपस्थित ऐसे व्यक्तियों पर हमेशा ध्यान दें और अपना बचाव स्वयं करें |
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अर्थात: - आजकल जीवन बहुत ही मुश्किल हो गया है | कलयुग में दूसरों द्वेष का सामना करना और लोगों की जलन का पात्र बनना एक आम बात है | हम रोज़ किसी न किसी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों का सामना ज़रूर करते हैं जो बिना बात कहीं न कहीं, कभी न कभी हमसे टकरा जाते हैं और हमें बिना बात हानि पहुँचाने का प्रयत्न करते हैं | हमारे बारे में अनाप शानप कहते हैं | ऐसे लोग आपके ऑफिस, मोहल्ले, रिश्तेदारी आदि जगहों पर उपलब्ध रहते हैं | परन्तु हमें ऐसे लोगों के बातों पर ध्यान न देकर अपना जीवन यापन सुचारू रूप से व्यतीत करना चाहियें | ऐसे लोग सिर्फ गाल ही बजाना जानते हैं और एक समय पर स्वयं ठंडे हो जाते हैं | इनकी खोखली बातों पर ध्यान नहीं देना चाहियें | सुकून के साथ इश्वर में विश्वास रखकर जीवन को अपने तरीके से जीते हुए सुन्दर बनाने का प्रयास करते रहना चाहियें |
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अर्थात: - हमें वही चीज़ सुन्दर और आकर्षित लगती है जो हमारे पास नहीं होती या दूसरों के पास होती है | अपनी इन्द्रियों पर वश रखकर जितना प्रभु से हमें प्राप्त है उतने में ही संतोष करना चाहियें | आजकल कलयुगी संसार में हम सभी विलासता की ओर आकर्षित हैं जिसके चलते हमें अपनी हर बात हर सोच सही लगती है और हम वो कामनाएं करने लगते हैं जो हमारी पहुँच से बहार हैं | संसारक चकाचौंध से अत्यधिक प्रभावित हो हम हमारी आसपास की छोटी छोटी खुशियों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं और पहुँच से बहार के प्रलोभनों की तरफ मुंह कर तांकते रहते हैं | दूसरों की बातें, दूसरों की सोच तथा दूसरों की प्रतिक्रियों को सुन इतने वशीभूत हो जाते हैं के अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग करना ही भूल जाते हैं | अब इसे विराम देने का समय आ गया है | अब उनकी बातों को नकार अपनी सद्बुद्धि का प्रयोग करें और जीवन को सुखमय बनायें |
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अर्थात: - आज के परिवेश में लालच, लोभ, तृष्णा से ग्रस्त लोग अपनी मूल परिस्थिति को भूल आपे से बहार हुए जाते हैं | दूसरों को देख उनकी नकल करना, बाहरी चकाचौंध से प्रभावित हो अपने मूलभूत कर्तव्यों को ताक़ पर रख अनाप शनाप खर्चा करने में लग जाते हैं | ऐसे लोगों के लिए शान-ओ-शौक़त ज्यादा महत्त्व रखती है बनिस्बत इसके के वे अपने मौलिक जरूरतों को पूरा करें | ऐसे लोग आय से ज्यादा व्यय करते नज़र आते हैं | जीवन में ऐसा करना कदापि उचित नहीं है | आपकी जितनी क्षमता है उसके आदर पर अपने खर्चो को अंजाम दें | अन्यथा परिणाम स्वरुप आपको आगे चलकर जीवन में गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है | कृपया इस बात पर ज़रूर ध्यान देने का प्रयास करें |
आप भला तो जग भला
