दिल्ली.. सोती दिल्ली...
बिना बात के रोती दिल्ली...
डरती और सहमती दिल्ली
अपनी शक्ल दुनियां से छिपाती दिल्ली
कभी रोती तो कभी सिसकती दिल्ली
जी दिल्ली का यही हाल है। सुरक्षा को ताक पर रखकर अपराधी खुल्ले घूमते हैं और राजधानी की पुलिस दो हज़ार की रिश्वत देकर अपना दामन साफ़ कर लेनें की कोशिश करती है। शर्मनाक! शब्द नहीं हैं इस दुर्दशा की कहानी कहनें को.... इस बिखरी हुई दिल्ली को समेटेगा कौन.. कोई राजनीतिक नेतृत्व तो है नहीं तो फ़िर ? शायद कोई भी नहीं... इसपर भी केवल राजनीति होगी और केवल बयानबाजी....
जनता के पास क्या रास्ता है.... शायद बगावत और केवल बगावत.. जनपथ पर अब केवल बगावत की एक ज़रिया बचा है। कठोर सजाएं हों, फ़ैसले तुरन्त हों। कानूनी प्रक्रिया सरल हो... पुलिस पर लगाम लगाई जा सके क्योंकी दो हज़ार रुपये की रिश्वत देकर मामले को दबाने की कोशिश अपनें आप में शर्मनाक है।
विरोध का एक स्वर कहता पोस्टर |
चलिए आज के बुलेटिन की ओर चलें
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मत कहना दिलदार दिल्ली अब
तेरी यादों का मौसम...
प्रसव पीड़ा
गुड़िया को बचाना है तो भेजा फ्राई करें
मेरे पास एक मुश्त रकम है और निवेश करना चाहता हूँ, कहाँ और कैसे निवेश करूँ.. म्यूचयल फ़ंड, इक्विटी, डेब्ट ?
अकरम की शादी
जिला मासूमगंज, थाना मिसरपुर, गाँव पुरैनी
परमात्मा की अनोखी भेंट .....
क्या पारम्परिक परिधान रूढ़ीवाद व पिछड़ेपन की निशानी है ?
भानगढ़ की रत्नावती से एक मुलाकात
भारत चीनी घुसपैठी मामले में चीन के सम्पर्क में.
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आपका देव
बढ़िया सूत्र....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंक्या कहा जाये ... और अब तो केवल दिल्ली ही नहीं हर जगह से इसी तरह की मनहूस खबरों का एक दौर सा चल निकला है ... न जाने क्या होता जा रहा है हमारे समाज को !
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन देव बाबू !
सिर्फ हाल दिल्ली का नहीं है हर शहर में यही हाल है ..
जवाब देंहटाएंपता नहीं हम किस प्रकार का विकास कर रहे है
नैतिक मूल्यों के आज कोई मायने नहीं रह गए है
दुःख और क्षोभ होता है यह सब देखकर !
बढ़िया लिंक्स आभार मुझे इन में शामिल किया !
कहाँ से लाऊं वो खिलखिलाती चहचहाती मुस्कुराती दिल्ली अब
जवाब देंहटाएंअब की बार तो अपनों से ही शर्मसार हुई दिल्ली अब
दरिंदगी की इंतेहा देख देख गर्दन उसकी झुक गयी है
कैसे करे नकाबपोशों को तडीपार दिल्ली अब
कहाँ से लाऊं वो खिलखिलाती चहचहाती मुस्कुराती दिल्ली अब
जवाब देंहटाएंअब की बार तो अपनों से ही शर्मसार हुई दिल्ली अब
दरिंदगी की इंतेहा देख देख गर्दन उसकी झुक गयी है
कैसे करे नकाबपोशों को तडीपार दिल्ली अब