प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
आज १३
अप्रैल है ... यूं तो हम में से काफी लोगो की ज़िन्दगी में इस दिन का कोई न
कोई ख़ास महत्व जरूर होगा ... किसी का जन्मदिन या फिर किसी की शादी की
वर्षगाँठ ... कुछ भी हो सकता है ... खैर जो भी हो ... आप आज उस खास पल को
याद जरूर कीजियेगा जिस पल ने आप की ज़िन्दगी को ऐसे हजारो खुशनुमा पल दिए !
बस एक छोटी सी गुज़ारिश है ...
साथ साथ याद कीजियेगा उन हजारो बेगुनाह लोगो को जिन को आज के ही दिन
गोलियों से भुन दिया गया सिर्फ इस लिए क्यों की वो अपने अधिकारों की बात कर
रहे थे ... आज़ादी की बात कर रहे थे ... जी हाँ ... आप की रोज़मर्रा की इस
आपाधापी भरी ज़िन्दगी में से मैं कुछ पल मांग रहा हूँ ... जलियाँवाला बाग़ के अमर शहीदों के लिए ... जिन को आजतक हमारी सरकार ने शहीद का दर्जा भी नहीं दिया जब कि देश को आजाद हुए भी अब ६६ साल हो जायेंगे !!!
अन्दर जाने का रास्ता ... तंग होने के कारण जनरल डायर अन्दर टैंक नहीं ले जा पाया था ... नहीं तो और भी ना जाने कितने लोग मारे जाते !! |
बाग़ की दीवालों पर गोलियों के निशान |
यहाँ से ही सिपाहियों ने भीड़ पर गोलियां चलाई थी |
हत्याकांड का एक (काल्पनिक) चित्र |
शहीद स्मारक |
सूचना |
इस से पहले भी आप से मैं ऐसी गुजारिश कर चुका हूँ ... आगे भी करता रहूँगा ... ताकि हम भी सरकार की तरह उन अमर शहीदों को भूल न जाएँ !
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से जलियाँवाला बाग़ के सभी अमर शहीदों को हमारा शत शत नमन !!
सादर आपका
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जलियाँवाला बाग़ के शहीदों को श्रद्धांजलि...
दिलीप at दिल की कलम से...
कोई कुछ बोल रहा था... कोई कुछ सुन रहा था... हवा सुन्न थी... न कुछ बोल रही थी... न सुन रही थी... क्यूंकीवही जानती थी शायद... कि क्या होने वाला है... कुछ बूट रौन्द्ते चले आए ज़मीं को... इंसान नहीं बस वर्दी में कुछ कठपुतलियाँ थीं... एक गोरे ने धागा खींचा... गोलियाँचिल्ला पड़ी... बच्चे बूढ़े औरत थोड़ा चीखे फिर... खामोश हो गये... उस बैसाखी ने कितने ही घरों को... बैसाखियाँ थमा दी... मैं वो कुआँ था जो हाथ फैला के वही पड़ा था... कितने दौड़ कर मेरी बाहों में आए... गोद में लुढ़क गये... उस दिन सोचा शायद मुझमें जान होती... इतनी जानें नहीं जाने देता... तब उन भूरे मुलाज़िमों से गोलियाँ खाई थी... आज गालि... more »
मलयालम थर्टीन!!!
