Pages

मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

बिस्मिल का शेर - आजाद हिंद फौज - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,

प्रणाम !

कभी बिस्मिल जी ने कहा था ...

" ए शहीद ए मुल्क ओ मिल्लत ... मैं तेरे ऊपर निसार ... 
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ... गैर की महफिल मे है ! "


बिस्मिल जी का कहा यह शेर और भी चमक पा गया जब ब्रिटेन के चेल्सी स्थित नेशनल म्यूजियम में शनिवार को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 100 से अधिक हस्तियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1944 में इंफाल और कोहिमा के नजदीक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज और जापान की संयुक्त सेना को पीछे हटाने के लिए ब्रिटेन की सेना के संघर्ष को ब्रिटिश सेना से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई घोषित किया ।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1944 में इंफाल और कोहिमा के नजदीक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद फौज और जापान की संयुक्त सेना को पीछे हटाने के लिए ब्रिटेन की सेना को काफी संघर्ष करना पड़ा था। इसे ब्रिटिश सेना से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई घोषित किया गया है। चेल्सी स्थित नेशनल म्यूजियम में शनिवार को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में 100 से अधिक हस्तियों ने इस लड़ाई के पक्ष में मतदान किया।

वर्ष 1944 में भारत के पूर्वोत्तर इलाके में हुई इस लड़ाई ने नेशनल आर्मी म्यूजियम की ओर से कराई गई प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया है। ब्रिटेन की सबसे महान लड़ाई की पहचान करने के लिए आयोजित की गई इस प्रतियोगिता में इसे सबसे ज्यादा मत मिले। इंफाल और कोहिमा की लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल विलियम स्लिम के नेतृत्व में ब्रिटेन और भारतीय सेना ने जापानी सेना को पीछे खदेड़ दिया था। इस लड़ाई में जापान और आजाद हिंद फौज के करीब 53 हजार सैनिक मारे गए थे और कई लापता हो गए थे। इंफाल में ब्रिटिश सेना के 12,500 सैनिक हताहत हुए थे, जबकि कोहिमा में अन्य चार हजार सैनिक मारे गए गए थे।

वोटिंग में इंफाल-कोहिमा की इस लड़ाई को पांच लड़ाइयों की सूची में सबसे पहले पायदान पर रखा गया है। इंफाल-कोहिमा की जंग को आधे से ज्यादा मत हासिल हुए। वर्ष 1944 में ही हुई नॉरमैंडी की लड़ाई को 25 फीसद मत हासिल हुए और यह दूसरे स्थान पर रही, जबकि 1815 में लड़ी गई वाटरलू की जंग 22 फीसद वोट के साथ तीसरे पायदान पर रही। रॉयल हिस्टोरिकल सोसायटी के फैलो व लेखक डॉक्टर रॉबर्ट लेमैन ने इंफाल-कोहिमा लड़ाई के संबंध में करीब 40 मिनट तक अपनी प्रस्तुति दी। वर्ष 1944 में इंफाल की लड़ाई मार्च-जुलाई तक चली थी, जबकि कोहिमा की लड़ाई अप्रैल में शुरू होकर जून में समाप्त हो गई थी। डॉ. लेमैन ने कहा, "मुझे लग रहा था कि डी-डे या वाटरलू जैसी बड़ी लड़ाइयों में से ही कोई विजेता घोषित होगी। मुझे खुशी है कि इंफाल-कोहिमा को सबसे बड़ी लड़ाई घोषित किया गया। किसी भी लड़ाई की महानता उसके राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक असर से आंकी जाती है।"

अब जब दुश्मन भी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज के रण कौशल के गुण गा रहे है ... क्या कोई सरकारी इतिहासकार यह बताने का कष्ट करेगा कि 1944 मे जब यह लड़ाई लड़ी जा रही थी तब भारत मे इस लड़ाई को किस रूप मे देखा या दिखाया गया था ???

शायद ही कोई जवाब मिले ...

दरअसल उस दौरान अंग्रेजों और उनके कोंग्रेसी सहयोगी मित्रों ने उस समय कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि भारत की आम जनता तक यह समाचार पहुँचे ही नहीं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज भारत मे दाखिल हो चुकी है और अंग्रेजों के छक्के छुड़ा रही है !

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ज़िंदाबाद ... 
आज़ाद हिन्द फौज ज़िंदाबाद ...

सादर आपका 


शिवम मिश्रा  
=================================== 
 

माँ और बेटा...

