प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
हम लोग भी कितने अजीब है न ... जब कुछ गलत करना हो तो जानबूझ कर उस गलत को सही तरीके से करते है ... पर जब कुछ सही करना हो तो गलती से भी सही नहीं करते !
अब आज के दिन को ही ले लीजिये ... आज प्राण साहब का जन्मदिन है ... सुबह से फेसबुक और ट्विटर पर नज़र रखे था कि भई ज़रा पता तो चले किन किन ने उनको अपनी अपनी शुभकामनायें दी है ... पर निष्कर्ष यह निकला कि शायद बॉलीवुड को भी यह दिन याद नहीं रहा !!
अभी कुछ अरसा पहले जब ट्विटर और फेसबुक पर अचानक प्राण साहब के निधन की झूठी खबर फैली थी ... शोक संदेशों की एक बाढ़ सी आ गई थी ... और आज उन्हीं प्राण साहब को लोग भूलें हुये है !
शायद हम लोग बदल गए है ... मौत का भी जश्न मनाया जाने लगा है आजकल ... कोई हादसा हो जाये ... या किसी आतंकी को सज़ा दी जाये ... मीडिया सहित हम सब शुरू हो जाते है ... मौत का उत्सव सा मनाने मे ...फेसबुक पर अक्सर ही देखता हूँ ... किसी ने स्टेटस डाला ... "मेरे परिवार मे अमुक सज्जन का निधन हो गया !" फिर क्या दे दनादन लाइक मिलने शुरू ... अरे भई किसी की मौत की ख़बर पर लाइक ... ज़रा तो शर्म करो !
लाइक का विकल्प है तो क्या कुछ भी लाइक किया जाएगा !? ऐसी भी क्या मजबूरी ... ऐसा भी क्या शौक !?
अभी कुछ देर पहले लगे फेसबुक स्टेटस पर सलिल दादा क्या कहते आइये देखें :-
अब्राहम लिंकन - सादगी की मिसाल.
अभिनेता प्राण साहब - परदे पर जितने बुरे, परदे के बाहर उतने ही सादा और मिलनसार.
क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ - जितने अच्छे खिलाड़ी, उतना ही दिखावे से बचने वाले इंसान ( कमबख्त शराब की बुरी आदत कैसे चिपक गयी)
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आज इन तीनों की सालगिरह.. मेरे तीन पसंदीदा शाख्सियात..
बहुत अच्छा लगता है इनके साथ अपना जन्मदिन शेयर करते हुए. और ऐसे में इतने
सारे दोस्तों/बच्चों/शुभचिंतकों की बधाई पाकर सोचता हूँ कि मुझे खुशी मिली
इतनी कि मन में ना समाये!!
सबों के सामने सिर झुकाए हूँ.. आपकी दुआओं की सचमुच बहुत ज़रूरत है इन दिनों!!
अब आप लोग सलिल दादा को अपनी बधाइयाँ और शुभकामनायें दीजिये ... मैं तब तक आज की बुलेटिन तैयार कर लेता हूँ !
सादर आपका
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*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं
यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी
हमेशा...आप भी भेज सकते हैं आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी **
तस्वीर **मेरे मेल आई डी- archanachaoji@gmail.com पर साथ ही आपके ब्लॉग की
लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो **तस्वीर में...*
*आज की तस्वीर में है मेरे भैया -सलिल वर्मा जी अपनी श्रीमती जी रेणु सलिल और
बिटिया प्रतिक्षा प्रिया (झूमा) के साथ --*
*विशेष-आज ही भैया का जन्मदिन है तो जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएँ -"अपना घर"
परिवार की ओर से *..
