प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !
कल एक बार फिर देश मे बम फटे ... फिर बेगुनाह लोगो की जानें गई ... लोग घायल हुये ... फिर कुछ ज़िम्मेदारीयां और कुछ गैर ज़िम्मेदारीयां तै की गई ... फिर राजनीति हुई ... फिर मुआवजे बाँटे गए ... सड़कों पर बहे खून की कीमत लगी ... पर क्यों ... भला क्यों ऐसा एक बार फिर हुआ ... और आखिर कब यह सिलसिला रुकेगा !?
"अरे मंदिर यह चुप है ... अरे मस्जिद वो गुमसुम ... इबादत फट पड़ेगी ... ;
समय की लाल आँधी ... कब्रिस्तान के रास्ते ... अरे लथपत चलेगी !!
किसे काफिर कहेगा ... किसे कायर कहेगा ... तेरी कब तक चलेगी ???
अरे रुक जा रे बंदे ... अरे थम जा रे बंदे ... कि कुदरत हंस पड़ेगी !!!"
समय की लाल आँधी ... कब्रिस्तान के रास्ते ... अरे लथपत चलेगी !!
किसे काफिर कहेगा ... किसे कायर कहेगा ... तेरी कब तक चलेगी ???
अरे रुक जा रे बंदे ... अरे थम जा रे बंदे ... कि कुदरत हंस पड़ेगी !!!"
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से हम इन बम धमाकों की घोर निंदा करते है और सभी प्रभावित लोगो के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं प्रेषित करते है !
सादर आपका
शिवम मिश्रा
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हैदराबाद बम विस्फोट 2013 में अब तक 16 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। 6 मरणासन्न व्यक्तियों सहित लगभग 120 लोग घायल हैं। गृह मंत्री शिंदे कह रहे हैं कि दो दिन पूर्व सूचना दे दी गयी थी। खुफिया एजेंसियों द्वारा मीडिया में कई तरह की फिल्में दिखाई जा रही हैं। जनता जिस फिल्म को सर्वाधिक पसंद कर ले वही फिल्म न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया जायेगा। और फिर अन्य विस्फोट हो जायेंगे। जनता मरेगी, फिर वही डायलॉग डेलीवेरी शुरू हो जाएगी। मीडिया के माध्यम से खुफिया एजेंसी बता रही हैं कि यासीन भटकल इंडियन मुजाहिद्दीन आजमगढ़ के तबरेज की तरफ शक की सुई है। दूसरी ओर घटना करने का तरीका मक्का मस्जिद विस्फो... more »
धमाके
मदमस्त बसंत की एक शाम गूँज सुनाई दी हाय राम पहले हुआ धमाका आम फिर जोर के फटा भड़ाम धुएं का जब छटा बादल तो बह निकला सारा काजल लहू की मनका जो बहती नीचे धरती को है छूती कितने ही मूर्छित हुए कितने हो गए मूक कितने बधिर हो गए कितने कर गए कूच मृत्यु का हाहाकार मचा यमराज ने कैसा वार रचा हर एक धमाका था कैसा आया पृथ्वी पर भूचाल जैसा मानवता फिर से हार गई भारत माँ शर्मसार हुई कब तक रहेगा हाल यही अब कौन करेगा अपने देश के बिगड़ते हाल सही
आतंकवाद से लड़ना है तो ख़ुफ़िया तंत्र को मजबूत करना ही होगा !!
आतंकवादी घटनाएं हमारे देश में रुकने का नाम नहीं ले रही है और आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में एक बार फिर कामयाब हो गये हैं ! इसके बाद हमारे सत्ताधीशों द्वारा वही रटे रटाये बयान आयेंगे कि हम आतंकवाद को बर्दास्त नहीं करेंगे लेकिन क्या केवल बयान देने भर से आतंकवाद पर लगाम लग पाएगी ! हमारे सत्ताधीशों के कार्यकलापों को देखकर तो यह कतई नहीं लगता कि आतंकवाद को लेकर वो संजीदा भी है ! उनके लिए आतंकवाद केवल बयानबाजी का मामला है और आतंकवाद को लेकर किस तरह कि बयानबाजी से उनके वोटों में इजाफा हो सकता है यही सोचकर बयानबाजी की जाती है ! सत्तापक्ष हो या विपक्ष सबका आतंकवाद पर अपने अपने वोटों के हिसा... more »
मैं बहुत विचलित हूँ इस शहर में अब ..