Archana at अपना घर
*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी तस्वीर मेरे मेल आई डी- archanachaoji@gmail.com पर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो तस्वीर में.....* *और आज की तस्वीर में है प्रशान्त यानि पी डी.......अपनी माताजी "मम्मी" के साथ (यही नाम बताया पी डी ने...:-) )* *और प्रशान्त का ब्लॉग है --* *मेरी छोटी सी दुनिया*

टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!

Ashok Saluja at यादें...
*जिन्दगी के टूटे सिरों को * *मैं फिर से जोड़ लेता हूँ, * *ग़मों के बिछोने पर * *ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ... * *---अशोक 'अकेला'* *टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!* * अपने हौंसलो से, होड़ लेता हू* * मिले महोब्बत, निचोड़ लेता हूँ* * * * दुनियां के झूठे, रीति-रिवाजो से* * मुस्करा , मुहँ को मोड़ लेता हूँ* * * * अपने ग़मों के, बिछोने पर* * ख़ुशी की चादर, ओड़ लेता हूँ* * * * उलझी जिन्दगी, की डोर को* * हाथ से ख़ुद, तोड़ लेता हूँ* * * * अब तो आदत, सी हो गई है* * टूटे रिश्तों को, जोड़ लेता हूँ* * * * ज़माने संग, चल सकता नही अब* * बस 'अकेला' सपनों में, दोड़ लेता हूँ...* अशोक'अकेला'

"Ten On Ten"

माधव( Madhav) at माधव
माधव के क्लास मे पहला टेस्ट हुआ था. टेस्ट नंबर वैल्यू का था (Test of value). माधव का यह पहला लिखित टेस्ट (Written Test) था . इक्जाम का रिजल्ट बहुत उत्साहवर्धक रहा. माधव को दस मे दस नंबर मिले . क्लास टीचर ने कॉपी मे वेरी गुड लिखा और स्टीकर दिया .

तुम अपनी उड़ान भरो नभ में ............ प्यारी बेटियों के लिए .

तुम खूब पढ़ों तुम खूब बढ़ो आगे सदा ही बढ़ते रहना डरो न तुम कभी किसी  more »

क्या रटे रटाए और सुने सुनाये बयानों को सुनना हमारी मज़बूरी है !!

पूरण खण्डेलवाल at शंखनाद
देश के सामने स्थतियाँ बड़ी विकट है जिनको देश चलाने कि जिम्मेदारी दी वही देश को लुट रहे हैं ! अपनी जिम्मेदारियों में वो ना केवल नाकाम साबित हो रहें है वर्ना दीमक कि तरह देश को खोखला करते जा रहे है ! ना हमारी सीमाएं सुरक्षित है ना हमारे जंगल ,जमीं और नदियाँ सुरक्षित है ! आम आदमी भूख और भय के वातावरण में जी रहा है ! माँ,बहन बेटियाँ हमारी सुरक्षित नहीं है ! इसी देश के वाशिंदे शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर है ! इतना सब सामने होते हुए भी हमें केवल और केवल उन्ही घिसे पीटे और रटे रटाए बयानों को सुनना पड़ता है जिनको हम कितनी बार आगे भी सुन चुके होते हैं ! क्या उन्ही बयानों से हमारा भला  more »

इंसानी भेड़िये कहीं बाहर से नहीं आते ---

डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
दिल्ली में एक पांच वर्षीय बच्ची के साथ हुए अमानवीय कुकृत्य से सारा देश शोकाकुल है और शर्मशार भी। क्रोधित भी है क्योंकि व्यवस्था से जैसे विश्वास सा उठ गया है। ऐसे में आम आदमी का गुस्सा उबल पड़ा है। प्रस्तुत हैं इसी विषय पर कुछ मन के उद्गार , एक कवि की दृष्टि से : १) दिल खुश हुआ कि, दिल्ली दमदार हुई , फिर एक बार पर, दिल्ली शर्मसार हुई। कुछ जंगली भेड़ियों की कारिस्तानी से, फिर दिल्ली में इंसानियत की हार हुई। २) निर्मल कोमल से, कच्ची धूप होते हैं, बच्चे भगवान् का ही स्वरुप होते हैं। जो मासूमों को कुचलते हैं बेरहमी से , उनके उजले चेहरे कितने कुरूप होते हैं। ३) सीने में जलन है... more »

महान फिल्म निर्देशक सत्यजित रे की २१ वीं पुण्यतिथि पर विशेष

शिवम् मिश्रा at बुरा भला
सत्यजित राय (बंगाली: সত্যজিৎ রায়) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज़ाँ रन्वार से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (Ladri di biciclette, बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जी... more »

वृद्धावस्था में नेत्ररोग मोतियाबिंद - आवश्यक जानकारी व उपचार.