*और इनका ब्लॉग है -चला बिहारी ब्लॉ... more »
*कल तो शुभकामनाओं से भरा होगा,* ही पर उस आने वाले खुशनुमा कल की आहट से आज की साँझ
भी कुछ उल्लासित होने को आतुर है, आदरणीय *रश्मि प्रभा जी* का जन्मदिन और
वसंत ऋतु दोनो का अनोखा संगम है एक ओर जहां विद्या की देवी सरस्वती की पूजा
धूमधाम से की जाती है वहीं उन्होंने भी माँ सरस्वती के आँगन में जन्म लिया *
13** फरवरी (गुरूवार) *को और वरदान स्वरूप पाई माँ सरस्वती की असीम कृपा...
कई बार लगता है ऐसे जैसे वसंत से अलग नहीं है उनका व्यक्तित्व, विरासत में मिला
लेखन तो सरल मन में स्नेह, सबको साथ लेकर चलने का भाव, मन कभी किसी बात से
आहत हो भी यदि तो भी वे उससे परे सहजता लिये एक मुस्कान क... more »
"बहाने बसंत के"(1)
बसंत की सुबह अक्सर पापा के फरमान से होती ...बिना नहाय कोई छत पर नहीं चढ़ेगा
..जानते थे एक बार जो चढ़ गया वो किसी हालत में नीचे नहीं उतरेगा,वो बालपन
का जोश वो उत्साह , बीच-बीच में दादी फ़्लैश बेक में चली जाती "घर में इन
बच्चों के कुर्ते पीले रंग में रंग देते थे क्या मजाल कोई बच्चा बिना नहाय छत
पर चढ़ जाए ... "
अपनी अलमारियों में पीले कपड़ों की ढूंढ शुरू हो जाती आखिर ऋतुराज का स्वागत
उनके मन-भावन रंग में ही तो करना चाहिए,बचपन से कैशोर्य के बीच छतों पर बहार
का त्यौहार लगने लगा था हर छत आबाद ,आँखे आकाश की ओर,
फुर्सत भरा फिर भी बेहद व्यस्त दिन ,थकाने वाला पर फुर्तीला दिन ... more »
मतलब नहीं समझे होंगे आप . खड़ी शादी बोले तो दिन में निपट जाने वाली शादी और
पट शादी मतलब रात वाली शादी जब लोग आराम से पट लेते हैं -सो जाते हैं . खड़ी
शादी का नामकरण पिछले वर्षों से अपने पूर्वांचल में चर्चा में आया है , मैंने
भी जब पहली इसे सुना तो चौका था- लोगों ने बताया कि अब दिन में भी लोग
शादियाँ निपटा रहे हैं यानी खड़े खड़े -आगत स्वागत सब निपट जाता है और बराती
घराती (रिश्तेदार) लोग दिन रहते ही अपने अपने घर की राह लेते हैं और वर वधू
की भी विदाई दिन को ही हो जाती है -सब की राहत और रात में चैन की नींद . मुझे
याद है मैंने सन *1993 *में ही मुम्बई (तब बाम्बे) में अपनी पुरवईया के ही ए... more »
माधव के स्कुल मे Educomp SmartClass के जरिये पढाई होती है . ब्लैक बोर्ड
(दरअसल व्हाइट बोर्ड ) एक तरह से मोनीटर का काम करता है . अब स्कुल की ओर से
इस स्मार्ट क्लास का यूजर आई डी और पास वर्ड बच्चों और पारेंट्स को भी दिया
गया है. स्टूडेंट और पारेंट्स का अलग अलग आई डी और पास वर्ड है .
