रोज रोज लोग लिखते हैं , भागते भागते थक जाती हूँ .... नए की तलाश में ! नयापन तो सर्वत्र बिखरा पड़ा है - बस एक क्लिक में देर हो जाती है और पौधा वृक्ष बन जाता है . भावनाओं का अमिट संसार है हमारे आगे ... पन्ने दर पन्ने जितना पढ़ सकें पढ़िए और ज़िन्दगी का वह पहलु भी देखिये जो आपने नहीं देखा ..... इसी में कभी गुरु,कभी शिष्य तो कभी कोई सहयात्री मिल जायेगा ...
आइये पाइए सहयात्री ... गुरु ... शिष्य
bhaut hi khubsurat links....
जवाब देंहटाएंसारे लिंक्स पढ़ लिए...वहाँ पर दी गई टिप्पणियाँ गवाह हैं:)
जवाब देंहटाएंजहां जाओगी खुशबू के तरह मैं भी चली आऊँगी/
जवाब देंहटाएंअपने अहसास मे महसूस करना मुझे ही मुझे पाओगी
बहुत सुंदर लिंक्स दी(मालिका-ए-आजम) :)):))
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंशीर्षक लाज़वाब है। अभी एक भी लिंक नहीं पढ़ पाया।
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha jha ji ...
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिन्कस.
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