जब किसी कारणवश आँख के लैंस की पारदर्शिता कम या समाप्त हो जाती है जिससे व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता है तो उस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं । इस रोग का प्रभाव सामान्यतः वृद्धावस्था में अधिक होता है किन्तु कभी किन्हीं विशेष परिस्थितियों में युवा, बच्चे व नवजात शिशु पर भी इसका प्रभाव हो सकता है । इस रोग का समय रहते उपचार करवा लेने पर सामान्य दृष्टि पुनः प्राप्त की जा सकती है । *मोतियाबिंद का कारण* - सामान्यतः वृद्धावस्था, विटामिन तथा प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की शरीर में कमी, सूर्य किरण तथा विषाक्त पदार्थों के सेवन से होना पाया जाता है । मधुमेह, आनुवंशिकता तथा ... more »

काबुलीवाले ! अब मत आना

मैंने कभी नहीं सोचा था मैं ये रचनाएँ पोस्ट करुँगी, जिन मासूम चेहरों पर सिर्फ बेफिक्री होनी चाहिए उनके साथ हर जगह वेहशीपन हो रहा है,चाहें अपने हो या पराये, घरों में अनाथालयों में सब जगह वही हाल है, इस पोस्ट पर कमेंट बंद रख रहीं हूँ :-( (१ ) काबुलीवाले ! अब मत आना तुम्हारी पोटली डराती है तुम्हारा स्पर्श चौंकाता है बहेलिये से लगते हो छिप जाते है खरगोश से मासूम किन्ही कोनो में किलकारी अब सिसकी है चहकना सुबकने सा है (२) जिन खिलौनों को उनके बनाने वाले ठुकरा देते है उन्हें पाने वाले मनचाहा खेलते है तुम कहते हो ईश्वर है (३) सुना है प्रभु काम बहुत बढ़ गया है धरती पर विभाग शिफ्ट कर रहे हो ... more »

या फिर लिखते रहो यूँ ही कुछ कुछ -

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
धूल से सने पाँव एक दूसरे के बाल खींचते हाथ तमतमाए चेहरे कान उमेठे जाने पर अपमानित चेहरा और प्रण लेता मन .... अगली बार देख लेंगे .... भाई-बहन के बीच का यह रिश्ता कुछ खट्टा कुछ मीठा कितना जबरदस्त !.... शैतानियों के जंगल से अगले कारनामे की तैयारी कितने मन से होती थी ! ...... फिर स्कूल,कॉलेज,किसी की नौकरी,किसी की शादी ..... कुछ उदासी,कुछ अकेलापन तो रहने लगा छुट्टियों का इंतज़ार छोटी छोटी लड़ाइयाँ अकेले होने का डर फिर भी शिकायतों की पिटारी .... अगली छुट्टी के लिए ! फिर अपना घर,अपनी परेशानी आसान नहीं रह जाती ज़िन्दगी उतनी जितनी माँ के आँचल में होती है एक नहीं कई तरफ दृष्टि घुम... more »

नन्ही चिरैया

Neelima at Rhythm
हौले हौले कदमो से चलती मैं नन्ही चिड़िया तेरे घोंसले की उड़ना हैं मुझे छूना हैं अनंत आकाश की ऊँचाई को मेरे नन्हे पंखो में परवाज नही हौसला हैं बुलंदी का भयभीत हैं अंदरूनी कोन आकाश भरा हुआ हैं बड़े पंखो वाले पक्षियों से सफ़ेद बगुले ही अक्सर शिकार करते हैं मूक रहकर माँ मैं नन्ही चिरैया कैसे ऊँचा उड़ पाऊंगी इन भयंकर पक्षियों में मैं कैसे पहचानू ? यह उड़ा न के साथी या दरिन्दे मेरी जात के आसमा से कहो थोडा ऊँचा हो जाये मुझे उड़ना हैं अन्तरिक्ष तलक........Neelima thank you so much

गुलाबी मैना

तिलयार नाम सुनते ही रोहतक की झील (और ब्लागर मीट) याद आती है, लेकिन यह एक चिड़िया का भी नाम है। मैना परिवार की इस चिड़िया को गुलाबी मैना भी कहा जाता है और इसका मधुर कन्नड़ नाम है, मधुसारिका। अंगरेजी नाम रोजी स्टारलिंग, रोजी पास्टर या रोजकलर्ड स्टारलिंग है। नवा-नइया तालाब के आसमान पर शाम का नजारा इनसेट में 24 मई 2000 को जारी डाक टिकट संकरी-पेन्ड्रीडीह बाइपास मार्ग पर बिलासपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर बेलमुड़ी (बेलमुण्डी) गांव में नवा तालाब को घेरे, अर्द्धचंद्राकार लंबाई में फैला नइया तालाब सड़क से दिखता है। तालाब के 'पुंछा' वाले हिस्से में 'पटइता' घास है। नइया तालाब का यह भाग लाख संख्‍... more »

कार्टून:-अरे मियां कुछ आराम से चला करो


धुंध दहशत की हर घर पलेगी------

पत्थरों का दर्द भी कोई दर्द है फूंक कर बैठो यहाँ पर गर्द है---- मुखबरी होगी यहीं से बैठकर अस्मिता की रात में खिल्ली उड़ेगी अफवाहों की जहरीली हवा से धुंध दहशत की हर घर पलेगी पीसकर खा रहे ताज़ी गुठलियाँ क्या करें थूककर चाटना फर्ज है---- पी रहे दांत निपोरे कच्ची दारु जो मिली ... more »

कर्म और अकमणयता

तुषार राज रस्तोगी at तमाशा-ए-जिंदगी
हे प्रभु! आपने तो बचपन से ही कर्म को प्रधानता दी फिर यह मध्यकाल आते-आते अकमणयता को क्यों बाँध लिया अपने सर का सेहरा बना कर, बनाकर एक अकमणयता की सेज तुम्हारी ये निद्रा तुम्हारे ही लिए नहीं समस्त जन को पीड़ा की सेज देगी बैठा कर स्वजनों को काँटों की सेज पर पहना कर काँटों के ताज को तुम ईशु नहीं कहलाओगे कहलाओगे सैय्याद तुम अपनी निद्रा त्यागो तुम कर्म की वो राह चुनो जो पीडित स्वजनों को रहत दे ऐसी राहत जिसे सुनकर मृत भी जी उठे
 ===================================
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

19 टिप्‍पणियां:

  1. नेताजी की जय हो ..... वन्देमातरम....बढ़िया लिंक....अब देखना शुरू कर रहा हूँ |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बड़िया जानकारी, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. नेताजी के बारे में बहुत अच्छी जानकारी !!
    आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तम चयन से परिपूर्ण ! आभार सहित...

    जवाब देंहटाएं
  5. लिंक सहेजे हैं समय मिलते ही पढूंगी ..... पर एक बात जरूर कहूंगी हमेशा की तरह --ब्लॉग बुलेटिन की प्रस्तावना के आलेख बेजोड़ होते हैं और जानकारीप्रद भी ....तुम्हारी जितनी तारीफ़ की जाए इनके लिए कम है ....
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. उनका भी शेर से पाला पड़ा था..सुन्दर सूत्र..

    जवाब देंहटाएं
  8. ब्लॉग बुलेटिन की सफलता उसके विशेष अंदाज होते हैं ........... और जब कभी उस सफ़र में खुद को पाया है बहुत ख़ुशी मिलती है ....

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरे पोस्ट 'तुम उड़न भरो नभ में' को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया !बहुत सुंदर सजाया आपने ..

    जवाब देंहटाएं
  10. नेता जी को नमन
    वन्दे मातरम
    आजाद हिद फौज का बढ़िया परिचय
    गजब के लिंक
    सुंदर संयोजन
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    मुझे सम्मलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. अनमोल जानकारी है यह.. आपकी इस खोजी नजर की नजर उतारने को जी चाहता है!! नेता जी के जीवन से जुडी हर बात अद्वितीय है और यह तथ्य तो सचमुच कमाल के हैं!!

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया बुलेटिन.....
    लिक्स कुछ देखे, बाकी अब देखते हैं...
    शुक्रिया शिवम्
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  13. बढ़िया जानकारी + बढ़िया लिनक्स = बढ़िया बुलेटिन .

    जवाब देंहटाएं
  14. .बढ़िया लिंक.

    मेरे पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  15. सार्थक पोस्ट।
    बढ़िया लिंक्स। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  16. शिवम् जी ..आपके स्नेह का ऋणी हूँ !
    शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  17. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!