Educomponline.com मे जाकर Log in करने के बाद ये
बहुत उपयोगी प्रोडक्ट लगा. अब घर बैठे ही माधव के क्लास मे क्या हो रहा है हम
भी जान लेंगे . School assignment, Teacher
Notes, Attendance,Calender,Marks,Announcements,Messages etc. सबकुछ ऑनलाइन
हो गया है . माधव अपने अकाउंट मे क्य... more »
*शिष्टाचार और आत्मीयता दोनों में बहुत भिन्नता है *
*आत्मीयता में दिखावा नहीं अपनापन होता है *
*जबकि शिष्टाचार कृत्रिम आवरण को ओढे मानवीय आचरण होता है *
*शिष्टाचार में औपचारिकताये अधिक होती है *
*संबोधन भले ही सम्मान जनक हो *
*पर दिलो में दूरिया दर्शाते है *
*वर्तमान में रिश्तो में आत्मीयता का स्थान *
*औपचारिकताओं ने ले लिया है *
*व्यवहार कुशलता का छद्म आवरण व्यक्ति की कुटिलता को छुपा लेता है *
*पर स्वभाव में स्वाभाविक सहजता सरलता *
*आत्मीयता को छुपा नहीं सकती *
*वह तो कभी गोकुल की गोपियों की तरह *
*तो कन्हैया की मैया यशोदा की तरह *
*भावनाओं का मीठी मिश्री और मख्खन की अनुभूति करा ही देती... more »
रात बहुत गहरी है
फलक पर सिमटे तारे हैं
एक बूढा सा चाँद भी
अपनी बची खुची चाँदनी,
ओढ़े खडा है.
आस्माँ ने मुझे
दिया है न्योता,
सितारों जड़ी एक चादर
बुनने का.
इसके एवज में उसने
किया है वादा
शफक पर थोड़ी सी
जगह देने का.
पर मुझे तो पता है
शफ़क़ सिर्फ एक धोखा है
ये चाल है निगोड़े आस्माँ की
मुझे छलने जो चला है
स्वार्थी है बहुत वो
पूरा जग घेरे पड़ा है
पर हमने भी अब है ठानी
उससे भिड़ के दिखाना है
कह दो, उस आस्मां से
जरा सा खिसक जाए
अपने हिस्से का आकाश,
हमें भी बिछाना है.
निर्मल निर्लेप नील आकाश ...
देता है वो विस्तार .....
कि तरंगित हो जाती है कल्पना ...
नाद सी.......हो साकार ....
अकस्मात जब ढक लेते हैं बादल ...
नीलांबर का वो नयनाभिराम सौन्दर्य .....
गुण को गुणातीत ...
तत्व को तत्वातीत......
अगम्य को गम्य कर त्वरित गति देती हैं ...
मन की अनहद उन्माद तरंगें ...!!
मूक सर्जना मुखरित हो उठती है .....
पंगु शब्द भी -
कविता में नृत्य करते है ...
मौन तरंगित हो ......
अनहद सा ले जाता है ...
मेरे मन को उस पार .......
हे प्रभु ...तुम्हारे पास .....!!
अक्षर के अक्षत चढ़ाऊँ ....
ज्ञान दो विस्तार पाऊँ ....
सुकृत हो जाऊँ.....
तुम्हारा रूप ....मेरे आखर .... more »
क्या फरक कि मैं चला या तू चला है ,
बात है कि फासला कुछ कम हुआ है |
एक अरसे से नहीं रूठी है मुझसे ,
मुझको किस्मत से फ़कत इतना गिला है |
टूटने वाला हूँ मैं कुछ देर में ,
ये मेरी अपनी अकड़ का ही सिला है |
तू भी इक दिन फेर लेगा मुंह यकीनन ,
खून में तेरे वही पानी मिला है |
आईने से मुंह चुराते हो भला क्यूँ ,
एक तेरा ही तो मुंह दूधों धुला है |
आज नाजायज है अपने ही शहर में ,
वो गुनाह जो सबकी गोदी में पला है |
दफ्न कर डाले हैं सबने फ़र्ज अपने ,
दौर ये अंगुली उठाने का चला है |
एक दिन बदलेगी ये तस्वीर, लेकिन
बोलने से क्या कभी पर्वत हिला है ?