आशीष ढ़पोरशंख/ ਆਸ਼ੀਸ਼ ਢ਼ਪੋਰਸ਼ੰਖ at MY EXPERIMENTS WITH LOVE AND LIFE
प्यारी सहेलियों और यारों, ट्वाईस अपोन ए टाईम इन द बचपन, एक पहेली का जवाब मुझे बेहद पसंद था। पहेली थी किसी ऐसी भारतीय भाषा का नाम जो उल्टा-सीधा कैसे भी बोलो, रहेगा एकदम सेम-टु-सेम! और उत्तर ओबवियस्ली था: मलयालम! और मुझे इस शब्द की आवाज़ अच्छी लगती थी और बोलने में आता था स्वाद! इनफैक्ट, आज के चीफ मिनिस्टर के पापा को भी मैंने पहले-पहल 'मलयालम सिंह' कहना शुरू किया था! जब इंग्रेजी आ गयी, तो उनका नाम मेरे लिए 'सॉफ्ट लायन' हो गया! तब मैं छोटा बच्चा था, लेकिन अब मैं बड़ा बच्चा हूँ, इसलिए मुलायम सिंह जी क्षमा करें! *ए पिक्चर इज़ वर्थ ए थाउजेंड वर्ड्स, * *फिर भी ज़्यादा जानकारी के इच्छुक फोटू में द... more »
चुहुल - ४८
noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) at जाले
(१) हवाई जहाज के जमीन पर उतरते समय अन्दर हवा का दबाव बहुत बढ़ जाता है इसलिए बहुत से यात्रियों के कान में जबरदस्त दर्द होने लगता है. इससे बचने के लिए यात्रियों को कुछ टॉफियां/गोलियां दी जाती हैं, ताकि उनको चबाते हुए दबाव का असर कम महसूस हो. ऐसे ही जब एक एयर हॉस्टेस ने गोलियाँ बांटी और दर्द की खास शिकायत वाले यात्री से बाद में पूछा, “गोलियों से आराम हुआ?” यात्री बोला, “कोई खास नहीं, पर अब ये बताइये इन गोलियों को कान से बाहर निकालू कैसे?” (२) दो पड़ोसी किशोर लड़के आपस में बातें कर रहे थे. एक बोला, “यार, तेरा नवजात भाई इतना रोता क्यों है?” दूसरा बोला, “अगर तुम्हारे मुँह में एक भी दाँत ... more »
महिमा देवदर्शन की.
सुशील बाकलीवाल at नजरिया
सर्वधर्म समभाव. सबका मालिक एक.. मंदिर और उसमें स्थापित भगवान की मूर्ति हमारे लिए आस्था के केंद्र हैं। मंदिर हमारे धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमारे भीतर आस्था जगाते हैं । किसी भी मंदिर को देखते ही हम श्रद्धा के साथ सिर झुकाकर भगवान के प्रति नतमस्तक हो जाते हैं। आमतौर पर हम मंदिर भगवान के दर्शन और कामनाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं लेकिन मंदिर जाने के और कई लाभ भी हैं मंदिर वह स्थान है ज... more »
O Re Piya - Aaja Nachle
Sadhana Vaid at तराने सुहाने'आ जा नाच ले, फिल्म के इस खूबसूरत गीत को सुनिये भी और देखिये भी ! राहत फ़तेह अली खान ने कमाल किया है इसे गाने में ! साधना वैद
कार्टून :- ... टके सेर भाजी टके सेर खाजा.
काजल कुमार Kajal Kumar at Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
संगतराश : एक मुलाकात
ब्लॉ.ललित शर्मा at ललितडॉटकॉम
हथौड़े की चोट से छेनी से निकलता संगीत आकर्षित करता है मुझे, मंत्र मुग्ध सा उस शिल्पकार के समीप खड़ा हो जाता हूँ जो प्रस्तर प्रसव द्वारा एक सजीव प्रतिमा को जन्म दे रहा है। उसकी पीड़ा में सहभागी हो जाता हूँ, इतना अधिक अंतरंग कि वह मेरे वुजूद पर छा जाता है, उससे अलग नहीं हो पाता। लगता है उस प्रतिमा को मैं ही आकार दे रहा हूँ तन्मय होकर। शायद पिछले जन्म में संगतराश था, आज हर्फ़तराश हूँ, इस जीवन में भी तराशने का कार्य ही है। शिल्पकार की यही नियति है, उसे तराशना ही पड़ता है, आने वाली पीढी को विरासत में देने के लिए, चाहे जो भी हो। अद्भुत शिल्प-सिरपुर (फ़ोटो - सुशील जाचक)भरी दुपहरिया, ... more »
47. ऐसी किताबें अपने यहाँ कब छपेंगी?
जयदीप शेखर at कभी-कभार
परसों सन्दीप कुमार रावत नाम के एक नौजवान घर में आये थे। उनका व्यक्तित्व देखते हुए उन्हें "सेल्समैन" कहने में अच्छा नहीं लग रहा। खुद को बनारस का बताया उन्होंने- कहा एम.बी.ए. कर रहे हैं। हालाँकि मेरे अनुमान को भी उन्होंने सही बताया- कि मूलतः वे उत्तराखण्ड के हैं। 2,000 रुपये में 3+2 किताबें वे दे गये। मेरे बेटे अभिमन्यु ने बीते मार्च में 10वीं की परीक्षा दी। मैं सोच ही रहा था कि 'फ्लिपकार्ट' से कोई भारी-भरकम किताब उसे मँगा दूँ, ताकि वह मोबाइल, टीवी, कम्यूटर से कभी-कभार दूर भी रहे। पिछले साल सत्यजीत राय के अमर चरित्र "फेलू'दा" के सारे (शायद 26) लघु उपन्यास वह बिन... more »
ज्ञान दर्पण.कॉम को बेस्ट वेब पत्रकारिता सम्मान
Ratan singh shekhawat at ज्ञान दर्पण
जयपुर : 10 अप्रेल २०१३ को जयपुर के सूचना केंद्र में न्यूज पेपर्स एसोसियशन ऑफ़ इंडिया की राजस्थान इकाई व ह्युमन 4 ह्युमन संस्था द्वारा आयोजित युवा पत्रकार सम्मान समारोह में प्रदेश में अपने अपने कार्यक्षेत्रों में श्रेष्ठ पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को "कलम के सिपाही" सम्मान सम्मानित किया गया| इस अवसर पर वेब पत्रकारिता की श्रेणी में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए ज्ञान दर्पण.कॉम को "बेस्ट वेब पत्रकारिता" सम्मान से सम्मानित किया गया| इस अवसर पर युवा पत्रकारों के साथ ही प्रदेश के वरिष्ट पत्रकार श्याम आचार्य, महेश शर्मा, मिलाप चंद डंडिया, लक्ष्मी शर्मा व चम्मा शर्मा को लाइफ टाइम अचीवमेंट स... more »
हैप्पी बर्थ डे दीनदयाल अंकल :)
Chaitanyaa Sharma at चैतन्य का कोना
बच्चों के मन को समझना और उनके लिए लिखना आसान नहीं होता । बच्चों के मासूम मन की और उनकी रूचि की सामग्री को शब्द देना लेखन की दुनिया में शायद सबसे कठिनतम काम है । मुझे बच्चों के मन को समझने और बाल साहित्य पढने में बहुत रूचि है । अबकी बार जब जयपुर जाना हुआ तो दीनदयालजी से बात हुयी और उनकी कुछ पुस्तकें मिली । काफी समय से सोच रही थी कि उनके बाल साहित्य को लेकर मैं अपने विचार आप सबके साथ साझा करूं। उनके ब्लॉग पर काफी समय से उनकी बाल रचनाएँ नियमित पढ़ती रूप से पढ़ती आई हूँ । ऐसे में उनकी पुस्तकें पढना और बाल मन को समझना मेरे लिए एक सुखद एवं सुंदर अनुभव रहा । बाल साहित्यकार के रूप में दी... more »
=============================कविता जो पुरस्कृत हुयी
vandana gupta at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
दोस्तों नेता जी सुभाष इंस्टीटयूट (NSIT) KE IEEE BRANCH में आयोजित "WOMEN EMPOWERMENT AND WOMEN SECURITY "प्रतियोगिता में मेरी कविता "शतरंज के खेल में शाह और मात देना अब मैंने भी सिख लिया है " को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ और एक टी शर्ट ,२ ० ० रूपये का चैक , एक पैन और सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ ।
कुछ और लिंक्स भी है जिन पर एक बार निगाह डालना मौजूदा परिवेश मे लाज़मी हो जाता है !
खुसदीप भाई, पोपट और ब्लॉगर्स...खुशदीप
खुसदीप भाई, आप सफेद झूठ बोल रहे हो।
हद है जी .....
ब्लॉग-जगत में 'नारी' की असलियत !!
बेटा डोइचेवैले ! पटना, दिल्ली , नखलऊ होते तो .........ढिच्क्याउं , ढुम ढुम ढुम
ब्लॉग पुरस्कार के अंतर्गत शीर्ष 10 ब्लॉग का नामांकन स्तरीय नहीं : रवीन्द्र प्रभात
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
nice
जवाब देंहटाएंhttp://loksangharsha.wordpress.com/
kamaal ke links bhai. waah!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिनक्स , आभार चैतन्य को शामिल करने का
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन
शहीदों को शत शत नमन के साथ घमासान भी देख लिया ये ब्लोगजगत है यहाँ ये तो होना ही था और होता रहेगा क्योंकि हम नहीं सुधरेंगे यहीं के लोगों पर लागू होता है।
जवाब देंहटाएंजिय्ह्ह हो मेनपुरी के लाला ....बुलेटिन एकदम झिंगालाला । मिसर जी आज हमारे लिए हिंदी अंतर्जाल के लिए देश की आज़ादी के लिए लडे गए हमारे उस अनमोल नस्ल को याद करके हमें एहसानफ़रामोश बन जाने से भरसक बचाने का प्रयास करते रहते हैं । हम इस मंच से आपको सबकी तरफ़ से शुक्रिया कहते हैं जी । बकिया बुलेटिन चकाचक है ऊ भी लेटेस्ट ..एक्सक्लुसिच के साथ
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंकोई व्यक्ति आे'डायर जैसा क्रूर कैसे हो सकता है.... कई बार सोचता हूं...
जवाब देंहटाएंजालियां वाला बाग के अमर शहीदों को शत-शत नमन...
जवाब देंहटाएंउत्तम चयनित लिंक के साथ मेरी पोस्ट को भी शामिल करने हेतु आपका आभार...
जलियाँ वाला बाग़ में गोली और खून के निशाँ आज भी मौजूद हैं आज़ादी की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती हैं वहाँ जा कर दिल आंखे और गला सब भर गया था
जवाब देंहटाएंजलियांवाला बाग के शहीदों को कोटिश: नमन ! बुलेटिन के सभी सूत्र बेहतरीन हैं ! तराने सुहाने से मेरी पसंद के गीत को इस बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिये शुक्रिया शिवम जी !
जवाब देंहटाएंमैं कभी नहीं गया.. किताबों में पढ़ा है और फिल्मों में देखा है.. मेरी पत्नी ने देखी है वो जगह.. और वास्तव में जो कुछ भी उन्होंने बताया उसे सुनकर इतिहास का यह स्याह पन्ना दिल को दहला गया!!
जवाब देंहटाएं"ऐ मेरे वतन के लोगों,ज़रा आँख में भर लो पानी
जवाब देंहटाएंजो शहीद हुए हैं उनकी,ज़रा याद करो कुर्बानी"
आज नहीं कहूँगा के अच्छे लिनक्स, आज सिर्फ कुछ समय मौन रहकर श्रद्धांजलि अर्पित करूँगा अपनी उन देशवासियों को जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दे दिया | अमर हो गए | शत शत नमन ऐसे वीर सेनानियों के लिए |
सर झुकाए खड़ा 'निर्जन'
देने को श्रद्धांजलि
नम हैं आँखें
मौन हैं लब
दिल में तूफ़ान है उठा
सवाल यह दिल में उठा है
इतनी चिताएं क्यों जलीं?
दिन हर कुत्ते का आता है
कह गए हैं लोग ये
शायद उस दिन नीच डायर
की किस्मत थी बलि...
अमर शहीदों को मेरा कोटि कोटि नमन....
मैं खुशनसीब हूँ कि वहाँ के दर्शन कर आया हूँ। शहीदों को नमन ।
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंनमन है वीर शहीदों की कुर्नाबी को ...
जवाब देंहटाएंशत शत नमन ...