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रविवार, 20 जनवरी 2013

एक जगह - जहाँ दो चार पंक्तियों में सुबह होती ही होती है - २



ब्लॉग सा एक अध्याय फेसबुक .......... बनता है बुलेटिन - मानो या ना मानो -

Tulika Sharma
दिन के प्रखर ताप में भी ठंडी.... उदास थी उसकी खामोशी ........अंतर्मन में गहरे कहीं गरज रहीं थीं बेचैनियाँ ..................
शाम ढले मावठ गिरी है आज

Arun Dev
मेरे नए कविता संग्रह के आने की आशंका बलवती हो गई है. यह दुर्घटना कभी भी घट सकती है. :-)

सुनीता सनाढ्य पाण्डेय
मैं और मेरा नया चौपाया
यही बातें करते हैं
टेंशन ना ले यार
लोग तो कुछ भी कहते हैं....:P

खुद के लिए गाना गा
और मस्त हो जा कि...

ओ 'नेनो' वाली ने हाय मेरा दिल लूटा....:-)))))

Pallavi Trivedi
वो जो ऊपर बैठा है न..सात आसमानो के पार! वो मेरा बहुत बहुत प्यारा पर नकचढा दोस्त है! सब उसे फूल चढाते हैं...वो आकर मुझसे गले मिलता है! कभी कभी नींद में आकर चिकोटी काट देता है...आज भी काटी थी शायद. सुबह उठी तो पैर सुन्न था!

कभी कभी बड़े प्यार से मेरी उंगली पकड़कर मुझे नज्मे लिखवाता है...और यही नहीं अपने होंठों से छूकर उन नज्मो में सांस भी भरता है! जब मैं खुश होती हूँ तो उसकी मुस्कराहट भी बादलों से छनकर मुझ तक आती है..जब उदास होती हूँ तो बादलों में तरह तरह के चेहरे बनाकर मुझे हंसाता है!

जब दुनिया मुझे नास्तिक कहती है तो मैं अपना सर ऊपर उठाकर देखती हूँ.. ऊपर से वो कहता है " जस्ट चिल .." और आँख मार देता है! हम दोनों एकदम पक्के दोस्त हैं! 

मुझे यकीं है जब यहाँ से रुखसती का वक्त आएगा तो मैं उसके कन्धों पर सवार होकर ही टलूंगी यहाँ से.. हम दोनों गाना गाते हुए बादलों का सफर तय कर रहे होंगे ! 
ओ खुदा डार्लिंग... आय लव यू सो मच .....muaaah

देवेन्द्र बेचैन आत्मा
Yesterday
मन कहता...
चल! उधर चल
आज यारों में छनेगी
तन कहता..
रूक! अरे मन
अब तो मेरी ही चलेगी।

Kirtivardhan Agarwal
जानता हूँ पत्थरों के जज्बात नहीं होते,
चोट लगी,टूटे भी ,मगर आंसू नहीं होते ।
वक़्त लेता है इम्तिहाँ ,उस शख्स का ,
जिसके जज्बात ,पत्थर दिल नहीं होते ।

Divya Shukla
शब्द झगड़ते ही रहे 
रात गुजरी बेख्याली में 
बिखरे लम्हों को चुनते 
उलझता रहा मन 
लो अब हार ही गए हम 
----------दिव्या ---------

Sudha Om Dhingra
29 December 2012
मित्रो, मैं दुःख की घड़ियों में निशब्द हो जाती हूँ। कुछ लिख नहीं पाती, कुछ कह नहीं पाती। अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर पाती। दामिनी के जाने का दर्द भीतर तक हिला गया है। बस कल से ईश्वर से प्रार्थना कर रही हूँ कि बच्ची की आत्मा को शान्ति दे, वह इस संसार से बड़े कष्ट में गई है और जो जोत वह सबके हृदय में जगा गई है वह कभी बुझने न पाए। मेरी मजबूरी है कि मैं दूर बैठी कुछ कर भी नहीं पाती। यह और भी कष्टप्रद है।

Jyoti Khare
8 January
छीनकर रख लो
अपनी मुट्ठी में 
सारी कायनात 
इस समय
तुम्हारे नाम का जलवा है---------

Vandana Awasthi Dubey
Tuesday
दो दिन पहले डॉग-सेलर के यहां प्यारे-प्यारे पप्स दिखे, तो विधु उन्हें प्यार करने की गरज से रुक गयी, एक छोटे से पपी को खूब दुलराया उसने. घर लौटे तो नानू जी हमें दूर से ही सूंघने लगे :) विधु और मुझे इस कदर सूंघा कि हमने आइंदा किसी भी पपी को गोद में न उठाने की कसम खा ली है :) :)

Poonam Jain Kasliwal
12 January near Mississauga, Ontario
करवटों - सिलवटों के बीच पसरा भीगापन ,
खिड़की से दिखता एक टुकड़ा आसमान ,
धुंधली - धुंधली धूप और सीली सी हवा ,
काँच पर सरकती बुँदे कुछ होलै- होलै,
मिलीभगत , तुम्हारी मौसम के साथ ,
तुकबंदी कर रहा यह तुम्हारे साथ ,
न खुल कर बरसात न गरजता ,
तेरा साथी - ढोंगी - धोखेबाज़......

15 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात :))

    आपके सार्थक मेहनत को सलाम !!

    शुभकामनायें !!

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  2. लिखना है तो रामायण का सार लिखो
    बढ़ता जाता अत्याचार,उपचार लिखो।
    लिखना है तो मानवता की बात लिखो ,
    किया गया उपकार तुम साभार लिखो ।

    dr a kirtivardhan
    8265821800

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  3. हमेशा की तरह नए ...बेहतरीन लिंक्स ...इस बार चेहरे पर एक मुस्कराहट बिखेर गयी आपकी पोस्ट....:)

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  4. सब के भाव यूं एक जगह समेट लेना ... आसान नहीं है ... आभार दीदी !

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  5. @सारस जी
    @धीरेंद्र जी

    ज़रा गौर करें पोस्ट मे कोई भी लिंक नहीं दी गई है केवल कुछ फेसबूक स्टेटस का जिक्र भर है ... ;)

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  6. छोटी पर सार्थक
    सुंदर संयोजन -----सभी को बधाई

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  7. अरे वाह यहाँ मैं भी हूँ
    बहुत सुन्दर रचनाएं ....शुक्रिया

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