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सफ़र से लौटकर
आने
की आहटों से
चौंक
गये
बरगद,नीम,आम
महुओं
का
उड़
गया नशा
बड़े
बड़े दरख्तों के
फूल... more »
रविवार का दिन था। सुहानी धूप खिली थी। सोच ही रहे थे कि कई दिनों बाद खिली
धूप का आनंद कैसे लिया जाये कि तभी साले साहब का फोन आया कि एक कार्यक्रम में
जा रहे हैं। शायद हमें भी पसंद आये। कार्यक्रम क्योंकि घर के पास ही था ,
इसलिए बिना सोचे कि क्या है , हम निकल पड़े। कार्यक्रम स्थल पर गाड़ियों की
लाइन लगी थी। लोग तेजी से आ रहे थे। जगह जगह कुछ लोग आदर सहित सबका हाथ जोड़
कर स्वागत कर रहे थे। हमें भी कई बार लगा जैसे ये हमें जानते हैं , तभी इतना
मुस्करा कर स्वागत कर रहे हैं। एक सज्जन तो डॉक्टर ही थे, सोचा ये तो अवश्य
जानते होंगे। पंडाल में पहुँच कर हमें बड़े प्यार से रास्ता दिखाया गया। हमने... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
आज तो प्यारी लग रही है ब्लॉग बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंटीवी में देख रहा था प्राण साहब को..
आपकी याददाश्त ... फिर सलिल भाई से खुद पर आकर रुकी - इस उपहार ने मुझे ख़ुशी से रुला दिया . कभी नहीं भूलूंगी इस पल को
जवाब देंहटाएंpartyyyyyyyy....तो बनती ही बनती है अब,
जवाब देंहटाएंAabhaar Rashmi ji ko shubhkaamnaaye praan ji par lekh achhaa lagaa
जवाब देंहटाएंआभार शिवम भाई ...हृदय से ....मेरी रचना को स्थान दिया ...!!
जवाब देंहटाएंअब ध्यान से सभी को शुभकामनायें लिख रही हूँ ...:))
एक से बढ़कर एक-आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं
सार्थक सूत्रों से सजा बेहतरीन बुलेटिन ! लिंक्स का आपका चयन हमेशा प्रभावित करता है !
जवाब देंहटाएंसभी महानुभावों को जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंइस आभासी दुनिया में अब कुछ आभासी नहीं लगता..."जो तेरा है वो मेरा है" ....सभी को जिनका जन्मदिन फरवरी में है...बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ ....लिंक्स सहेज ली है ..."अपना घर" के लिये आभार ...
जवाब देंहटाएंमुझे खुद भी सूना सूना लगता है इस जगत के बिना.. अभी अपने भाई को कह रहा था कि वसुधैव कुटुम्बकम का नारा तो सभी देते हैं..लेकिन आज मुझे इतनी शुभकामनाएँ पाकर लगा कि सचमुच वसुधैव कुटुम्बकम साकार हो उठा है!!
जवाब देंहटाएंइतनी सच्ची और प्यारी बुलेटिन के लिए मैं शिवम भाई का आभार प्रकट करता हूँ!! वैसे आभार औपचारिकता है.. प्यार का आभार बस भार होता है दिल पर!! हम भार नहीं रखते और आभार कहकर वापस ले लेते हैं शिवम बाबू!!
एतो भालोबाशा भालो नेई!!
सबको जन्मदिन की बधाइयाँ..बड़े ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंसलिल जी को जन्मदिन के ढेर सारी शुभकामनाएं! बढ़िया पोस्टें, अच्छा बुलेटिन।
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंआदरणीया रश्मि बहिन जी को
जवाब देंहटाएंआदरणीय सलिल जी को
और जो छूट गयें हैं उनको "जन्मदिन की शुभकामनायें"
सुंदर संग्रह हमेशा की तरह और
शिवम भाई को बधाई
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबुलेटिन पर आने में विलंब हुआ है मुझे ... क्षमा चाहती हूँ , शिवम जी आपका बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंइस प्रस्तुति के लिये आभार सहित
सादर