आज मैंने फिर देखा है सड़कों पर इंसानी खून मांस के चीथड़े लहूलुहान इंसानियत भेड़ियों ने दिन दहाड़े किया अपना काम जिनके कंधों पर था सुरक्षा का भार वे सोते रहे गहरी नींद में चारमीनार पर फिर से दीखने लगीं हैं दरारे खामोश है गोलकुंडा बूढ़े खंडहर के रूप में शांतिदूत गौतमबुद्ध की प्रतिमा हुसैन सागर के बीच एक दम नि:शब्द मैं बहुत विचलित हूँ इस शहर में अब ..... 21/02/2013 की शाम हैदराबाद में हुए बम विस्फोट के बाद लिखी एक रचना . Top of Form
कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर - साहसी और निर्भिक महिला
कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर [image: IMG_4650] *साहसी और निर्भिक महिला* [image: IMG_4622]भारत की आज़ादी की लड़ाई में बापू का कदम-कदम पर साथ देने वाली कस्तूरबा गांधी का 22 फरवरी 1944 को निधन आगा ख़ां महल जेल में हुआ। वहीं उनका अंतिम संस्कार भी हुआ। तेरह वर्ष की उम्र में 1882 में गांधीजी का विवाह कस्तूरबाई से हुआ। उनके चार पुत्र थे, हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास।* *बा और बापू एक आदर्श और असाधारण दंपती थे। गांधी जी को अपने जीवन में अपनी अर्धांगिनी कस्तूरबा गांधी का भरपूर साथ मिला। उनके *62 *साल के विवाहित जीवन में भारत के किसी भी साधारण विवाहित इकाई की तरह उतार-चढाव आते
" अपना घर .....सुकून भरा ......."
* * *२२.०२.२००२ एक यादगार तिथि *,हमारे लिए । इसी दिन हमने अपने घर में विधिपूर्वक गृह प्रवेश किया था । अद्भुत तिथि के संयोग को देखते हुए हमने स्वयं ही इस तिथि को गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त मान लिया था ,जो बाद में प्रकांड पंडितों के अनुसार वास्तव में एक अद्भुत रूप से बहुत ही शुभ मुहूर्त था । मूल रूप से हमारे पूर्वज प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील के एक पिछड़े से गाँव 'मद्दूपुर' के निवासी रहे । पिता जी ने अपनी पढ़ाई लिखाई लखनऊ विश्विद्यालय से की । तत्पश्चात रेलवे की सेवा में पूरे सेवाकाल में फैजाबाद जिले में ही तैनात रहे । फैजाबाद में तैनाती के दौरान ही वहीँ शहर में एक घर बना लिया ।... more »
शिंदे साहब की स्पीडपोस्ट
अब कहीं शिंदे साहब यह न कहें कि " हम ने २ दिन पहले ही हैदराबाद आईबी को इन बम धमाकों की चेतावनी स्पीडपोस्ट से भेजी थी !! "
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष लेख : भारत की प्रमुख भाषाएँ।
आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को मनाया जाता है। पहला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी, 2000 को मनाया गया था। यूनेस्को द्वारा नवंबर, 1999 को इस उद्देश्य से इस दिवस की घोषणा हुई थी कि ताकि हर कोई अपनी मातृभाषा का आदर करे तथा वे भाषाएँ जो विलुप्ति के कगार पर हैं उनको बचाने के लिए प्रयत्न किया जा सकें। आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है तो इस अवसर पर मैं आज भारत की प्रमुख भाषाओं का इतिहास आप सबके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश करूँगा। प्राचीन भारत में पाली, प्राकृत, मागधी, शूरसेनी (शौरसेनी), संस्कृत तथा द्रविड़ (तेलुगू, तमिल, कन्नड़ आदि) भाषाओं ... more »
हिन्दी ब्लॉगरी की दशकोत्सव यात्रा - 5 [नौ गम्भीर]
*पिछले** से आगे...* पहले अश'आर बोलने का नुस्खा! Anurag Sharma उवाच _____________ मुंह में ज़र्दे वाला पान घोलकर बोलिए आ,फिर ज़रा (जरा नहीं वरना क़यामत हो जाएगी) रुकिए फिर बोलिए शआर, उसके बाद पान को बगल में थूक दीजिये, तब बनेगा खालिस अ'शआर ... और कहीं गलती से पिलूरल कर दिया तो शेर में तब्दील हो जाएगा ... ___________ फेसबुक पर यात्रा जारी है। ऊपर का नुस्खा भी वहीं से आयातित है । आज नौ गम्भीर ब्लॉग ब्लॉगर। इन नगीनों से हिन्दी ब्लॉगरी गौरवान्वित है। 36 गढ़ की धरती ब्लॉगरी के लिये बहुत उपजाऊ है! राहुल सिंह के गम्भीर शोधपरक आलेख एकदम कसे बसे और नयी जानकारियों से भरे होते हैं। ब्लॉग ज... more »
मतवाली बेखौफ़ गज़ल
बस कोशिश थी कि कुछ कहें मगर जब बात बिगड़नी होती है तो यूँ बिगड़ती है कि साधे नहीं सधती....काफिया उखड़ा बार बार...कोई बात नही....माईने ही उखड़ गया कि जिसे शिद्दत से चाहा उसे ही कुर्बान कर देने को तैयार...खैर, यही तो है मतवाला पन- यही तो दीवानापन...पढ़ ही लिजिये...सुधार, व्याकरण आदि तो खैर चलता रहेगा...सुधार बता देंगे तो कोशिश होगी कि आगे महफिलों में सुधार कर पढ़ी जाये वरना तो आजकल की महफिलें...किस बात पर दाद मिलेगी ...ये तो आप पर निर्भर हैं...शेर पर नहीं. जबकि लोग लिख रहे हैं कि फलाने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त गज़ल...तब ऐसे में बेआशीष गज़ल का लुत्फ उठायें….और कुछ नहीं तो हिम्मत की दाद दे दे... more »
फ्लिपकार्ट से 1000 शानदार म्यूजिक एलबम डाउनलोड करें एकदम मुफ़्त!
[image: image] आप कहेंगे, सांग्स.पीके क्या बंद हो गया है? या फिर गली-गली बिकने वाले 20 रुपल्ली के एमपी-3 डीवीडी पर क्या बैन लग गया है? नहीं. ऐसा नहीं है. सांग्स.पीके धड़ल्ले से चल रहा है और 20 रुपल्ली के एमपी3 डीवीडी में हर किस्म का गीत संगीत आप खरीद सकते हैं. परंतु, एक तो यह गैरकानूनी है, दूसरा, अपवादों को छोड़ इनकी क्वालिटी एकदम घटिया रहती है. तो, यदि आप बढ़िया क्वालिटी में एमपी3 म्यूजिक एलबम डाउनलोड करना चाहते हैं (*आपको 128 तथा 320 केबीपीएस में से चुनने का विकल्प मिलता है, और जाहिरा तौर पर अच्छी क्वालिटी के लिए 320 केबीपीएस चुनें*) वह भी एकदम मुफ़्त तो फ्लिपकार्ट पर उसके एमप... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
शिवम् भाई बहुत सुन्दर लिंक्स :) | बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छा बुलेटिन....
जवाब देंहटाएंराहुल राम का बन्दे भीतर तक हिला देता है....
ब्लास्ट की घटना ने तो तोड़ दिया.
आभार
अनु
शिवम् जी बहुत बहुत आभार , शुभकामनाएं और बधाइयों के लिए । बुलेटिन तो सदैव की तरह जानदार और शानदार ही है । कुछ घटनाएं इतना विचलित कर देती हैं कि अकस्मात विचारशून्यता सी हो जाती है ।आपसे फोन पर बात कर मन प्रसन्न हो जाता है ।
जवाब देंहटाएंजघन्य अपराध की जितनी निन्दा हो कम है, समय कुछ करने का आया है।
जवाब देंहटाएंइस तरह की हरकतें घोर निंदनीय है।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स से सजी बुलेटिन।
बहुरंगी लिंकों से सजा ब्लॉग बुलेटिन,आभार !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन पेश की है आज आपने, मेरे लेख "अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष लेख : भारत की प्रमुख भाषाएँ" को शामिल करने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत आभार .
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
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