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अर्थात: - आजकल शायद इस बात का अर्थ सभी भुला चुके हैं । या कुछ ऐसा कहीं कि अब भले बन्ने का ज़माना नहीं रहा | अब भले मानस या तो किताबों में पढने में आते हैं या फिर फिल्मों और नाटकों आदि में क्योंकि इस दुनिया में भले मानस को बेवक़ूफ़ की संज्ञा से नवासा गया है | किसी से भी लड़ना, झगड़ना, गाली गलोच, ऊँची आवाज़, मार पिटाई, दबंगई करना, अपने वर्चस्व के लिए कुछ भी कर गुज़ारना इत्यादि आजकल प्रायः आम बात है ऐसे में भी मेरा ऐसा मानना है के यदि आप स्वयं अपनी इन्द्रियों पर काबू कर, अपने बर्ताव पर नियंत्रण रख, संयम बरतें | भलमानसाई करने वाला मानव बेवक़ूफ़ नहीं होता और द्रढ़ निश्चय वाला कर्मठ होता है | इसलिए हमेशा भलाई का काम करें, सुने सबकी करें अपने दिल की | क्योंकि यदि आप अच्छे है तो भगवान् कहीं का कहीं मुसीबत के समय आपके लिए भी किसी न किसी को निमीत्त बनाकर आपकी मदद के लिए ज़रूर भेजता है | यह मेरा निजी अनुभव है | औरों की मदद करें जहाँ तक हो सके, खुश रहे और सुकून से जीवन जियें |
अधजल गगरी छलकत जाये
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अर्थात: - आह! आज के युग की सबसे बड़ी समस्या | सभी अपने आप को ज्ञानी समझने लगे हैं | जिसे देखो ज्ञान देता फिरता है फिर चाहे खुद वह कितना ही मूर्ख और अज्ञानी क्यों न हो | अधूरा ज्ञान बहुत ही ख़तरनाक चीज़ है इसलिए जब तक आप के पाद किसी भी विषय में पूर्ण ज्ञान न हो तब तक आप अपने सुझाव और अपना मत व्यक्त न करें |
ओखली में सर दिया तो मुसल से क्या डरना
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अर्थात: - आजकल लोग ज़िम्मेदारी लेने से घबराते हैं | हर कार्य के लिए आसान तरीके ढूंढते हैं | यदि ज़रा भी अंदाज़ा हो के काम थोडा मुश्किल है या मुसीबत बड़ी है तो उससे कन्नी काट लेते हैं | मेरा ऐसा सोचना है के यदि आप सक्षम है और ज़िम्मेदारी उठाने के लिए समर्थ है तो अपने उत्तरदायित्व से कभी मुंह न मोड़ें | और अगर किसी कार्य को करने का बीड़ा उठाते हैं तो उससे कदम पीछे न हटायें | यदि एक बार रणभूमि में कूद पड़े हैं तो युद्ध जीत कर ही वापस आयें | पीठ दिखा कर न भागें | आज के युग में यह बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि कायर कहलाने से बेहतर है शहीद कहलायें |
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं
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अर्थात: - एक झूठ को छिपाने के लिए सौ तर्क वितर्क और करने पड़ते हैं | परन्तु जो सांच को कभी आंच नहीं होती | जो सत्य होता है वह सदैव समक्ष होता है | सच कभी किसी से नहीं छिपता | आज नहीं तो कल सामने आ ही जाता है | उसकी किसी प्रमाण की ज़रुरत नहीं होती | इसलिए हमेशा सच के साथ रहें | आपनी राह से न भटकें और हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करें | वो कहते हैं न झूठ के पाँव नहीं होते | झूठ कभी न कभी पकड़ा जाता है | सत्य का मार्ग कठिन ज़रूर है परन्तु उसमें आत्म संतोष बहुत है | इसलिए हमेशा सच का साथ दें और चैन की नींद सोयें |
जहाँ चाह वहां राह
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अर्थात: - कहते हैं यदि दिल में कुछ करने की ठान लो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है | घबराने या पलायन कर लेने भर से कुछ हासिल नहीं होता | यदि आप डरे बिना किसी भी कार्य में हाथ डालें और पूरी तयारी के साथ उस कार्य को करने का मन बना लें तो सभी रास्ते खुद-बा-खुद निकलते चले जाते हैं और वह काम सुचारू रूप से पूर्ण होता है | आजकल के जीवन में यह युक्ति बहुत कारगार है | कुछ भी करने से पहले भली भांति सोच विचार करें, उसके बारे में सभी जानकारी प्राप्त करें और मज़बूत होकर प्रभु का ध्यान कर दिल से उस करने को करने में जुट जाएँ | ऊपर वाला अपने आप सभी द्वार खोल देता है और सफलता प्राप्त होती है |
