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गुरुवार, 28 मार्च 2013

होली के रंग, स्लो नेट और ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

पिछले २ - ३ दिनों से फेसबुक पर कुछ मित्रों के स्टेटस से भी पता चला और खुद भी फर्क महसूस कर रहा था कि इंटरनेट कुछ धीमा है ... फिर लगा शायद होली की छुट्टियों मे उपयोग बढ़ जाने के कारण ऐसा है पर आज जब नेट पर खबरें पढ़ रहा था तो मालूम हुआ कि दुनिया भर में अब इंटरनेट पर संकट छा गया है। इसकी वजह से न सिर्फ इंटरनेट यूजर्स को इसकी कम स्पीड से दो-चार होना पड़ रहा है, वहीं आशंका यह भी जताई जा रही है कि इससे कई बैंकों के ईमेल अकाउंट और और महत्वपूर्ण पासवर्ड तक हैक हो सकते हैं। इसको लेकर दुनिया के कई देश बेहद चिंतित हैं। कल शाम से काफी लोगों ने फेसबुक के भी काफी धीमा खुलने या न खुलने की शिकायत की थी |
दरअसल, इसकी वजह स्पैम से लड़ने वाली आर्गेनाइजेशन में आया मतभेद बताया जा रहा है। इस वजह से आशंका जताई जा रही है कि इंटरनेट पर साइबर अटैक हो सकता है। आशंका यह भी है कि यदि इससे जल्द ही न निपटा गया तो जल्द ही कई देशों में बैंकों समेत कई अन्य सुविधाएं बाधित हो जाएंगी। इतना ही नहीं कई बैंकों के अकाउंटों के पासवर्ड भी हैक हो जाने की संभावना है। पांच देशों की साइबर पुलिस इसकी जांच में जुटी है। इस वजह से दुनिया के कई देशों में इंटरनेट की धीमी रफ्तार से इंटरनेट यूजर्स काफी परेशान हैं।
यदि इससे जल्द निजाद न पाई गई तो दुनिया के कई देशों को बड़ा नुकसान होने की पूरी संभावना है। दुनिया भर में हैकर्स इस परेशानी का पूरा फायदा हैकर्स उठाने की ताक में बैठे हैं। बैंकों के अकाउंट और पासवर्ड हैक होने की चिंता ने कई बैंकों की पेशानी पर लकीरें खींच दी हैं। 

अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि भारत मे इसका कितना असर हुआ ... फिलहाल कम स्पीड पर ब्लॉग बुलेटिन तो लग ही रही है ... पढ़ें और बताएं कैसी लगी ???

सादर आपका 

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मेरा बचपन ......

Ashok Saluja at यादें...
*यादें !* चलिए आज आपको अपने बचपन के सैर कराता हूँ ....... और ख़ुद आप को सुनाता हूँ ! होली की याद में इतना तो बनता ही है न ??? अशोक

शिष्टाचार

सुज्ञ at सुज्ञ
पाश्चात्य देशों में जो 'शिष्टाचार' बहुप्रशंसित है वह शिष्टाचार वस्तुतः भारतीय अहिंसक जीवन मूल्यों की खुरचन मात्र है। भारतीय अहिंसक मूल्यों में नैतिकता पर जोरदार भार दिया गया है। पाश्चात्य शिष्टाचार उन्ही नैतिक आचारों के अंश है। सभ्यता और विकास के क्रम में यह शिष्टाचार पश्चिम ने भारतीय अहिंसा के सिद्धांत से ही तो ग्रहण किए है। उनके लिये अहिंसा पालन जितना सुविधाजनक था अपना लिया। परिणाम स्वरूप वह आचरण, उनके शिष्टाचार स्वरूप में स्थापित हो गया। जबकि भारत में यह अहिंसा पालन और नैतिक आचरण किताबों में कैद और उपदेशों तक सीमित हो गया। क्योंकि पालन बड़ा कठीन था और मानवीय स्वभाव सदैव से सरलतागाम... more »

अबके इस होली में !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ !
अपनी "छवि" बदलनी चाही, अबके हमने भी इस होली में। श्वेत-वसन स्व: अंग चढ़ाकर, अबीर, गुलाल, रंग लगाकर, निकले घर से हम टोली में। PLANNING FOR HITTING THE STREET ! उत्सव के नज़ारे बड़े-बड़े थे, पिचकारी लेकर कई चाँद खड़े थे, ताक में चकोरों की अपने घर की खोली में। अपनी "छवि" बदलनी चाही, अबके हमने भी इस होली में। देख हमें इक चाँद मुस्काया, रंग भरा चेहरा दिल को भाया, ना नुकूर के खेल-खेल में मल दिया गुलाल ठिठोली में। अपनी "छवि" बदलनी चाही, अबके हमने भी इस होली में। SWEET TREATS :) फिर ऐसा रंग चढ़ा होली को , दिया भंग बढ़ा हमजोली को, खुद ही आ गया घर हमारे  more »

अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते

ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते सच है कि हम ही दिल को संभलने नहीं देते आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते परवानों ने फ़ानूस को देखा तो ये बोले क्यों हम को जलाते हो कि जलने नहीं देते हैरान हूँ किस तरह करूँ अर्ज़-ए-तमन्ना दुश्मन को तो पहलू से वो टलने नहीं देते दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज है हर वक़्त हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते गर्मी-ए-मोहब्बत में वो है आह से माअ़ने पंखा नफ़स-ए-सर्द का झलने नहीं देते. *- अकबर इलाहाबादी *

शर्म का पर्दा ...

उदय - uday at कडुवा सच ...
वैसे तो, आज का हर आदमी, कवि है, कलाकार है बस, नहीं है तो,......एक अच्छा दुकानदार नहीं है ? ... उनकी सिसकियाँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं 'उदय' अब 'रब' ही जाने, कैसा जलजला आया है उन पर ?? ... उनका भी अंदाज, कुछ अजब, कुछ गजब, कुछ निराला है खुद को ही,............................ खुद बधाई दे रहे हैं वो ? ... कश्मकश, सपने, महकती रातें, और वो बेबाक लिपटना तेरा गर हम चाहें भी तो, कैसे...................भूल जायें वो मंजर ? ... मैंने तो 'उदय', सिर्फ आँख से शर्म का पर्दा हटाया है यहाँ तो लोग हैं, जो जिस्म भी खुल्ला ही रखते हैं ? ...

मेरी बेटी श्रेयांसी की रचना

मेरी बेटी श्रेयांसी ने कंप्यूटर पर रची ये तस्वीर. एक घर , जो उसके सपने में है. तारे जो उसे प्यारे लगते हैं. कहीं किसी कोने में रात का भी डर है. इसलिए घर की तलाश में भटकता बच्चा भी बगल में खड़ा मिल जाएगा.

बच्चे की सीख

* * *बचपन* *से ही मुझे अध्यापिका बनने तथा बच्चों को मारने का बड़ा शौक था. अभी मैं पाँच साल की ही थी कि छोटे-छोटे बच्चों का स्कूल लगा कर बैठ जाती. उन्हें लिखाती पढ़ाती और जब उन्हें कुछ न आता तो खूब मारती. मैं बड़ी हो कर अध्यापिका बन गई. स्कूल जाने लगी. मैं बहुत प्रसन्न थी कि अब मेरी पढ़ाने और बच्चों को मारने की इच्छा पूरी हो जाएगी. जल्दी ही स्कूल में मैं मारने वाली अध्यापिका के नाम से प्रसिद्ध हो गई. एक दिन श्रेणी में एक नया बच्चा आया. मैंने बच्चों को सुलेख लिखने के लिए दिया था. बच्चे लिख रहे थे.* * * * अचानक ही मेरा ध्यान एक बच्चे पर गया जो उल्टे हाथ से बड़ा ही गंदा हस्तलेख लिख रहा थ... more »

परिभाषाएं - (२ )

तारे वह तिलिस्म - जो सारी दूरीमिटा देते हैं- धरती और आकाशके बीच ! वह रहनुमा - जो भटके हुओंकी होते हैं- आखरी उम्मीद ! वह अपने - जो आशिश्ते हैं - अपने से दूरअपनों को !

दुआ

वो उदास आँखों वाली लड़की सुर्ख फूल सब्ज़ पत्ते नर्म हवा रुकी रुकी बारिश और मिट्टी की सौंधी महक को चाहने वाली, माहताब से बदन वाली वो लड़की... उदास रहती थी पतझड़ में. उसे सूखी ज़मीन और नीला आसमान ज़रा नहीं भाते उसकी आँखों को चूमे बिना ही चखा है मैंने कोरों पर जमे नमक को... एक रात नींद में वो मुस्कुराई और बादल उसके इश्क में दीवाना हो गया.... यकीन मानों खिली धूप में बेमौसम बारिश यूँ ही ,बेमकसद नहीं हुआ करती.... (न कोई अनमेल ब्याह,न अपवर्तन के नियम....) नीले आसमान पर लडकी के लिए मैंने लिखी जो दुआ वही तो है ये इन्द्रधनुष... अनु

अबे, सुन बे गुलाब

naveen kumar naithani at लिखो यहां वहां
(यादवेन्द्र का प्रस्तुत आलेख गुलाव जैसी प्रजातियों वाले फूलों से जुड़े पर्यावरणीय मसलों पर चर्चा के साथ हमारी निर्यात नीति पर भी कुछ जरूरी सवाल उठाता है) अबे ,सुन बे गुलाब: जल संकट और फूल की कीमत -यादवेन्द्र अभी अभी वेलेन्टाइन डे गुजरा है और भारत में यह दिन सांस्कृतिक पहरेदारों केउपद्रवों के कारण पिछले कुछ सालों से ज्यादा चर्चित रहा है।अपने प्रेम का इजहार करने के लिए सुन्दर फूलों -खास तौर पर गुलाब - की देश के अन्दरकी बिक्री और विदेशों में निर्यात के रिकार्ड दर रिकार्ड के लिए भी इस दिन कोख़ास तौर पर याद किया जाता है। बंगलुरु और पुणे जैसे इ... more »

अजीब जिद्दी हैं ये

मेरे ख़याल बिखरे पड़े हैं रास्तों पर अनजान दहलीजों पर कहाँ से गुजरूँ कि इनसे कभी फिर सामना न हो ये बहुत सवालिया किस्म के हैं न खुद दम लेते है न मुझे दो पल सुकून से आने जाने देते हैं कोई इन्हें समेट कर कहीं दूर शहर के बाहर फेंक क्यूँ नहीं आता पर फिर लगता है की ये कहीं मुझे ढूँढ़ते हुए वापिस मेरा दरवाजा तो नहीं खटखटाएंगे अजीब जिद्दी हैं ये... 
 
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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

18 टिप्‍पणियां:

  1. फिलहाल तो नेट चल रहा है और बुलेटिन भी लग ही गई ..तो सब ठीक है.:)

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  2. आभार और होली की ढेर सारी शुभकामनाएं आपको भी शिवम् जी!

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  3. ब्लागर पर पेज काफ़ी धीमे खुलते अहिं, टिपण्णियां पोस्ट होने में भी कम से कम एक आधा मिनट लग रहा है, हम समझे थे यह ब्लागर की परेशानी होगी पर आपकी खबर ने तो नींद उडा दी है. लिंक्स बेहतरीन मिले, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. सच कभी कभी तो बहुत दिक्कत होती है ..चलिए धीरे धीरे ही सही नेट चल ही जाता है ..आप लोग इतने सारे लिंक्स लेकर फिर लगाते है निश्चित ही बहुत समय लगता होगा बुलेटिन लगाने में .. ..आभार आपका
    होली की शुभकामनाओं सहित ..

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  5. इस स्लो स्पीड से मैं भी तंग हूँ। छुट्टी का मजा किरकिरा हो गया। वैसे फेसबुक की तुलना में ब्लॉग ठीक ठाक खुल रहा है। जानकारी के लिए आभार।

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  6. ओह ! तो ससुरा ये माजरा था असल में , उहां हम एमटीएनएल पर ओईसे ही डंटा भांज रहे थे । चलिए स्लोली स्लोली होली तो होली अब तनिक इस्पीड बढे तो बात बने :) चौचक बुलेटिन ।

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  7. साइबर अटैक हुआ तो सबसे ज्यादा फ़िक्र हमें अपने blog की है..वो सलामत रहे बस....
    सभी लिंक्स बढ़िया!!
    हमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया शिवम्.

    अनु

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  8. ओह तो ये माजरा था,चलो आपकी जानकारी से राहत हुई
    सुंदर लिंक्स,---शानदार संयोजन
    बधाई

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  9. शिवम् जी नमस्काए !
    आभार आपके स्नेह का !
    होली की शुभकामनायें आप सपरिवार को ......

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  10. शानदार लिंक्स से सजा आजका बुलेटिन!!
    मेरी पोस्ट को सम्मलित करने का आभार!!

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  11. सुन्दर लिंक्स भी पढ़े ...और चिंताओं का समाधान भी हुआ ...हमारी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार शिवमजी

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  12. अच्छी वार्ता
    लिंक देख कर कह रहा हूं भाई

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  13. होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |बढ़िया बुलेटिन
    आशा

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  14. इंटरनेट की स्लो स्पीड ने बहुत परेशान कर रखा है। फेसबुक तो बिलकुल ही नही खुल रहा है। ब्लॉग के खुलने मे ज्यादा परेशानी नही आ रही है। इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

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