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बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

एक कोकिला से दूसरी कोकिला तक - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज १३ फरवरी है ... भारत कोकिला सरोजिनी नायडू जी की जयंती है आज ... 

सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था । इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं । बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। अत्यंत सुमधुर स्वर में अपनी कविताओं का वाचन करने के कारण सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला कहा जाने लगा.

१८९८ में सरोजिनी नायडू, डा. गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण १९२५ में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनीं और १९३२ में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। २ मार्च १९४९ को उनका देहांत हुआ। १३ फरवरी १९६४ को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में १५ नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया।
राज्यपाल
स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद, देश को उस लक्ष्य तक पहुँचाने वाले नेताओं के सामने अब दूसरा ही कार्य था। आज तक उन्होंने संघर्ष किया था। किन्तु अब राष्ट्र निर्माण का उत्तरदायित्व उनके कंधों पर आ गया। कुछ नेताओं को सरकारी तंत्र और प्रशासन में नौकरी दे दी गई थी। उनमें सरोजिनी नायडू भी एक थीं। उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। वह विस्तार और जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रांत था। उस पद को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं अपने को 'क़ैद कर दिये गये जंगल के पक्षी' की तरह अनुभव कर रही हूँ।' लेकिन वह प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की इच्छा को टाल न सकीं जिनके प्रति उनके मन में गहन प्रेम व स्नेह था। इसलिए वह लखनऊ में जाकर बस गईं और वहाँ सौजन्य और गौरवपूर्ण व्यवहार के द्वारा अपने राजनीतिक कर्तव्यों को निभाया।

एक सुखद संयोग 

आज ही हमारी ब्लॉग बुलेटिन की कोकिला आदरणीया रश्मि प्रभा जी का भी जन्मदिन है ... उन्हीं के शब्दों मे " कवि पन्त के दिए नाम 'रश्मि' से मैं भावों की प्रकृति से जुड़ी . बड़ी सहजता से कवि पन्त ने मुझे सूर्य से जोड़ दिया और अपने आशीर्वचनों की पाण्डुलिपि मुझे दी - जिसके हर पृष्ठ मेरे लिए द्वार खोलते गए . रश्मि - यानि सूर्य की किरणें एक जगह नहीं होतीं और निःसंदेह उसकी प्रखरता तब जानी जाती है , जब वह धरती से जुड़ती है . मैंने धरती से ऊपर अपने पाँव कभी नहीं किये ..... और प्रकृति के हर कणों से दोस्ती की . मेरे शब्द भावों ने मुझे रक्त से परे कई रिश्ते दिए , और यह मेरी कलम का सम्मान ही नहीं , मेरी माँ , मेरे पापा .... मेरे बच्चों का भी सम्मान है और मेरा सौभाग्य कि मैं यह सम्मान दे सकी . नाम लिखने लगूँ तो ........ फिर शब्द भावों के लिए कुछ शेष नहीं रह जायेगा !"
जब से रश्मि दीदी ने ब्लॉग बुलेटिन का भार अपने ऊपर लिया है ... बुलेटिन ने अपनी परवाज़ खुल कर दिखाई है ... पूरे ब्लॉग जगत से चुन चुन कर लाये गए नगीने बुलेटिन मे हर बार चार चाँद लगते है ... और रश्मि दीदी की पारखी नज़र से हम सब को रूबरू करवाते है ! ब्लॉग बुलेटिन के नियमित पाठक मुझ से सहमत होंगे कि नित नए नए प्रयोगों और विभिन्न अलग अलग श्रंखलाओं के माध्यम से रश्मि दीदी ने हम लोगो को न जाने ऐसे कितने ब्लॉग से परिचित करवाया ... जिन के बारे मे हम पहले नहीं जानते थे !

आज के इस शुभ दिन उनके जन्मदिन पर इस पोस्ट के माध्यम से मैं, मेरी और आप सब की, ओर से उनको बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें देता हूँ ! 
हैप्पी बर्थड़े रश्मि दीदी !!
 (एक विशेष अनुरोध है ... यहाँ किसी भी रूप मे कोई भी तुलना करना मेरा मक़सद नहीं रहा है यह केवल एक संयोग मात्र है कि एक ही दिन इन दोनों का जन्मदिन है ! इस लिए आज के इस खास दिन कोई भी विवाद उपहार  स्वरूप स्वीकार नहीं किया जाएगा !)