आप भला तो जग भला
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अर्थात: - आजकल शायद इस बात का अर्थ सभी भुला चुके हैं । या कुछ ऐसा कहीं कि अब भले बन्ने का ज़माना नहीं रहा | अब भले मानस या तो किताबों में पढने में आते हैं या फिर फिल्मों और नाटकों आदि में क्योंकि इस दुनिया में भले मानस को बेवक़ूफ़ की संज्ञा से नवासा गया है | किसी से भी लड़ना, झगड़ना, गाली गलोच, ऊँची आवाज़, मार पिटाई, दबंगई करना, अपने वर्चस्व के लिए कुछ भी कर गुज़ारना इत्यादि आजकल प्रायः आम बात है ऐसे में भी मेरा ऐसा मानना है के यदि आप स्वयं अपनी इन्द्रियों पर काबू कर, अपने बर्ताव पर नियंत्रण रख, संयम बरतें | भलमानसाई करने वाला मानव बेवक़ूफ़ नहीं होता और द्रढ़ निश्चय वाला कर्मठ होता है | इसलिए हमेशा भलाई का काम करें, सुने सबकी करें अपने दिल की | क्योंकि यदि आप अच्छे है तो भगवान् कहीं का कहीं मुसीबत के समय आपके लिए भी किसी न किसी को निमीत्त बनाकर आपकी मदद के लिए ज़रूर भेजता है | यह मेरा निजी अनुभव है | औरों की मदद करें जहाँ तक हो सके, खुश रहे और सुकून से जीवन जियें |
अधजल गगरी छलकत जाये
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अर्थात: - आह! आज के युग की सबसे बड़ी समस्या | सभी अपने आप को ज्ञानी समझने लगे हैं | जिसे देखो ज्ञान देता फिरता है फिर चाहे खुद वह कितना ही मूर्ख और अज्ञानी क्यों न हो | अधूरा ज्ञान बहुत ही ख़तरनाक चीज़ है इसलिए जब तक आप के पाद किसी भी विषय में पूर्ण ज्ञान न हो तब तक आप अपने सुझाव और अपना मत व्यक्त न करें |
ओखली में सर दिया तो मुसल से क्या डरना
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अर्थात: - आजकल लोग ज़िम्मेदारी लेने से घबराते हैं | हर कार्य के लिए आसान तरीके ढूंढते हैं | यदि ज़रा भी अंदाज़ा हो के काम थोडा मुश्किल है या मुसीबत बड़ी है तो उससे कन्नी काट लेते हैं | मेरा ऐसा सोचना है के यदि आप सक्षम है और ज़िम्मेदारी उठाने के लिए समर्थ है तो अपने उत्तरदायित्व से कभी मुंह न मोड़ें | और अगर किसी कार्य को करने का बीड़ा उठाते हैं तो उससे कदम पीछे न हटायें | यदि एक बार रणभूमि में कूद पड़े हैं तो युद्ध जीत कर ही वापस आयें | पीठ दिखा कर न भागें | आज के युग में यह बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि कायर कहलाने से बेहतर है शहीद कहलायें |
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं
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अर्थात: - एक झूठ को छिपाने के लिए सौ तर्क वितर्क और करने पड़ते हैं | परन्तु जो सांच को कभी आंच नहीं होती | जो सत्य होता है वह सदैव समक्ष होता है | सच कभी किसी से नहीं छिपता | आज नहीं तो कल सामने आ ही जाता है | उसकी किसी प्रमाण की ज़रुरत नहीं होती | इसलिए हमेशा सच के साथ रहें | आपनी राह से न भटकें और हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करें | वो कहते हैं न झूठ के पाँव नहीं होते | झूठ कभी न कभी पकड़ा जाता है | सत्य का मार्ग कठिन ज़रूर है परन्तु उसमें आत्म संतोष बहुत है | इसलिए हमेशा सच का साथ दें और चैन की नींद सोयें |
