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शुक्रवार, 29 मार्च 2013

'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पहले 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाके में शामिल दोषियों को सजा देते हुए अपना अंतिम फैसला गुरुवार को सुना दिया। इस बम धमाके में 257 लोग मारे गए और सात सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन धमाकों में हताहतों की संख्या हजार के पार जा सकती थी अगर मुंबई पुलिस को जंजीर का साथ नहीं मिलता। यह वही जंजीर है जिसने धमाकों के दिन कई हजार किलो के आरडीएक्स व विस्फोटक बरामद ढूंढ निकाले थे।
जंजीर नाम का कुत्ता मुंबई पुलिस के मशहूर डॉग स्क्वायड का एक कुत्ता था जिसने अपनी सूझबूझ से उस दिन पूरे मुंबई तत्कालीन बंबई में 3329 किलोग्राम विस्फोटक आरडीएक्स, 600 डेटनेटर, 249 हैंड ग्रेनेंड्स और 6406 जिंदा युद्ध सामग्री को ढूंढ निकाला। अगर जंजीर ने ऐसा कारनामा नहीं किया होता तो देश की इस आर्थिक राजधानी में और कई धमाके होते और हजारों लोग मारे जाते। सुनहरे रंग का लैब्राडोर नाम का यह
कुत्ता अपनी बहादुरी से हर किसी को अपना दीवाना बना लिया था। मुंबई पुलिस का वह सबसे लाडला डॉग बन गया। हालांकि आज वह इस दुनिया में नहीं है। 
17 नवंबर 2000 को बोन कैंसर के कारण जंजीर की मौत हो गई थी। मुंबई पुलिस ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ हजारों की जान बचाने वाले इस हीरो का अंतिम संस्कार कर दिया। जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा है उस दौरान मुंबई पुलिस के कई आला अफसर मौजूद थे। ज़ंजीर की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले हफ्ते जब इंटरनेट पर किसी ने यहाँ दी फोटो के साथ यह सूचना लगाई कि ज़ंजीर का निधन एक दिन पहले ही हुआ है तो लोगो मे शोक की लहर दौड़ गई और फेसबुक , ट्विटर जैसी साइट्स पर यह फोटो काफी बड़ी संख्या मे शेअर की गई ! 

आज जब मीडिया का ध्यान 'खलनायक' की ओर है आइये हम सब १९९३ के इस नायक को याद करें जिसने पूरी वफादारी से मुंबई की रक्षा की !

देश के इस वफादार 'सिपाही' को हमारा नमन !

सादर आपका 

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यादों ने कहा

क्या ??

न जाने कौन था वह -----------

कोई अपना रहा होगा !

मैं आज भी कभी किसी से माफ़ी नहीं मांगता

पुरानी आदत है!

उस रहगुजर से, जब भी मैं तनहा होकर गुजरा हूँ

कसम से बहुत डरा हूँ !

खैर छोड़ो....मैं भी कितना वाहियात आदमी हूं 

बिलकुल छोड़ो जी ... हम तो वैसे भी कुछ न कहते !

कहो सच है न ...:)

लग तो यही रहा है !

रामप्यारी फ़िल्म्स - हम हैं दबंग The Dictatorial

अडवांस बूकिंग चालू आहे  !

ग़ज़ल

सुनाइए  !

मैं व मेरी परछाई

अक्सर साथ ही रहते है !

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है

आज आया क्या ??

भ्रष्ट ईमान

बड़ा बेईमान !

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

10 टिप्‍पणियां:

  1. यादें यहाँ भी ......... :) बुलेटिन की तारीफ़ तो हमेशा सुपर से ऊपर होती है

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  2. ये मूक पशु कितने निस्वार्थ और समर्पित होते हैं और इन्सान अकारण ही या अपने ज़रा से सुख के लिए उनके प्रति अक्सर ही कितना क्रूर और दानवी हो जाता है !

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  3. बेहतरीन वार्ता,पशु भी हमारे जीवन के अभिन्न अंग है.

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया शिवम इतने मत्वपूर्ण लिंक्स के बीच ख़ुद को देखकर
    बहुत अच्छा लगा

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  5. नायक को नमन..हम व्यर्थ ही श्वानों को बदनाम करते हैं, गये गुजरों से उनका नाम जोड़ कर।

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  6. वाकई बेमिसाल नायक.. सलाम.....!

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  7. जंजीर के बारे में जानकर सुखद आश्चर्य हुआ।

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  8. Blog buletin me apne aap aur tmam dosto ko padhkar bahut achha lga.......

    Thnaks a lot ! Mishra ji

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