सादर आपका 

शिवम मिश्रा
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परिणय के सत्ताईस वर्ष ************************

ज्योति खरे at अभिव्यक्ति .................
तुम्हारे मेंहदी रचे हाथों में रख दी थी अपनी भट्ट पड़ी हथेली महावर लगे तुम्हारे पांव रख गये थे खुरदुरी जमीन पर साझा संकल्प लिया था हम दोनों ने कि,बढेंगे मंजिल की तरफ एक साथ सुधारेंगे खपरैल छत जिसमें गर्मी में धूप छनकर नहीं सूरज को भी साथ ले आती है बरसातें बिना आहट के सीधे छत से उतर आतीं है कच्ची मिट्टी के घर को बचा पाने की विवशताओं में फड़फड़ाते तैरते रहेंगे पसीने की नदी में पारदर्शी फासले को हटाकर अपने सदियों के संकल्पित प्यार के सपनों की जमीन पर लेटकर बातें करेंगे अपन दोनों साझा संकल्प तो यही लिया था कि,मार देंगे संघर्ष के गाल पर तमाचा जीत के जश्न में हंसते हुये बजाये... more »

हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

सरस्वती महाभागे विद्ये कमलो लोचने विश्वरुपे विशालाक्षी विद्याम देहि नमस्तुते ! सरस्वती वन्दना ! हे माँ वीणा वादिनी शारदे ! शब्द ,भाव, भावना का वर दे , शब्द सुकोमल मन-भावन हो , भाव -गम्भीर ,सद-भावना हो , मानव मन के कलुष दूर कर दे हे माँ वीणा वादिनी शारदे ! तू वर दे। नर -नारी सब त्रस्त हैं आज भ्रष्टाचार , व्यभिचार, अत्याचार से बेपरवाह नेताओं के निर्दयी उत्पीडन से उसमें कुछ सद वुद्धि, सहानुभूति, कुछ जन कल्याण का भाव भर दे हे माँ वीणा वादिनी शारदे ! तू वर दे। प्यार मुहब्बत सब रिश्ते समाप्त हो रहे हैं एक एक कर के जीवन के मूल्य ध्वस्त हो गए उसमे कुछ जागृति ला दे। मानव में मानवता क... more »

इलेवन टू थर्टीन!!!

आशीष ढ़पोरशंख/ ਆਸ਼ੀਸ਼ ਢ਼ਪੋਰਸ਼ੰਖ at MY EXPERIMENTS WITH LOVE AND LIFE
प्यारी सहेलियों और यारों, नौ दो ग्यारह अथवा नाईन टू इलेवन होना तो सुना ही हैगा, लैट अस सी के ग्यारह दो तेरह या इलेवन टू थर्टीन का फ़ार्मूला क्या है: *इलेवन टू थर्टीन!!!* बस! अब और नहीं! तेरे सितम! तेरी ज़ुल्मत! तेरे फतवे! तेरी हुकूमत! बस! अब और नहीं! सितम *Tyranny, Injustice* ज़ुल्मत *Darkness* दिन में धुँधले उजाले! शब-ए-ग़म की क़यामत! पलकों में आँसू छुपाना! हँसी की झूठी सजावट! बस! अब और नहीं! शब-ए-ग़म *The night of sorrow* मुहब्बत के बहाने से! तेरा वो लूटना अज़मत! मेरे इनकार करने पर! तेरी दलील-ए-रवायत! बस! अब और नहीं! अज़मत *Glory, Honour* दलील-ए-रवायत *Argument based on tradition* दुनिय... more »

दिल की दास्ताँ - अंतिम भाग

सुधांशु ने मुड़ कर देखा, और मुस्करा दिया | उसकी आँखें नम थी और होटों पर मुस्कान थी | दुःख और सुख का ऐसा समन्वय उसके जीवन में एक अरसे बाद आया था | जिस दिन का उसे बेसब्री से इंतज़ार था वो बरसों बाद आज आ ही गया था | लालाजी उसके सामने खड़े थे | वो झट से लालाजी के गले लग गया | अश्रुपूरित नयनो से और कांपती आवाज़ में उसने पूछ ही लिया, "इतनी देर, इतनी देर क्यों की, दददू?" "लालाजी, चुप रहे और उसे गले से लगा लिया और धीरे धीरे उसकी कमर सहलाते रहे और प्यार से सर पर हाथ फेरते रहे" दोनों फिर साथ में घुमने निकल पड़े और एक शांत स्थान पर जाकर बैठ गए | दोनों खामोश थे | काफी देर तक दोनों सुकून के साथ उस ... more »

रेडियो से अपना याराना

दीपक की बातें at दीपक की बातें
रेडियो से अपना याराना भी काफी पुराना है। 1995 का साल। मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ता था। यहीं से मेरा रेडियो से दोस्ताना हुआ। मेरे चाचाजी के हाथ में परमानेंट रेडियो होता था और मैं परमानेंट चाचाजी के साथ। 1996 क्रिकेट विश्वकप के दौरान रेडियो से प्रेम और गहरा हुआ और गहराता ही चला गया। बाद में इस प्रेम की परिणति क्रिकेट से अथाह लगाव के रूप में हुई। चाचाजी के साथ सुबह का समाचार, प्रादेशिक समाचार, बीबीसी हिंदी, फिल्मी नगमे, दोपहर को आने वाले भोजपुरी गीत, क्रिकेट कमेंट्री सब सुनता रहता था। जब चाचाजी खेतों की देखभाल करने उधर जाते तो रेडियो साथ ही लेकर जाते। मैं स्कूल से वापस आता और more »

आपने अपना आधार कार्ड बनवाया क्या?

[image: image] नंदन नीलेकनी, मैं आपसे पूरी तरह निराश हूँ... आखिर वही हुआ जिसकी न चाहते हुए भी मुझे प्रत्याशा थी. कोई तीन साल पहले भारत में आधार कार्ड बनने की शुरूआत हुई. तब कहा गया कि यह गरीब का पहचान पत्र गरीबों का भाग्य बदल देगा. मगर बीच में यह राजनीति का शिकार होता दिखाई दिया जब बांग्लादेशी घुसपैठियों के भाग्य भी बदलने लगा. खैर, वह तो राजनीति की बात हुई. हम यहां तकनीकी समस्याओं की बात करेंगे. जब नंदन नीलेकनी को आधार कार्ड तैयार करने के प्रकल्प का मुखिया चुना गया तो उनसे बड़ी उम्मीदें थीं. लगा था कि कंप्यूटरी चपलता से आनन-फानन में सालेक भर में सभी भारतीयों के हाथों में आधार कार... more »

हस्ताक्षर !!

Parul kanani at Rhythm of words...
चाहिए तुम्हारे हस्ताक्षर दिल के दस्तावेज पे तुम ही तुम चस्पा हो इश्क के हर पेज पे ! कुछ अधूरे से ख़त जिनको है तुम्हारी लत आ खड़े हैं अब मरने की स्टेज पे ! ख्यालों के कुछ झुनझुने अब भी है तुमसे सने कुछ नहीं बदला है अब भी खेल के इस फेज पे ! तन्हाई अब भी है कहीं मिस जिंदगी भर रही है फीस टुकड़ों में बिखरा पड़ा हूँ ख़्वाबों की सेज पे ! [image: www.blogvani.com]

आने वाले दिनों में -- संजय भास्कर

संजय भास्‍कर अहर्निश at शब्दों की मुस्कुराहट
आने वाले दिनों में जब हम सब कविता लिखते पढ़ते बूढ़े हो जायेंगे ! उस समय लिखने के लिए शायद जरूरत न पड़े पर पढने के लिए एक मोटे चश्मे की जरूरत पड़ेगी जिसे आज के समय में हम अपने दादा जी की आँखों पर देखते है ! तब पढने के लिए ये मोटा चश्मा ही होगा अपना सहारा आने वाले दिनों में देखता हूँ यह स्वप्न मैं कभी - कभी क्‍या आपको भी ऐसा ही ख्‍याल आता है कभी *........:) * @ संजय भास्कर

संबंधों का दर्द

डॉ. मोनिका शर्मा at परवाज़...शब्दों के पंख
जब जाने पहचाने अपने ही संबंधों का दर्द सालता है तो मन अनजाने, अनचाहे रिश्ते पालता है फिर स्वतंत्र हो जाने की अभिलाषा लिए नया उपार्जित करने का पागलपन प्रशस्त करता है अज्ञात राहें ये मार्ग आडम्बर से भरे होते हैं इनपर मिलने वाले रिश्ते कहाँ खरे होते हैं ये छद्म व्यक्तित्व समझ से परे होते है इस आभास के बावजूद अनगिनत लोग ऐसी डगर चुनते हैं कितने ही स्वप्न बुनते हैं पालते हैं कुछ महत्वाकांक्षाएं फिर समय की गति के साथ यही समझते गुनते हैं कि ये अनचाही घुटन इधर भी है साँस उधर भी नहीं आती है यूँ स्वयं को छलने का यह प्रक्रम अब आधुनिकता कही जाती है

वो भी क्या दिन थे..

noreply@blogger.com (Vivek Rastogi) at कल्पनाओं का वृक्ष
वे दिन बीते हुए भी अभी बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब न ये आधुनिक दूरसंचार के बेतार वाले उपकरण थे और न ही ये अंतर्जाल और आपस में बातचीत के लिये सुविधाएँ उपलब्ध थीं। अगर कहीं जाना भी होता था तो उस समय पहले से ही कार्यक्रम तय हो जाते थे और फ़िर नियत वक्त पर मिल लिया करते थे, ऑफ़िस के सहकर्मी से मिलना हो या फ़िर दोस्तों के साथ मिलना हो। कई चीजें नियत थीं, फ़लाना समय पर फ़लानी जगह पर मिलन है, उस समय वह अड्डा हुआ करता था। अगर कोई पूछ भी ले तो कोई भी आसानी से बता दिया करते थे कि शाम के वक्त तो अभी वे उस जगह मिलेंगे उसके बाद वे उस जगह अपने दोस्तों के साथ होंगे फ़िर घर निकल जायेंगे। अगर कोई क... more »

और यूँ भी नहीं कि वक़्त नहीं है...

लम्बे समय से एक अजीब दुविधा में हूँ। यूँ तो दुविधा हमेशा ही रहती है लेकिन इन दिनों कुछ ज्यादा ही। ये दुविधा ऐसी है कि लगता है मेरे शब्दों में से अर्थ गायब हो गए हैं। यानि कुछ कह पाने की रही बची उम्मीद भी जाती रही। कह के कहना कभी आया ही नहीं था, थोडा बहुत लिखके कहने की कोशिश होती थी वो भी लगातार कम होती जा रही है। लेकिन ये कोई अजीब बात नहीं। न ही इस बात का कोई दुःख है। अजीब बात तो ये है कि बहुत शांति है इन दिनों। हालाँकि व्यस्तता बहुत है, ऐसा आजकल कहती हूँ सबसे। न जाने कितनी मिस कॉल पड़ी हैं, कितने मैसेज जिनके जवाब नहीं दिए गए, कितने लोग होल्ड पर इंतजार कर रहे हैं , more »
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

18 टिप्‍पणियां:

  1. kya gajab ka compare karte ho sir...:)
    too good... thanks..
    happy birthday rashmi di...:)
    bahut bahut shubhkamnayen..

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  2. इस सुखद संयोग की ओर ध्यान नहीं गया। वाकई रश्मि जी हिंदी ब्लॉग जगत की कोकिला हैं। रश्मि जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें। साथ में बढ़िया लिनक्स मिले पढने को। शिवम् जी आपको भी बधाई।

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  3. रश्मि जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. दोनों कोकिलाओं को हैप्पी बर्थडे :)

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  5. आँखें नम हैं इतने स्नेहिल लहरों में
    सौभाग्य ही है कि ईश्वर ने यह तारीख मुझे दी
    और नतमस्तक हूँ भारत के इस गौरव के आगे
    जिन्होंने पन्त के दिए नाम को सुवासित किया
    शिवम् भाई .......................... बस बहुत स्नेह,आशीष

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  6. बहुत बढ़िया बुलेटिन.......
    भारत कोकिला और आ.रश्मि जी के जन्मदिन पर हम सबको बधाई.

    लिंक्स भी सुन्दर!!!
    आभार
    अनु

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  7. दोनों कोकिलाओं को हैप्पी बर्थडे :)

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  8. बेहद उम्दा बुलेटिन................मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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  9. उम्दा ब्लॉग बुलेटिन .....मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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  10. जन्मदिवस की बहुत बहुत बधाई रशिम जी

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  11. सुंदर संग्रह
    मुझे सम्मलित करने का आभार

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  12. बेहतरीन लिनक्स का बुलेटिन...... शामिल करने का आभार

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  13. बुलबुल-ए-हिंद से शुरू करते हुए बुलबुल-ए-ब्लॉग तक की यात्रा में मज़ा आ गया.. शिवम बाबू रश्मि दी हम सभी की आदरणीय हैं.. और बुलेटिन पर शायद सबसे सक्रिय भी.. उनकी विविधता को सलाम और दुआ यह कि यही विविधता सदा लेकर वो आती रहें परमात्मा उनकी यह स्फूर्ति सदा बनाए रखे!!

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  14. भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के बारे में इतनी महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ दिया गया आलेख बहुत अच्छा लगा ! ब्लॉग-ए-बुलबुल रश्मिप्रभाजी को भी जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! हमेशा की तरह सुन्दर सार्थक लिंक्स के साथ शानदार बुलेटिन ! सभी पाठकों को वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  15. अभिव्यक्ति की सुन्दर रेख ढूढ़ी है..

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  16. यह सुखद संयोग ... और आपकी पोस्‍ट भावविभोर कर गई
    आभार सहित
    सादर

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