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अर्थात: - कहते हैं जो हमेशा सुख और संपन्नता का जीवन व्यतीत करता है वह विषम परिस्थितियों में अनुकूल व्यवहार नहीं कर पाता | उससे हमेशा सब कुछ अच्छा ही अच्छा नज़र आता है ख़ास तौर पर उन्हें असलियत का सामना करने में बहुत दिक्कतें पेश आती हैं | आजकल के परिवेश में यह कहावत बेहद सार्थक है | हम अपने बच्चों को बेहद लाड़ प्यार से पालते पोसते हैं | उन्हें जीवन में आने वाली कठिनाइयों से अवगत करना भूल जाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप आगे चलकर उन्हें अपने जीवन में ऐसी अवस्था आने पर निर्णायक फैसले लेने में दिक्कतें पेश आती हैं | मेरा ऐसा कहना है के अपने बालकों को की नींव मज़बूत बनायें, उन्हें जीवन में हर परिस्थिति का सामना धर्य, बुद्धि और विवेक से करने का पाठ पढ़ायें और उन्हें जीवन के कटु अनुभवों से भली भांति अवगत कराएँ जिससे वह एक विवेकशील विचारधारा के साथ अपने जीवन में सही निर्णय लेने में सक्षम बन सकें |
जहाँ चाह वहां राह
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अर्थात: - कहते हैं यदि दिल में कुछ करने की ठान लो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है | घबराने या पलायन कर लेने भर से कुछ हासिल नहीं होता | यदि आप डरे बिना किसी भी कार्य में हाथ डालें और पूरी तयारी के साथ उस कार्य को करने का मन बना लें तो सभी रास्ते खुद-बा-खुद निकलते चले जाते हैं और वह काम सुचारू रूप से पूर्ण होता है | आजकल के जीवन में यह युक्ति बहुत कारगार है | कुछ भी करने से पहले भली भांति सोच विचार करें, उसके बारे में सभी जानकारी प्राप्त करें और मज़बूत होकर प्रभु का ध्यान कर दिल से उस करने को करने में जुट जाएँ | ऊपर वाला अपने आप सभी द्वार खोल देता है और सफलता प्राप्त होती है |
धन्यवाद् और आभार
आज के लिए इतना ही कल फिर मुलाक़ात होगी ।
जय श्री राम । जय कारा भोलेनाथ का - हर हर महादेव । जय बजरंगबली महाराज ।
सही लिंक्स..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
अच्छा लगा यहां आकर
सादर
tusi great ho
जवाब देंहटाएंsau baat ki ek baat
God Bless U
कहावत = यानि जो कही गईं
जवाब देंहटाएंसुनो = जो कहा जा रहा है ताकि कहावत बन सके
बहुत ही सधे हुये लिंक्स, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
Tushar ji, thanks for sharing great links.
जवाब देंहटाएंआज और भी बढ़िया बुलेटिन पेश की है। आभार
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा प्रस्तुति तुषार भाई ... इन पुरानी कहावतों को बेहद मोहक अंदाज़ मे पेश किया आपने ऊपर से लिंक्स भी सब एक से बढ़ कर एक !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंयाद आती भूली कहावतें।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में लिंक्स देने का नया प्रयोग प्रशंसा के योग्य है. इस नए अन्दाज़ में बहुत कुछ नया पढ़ने को भी मिला. बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबढिया बुलेटिन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंलिंक्स भी अच्छे..
शुक्रिया
अनु
कहावतें अच्छी याद दिला दीं.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएं