प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब
की गुपचुप तरीके से फांसी के बाद लोकतंत्र के मंदिर पर हुए हमले के सबसे
बड़े दोषी अफजल गुरु को भी आज सुबह फांसी दे दी गई। एक बात गौर करने वाली है कि सरकार ने मुंबई हमले के सबसे बड़े आतंकी अजमल
आमिर कसाब को शीतकालीन सत्र से पहले फांसी दी और संसद हमले के दोषी
अफजल गुरु को बजट सत्र से पहले दी गई है। लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं,
ऐसे में सरकार की ओर से उठाया गया इतना बड़ा कदम चुनाव की सरगर्मी को तेज कर
सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि सरकार के पास
अभी भी कई बड़े गुनाहगारों की अर्जी लंबित पड़ी है जिन्हें जल्द से जल्द
फांसी पर लटका देना चाहिए। पूरे देश की निगाहें अब इसपर टिकी हुई है कि
अगला नंबर किसका होगा।
राजीव गांधी के हत्यारे
-राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी करार दिए गए संथन, मुरुगन और पेरारिवलन
को 1998 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। इन्हें पिछले साल 9 सितंबर 2011 को
फांसी पर लटकाया जाना था लेकिन इनकी ओर से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर
कहा गया कि इनकी दया याचिका के निपटारे में 11 साल लगे हैं और ऐसे में
इन्हें फांसी की सजा दिया जाना सही नहीं होगा। 11 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति
ने इनकी दया याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
राजोआना: बेअंत सिंह का हत्यारा
-31 अगस्त 1995 को पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी
बलवंत सिंह राजोआना की फासी की सजा भी अब तक लटकी हुई है। अदालत ने 31
जुलाई, 2007 को बलंवत सिंह को फासी की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ राजोआना
ने हाईकोर्ट में कोई अपील दायर नहीं की थी। हाईकोर्ट से सजा की पुष्टि होने
के बाद जिला अदालत ने पांच मार्च को पटियाला जेल अधीक्षक को एक्जीक्यूशन
वारंट जारी किए थे। जेल अधीक्षक ने कई तरह के तर्क देते हुए राजोआना को
फांसी पर चढ़ाने से मना कर दिया था और यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में
नहीं आने का हवाला देते हुए डेथ वारंट वापस कर दिए। लेकिन अदालत ने पंजाब
एवं हरियाणा हाई कोर्ट के नियमों का हवाला देते हुए दोबारा से डेथ वारंट
जारी कर दिए। इस मामले में खुद सरकार ही राजोआना की फांसी की सजा को माफ
करने को लेकर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लेकर पहुंच गई। यह मामला भी अभी
विचाराधीन है। मालूम हो कि पंजाब में शिअद-भाजपा की मिलीजुली सरकार है।
अशफाक: लाल किले पर हमला
22 दिसंबर 2000 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने लालकिले पर हमला
किया था। इस मामले में अशफाक उर्फ आरिफ को गिरफ्तार किया गया। दिल्ली के
कड़कड़डूमा कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2005 को अशफाक को फांसी की सजा सुनाई। फैसले
को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने 13 सितंबर 2007 को अशफाक की
सजा बरकरार रखी। फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 10
अगस्त , 2011 को अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
भुल्लर: रायसीना पर बम ब्लास्ट
11 सितंबर 1993 को दिल्ली के रायसीना रोड स्थित यूथ कांग्रेस के दफ्तर
के बाहर आतंकवादियों ने कार बम धमाका किया था। इसमें 9 लोगों की मौत हो गई
थी और 35 घायल हुए थे। पटियाला हाउस कोर्ट स्थित टाडा कोर्ट ने 25 अगस्त
2001 को भुल्लर को फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च 2002 को
फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। जिसके बाद भुल्लर ने राष्ट्रपति के सामने दया
याचिका दायर की। राष्ट्रपति ने 27 मई , 2011 को दया याचिका खारिज कर दी
थी। इसी दौरान भुल्लर के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर
फांसी की सजा कम किए जाने की गुहार लगाई, जो अभी पेंडिंग है।
एक आम नागरिक के तौर पर हम केवल यह उम्मीद रखते है कि बिना किसी राजनीति के देश के इन दुश्मनों को सबक सिखाया जाएगा ... भले ही देर से सही इंसाफ का परचम लहराएगा !!
सादर आपका
शिवम मिश्रा
=======================
महिला तस्करी
कौम के शहीद और पार्टियों के वोट बैंक ...........
डर ....................................................................
हदयाघात ( HEART ATTACK ) की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आयुर्वेदिक उपाय !!
दिल की दास्ताँ – भाग 3
"पगडंडियाँ का विमोचन"
अनैतिक राजनीति
शब्दों की रोशनी
सहजि सहजि गुन रमैं : बाबुषा कोहली
गोवा का प्राचीन चर्च बोम जीसस बासिलिका।
jalte hai jiske liye.. Sujata1959- Talat Mehmood - Majrooh - S D Burman...
=======================
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
nice
जवाब देंहटाएंब्लाग बुलेटिन के शिवम वं सभी रिपोर्टरों को धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंकभी देश की सुध प्राथमिकता पायेगी..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक लिनक्स संजोते हैं शिवम् जी आप ! सुजाता फिल्म के मेरी पसंद के गीत को 'तराने सुहाने' से आपने बुलेटिन में स्थान दिया आभारी हूँ ! अफज़ल गुरू को फाँसी पर लटका दिया गया ! एक आतंकी का दुर्दांत हुआ ! देर से ही सही पर न्याय तो मिला ! इसी बात का संतोष है !
जवाब देंहटाएंकुछ अपराध माफ़ी योग्य नहीं होते....हर इन्सान खुद के लिये रास्ता चुनने को स्वतंत्र होता है- तो अपने किये का दंड भी लेने के लिये तैयार रहना चाहिये उसे ...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएं