प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
प्रणाम !
"आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा है , आप सब को मेरी और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से गुरुपर्व की और कार्तिक पूर्णिमा की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनाएँ !
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला"
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाने सरबत दा भला"
सादर आपका
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ये बात तो सही है...
"आपने सिगरेट पीना छोड़ा नहीं न अब तक? ये अच्छी चीज नहीं है, आपसे कितनी बार तो कह चुका हूँ।" कश्यप बोला। "अरे यार, दिमाग खराब मत कर। है तो यहीं हापुड़ का और आप-आप कहकर बात करता है जैसे लखनऊ की पैदाइश हो तेरी। बराबर के दोस्त और फ़िर एक ही बेल्ट के बंदों से आप-जनाब वाली भाषा अपने से होती नहीं। फ़िर पैस्सिव स्मोकिंग से इतनी परेशानी है तो आने से पहले टेलीग्राम भेज दिया कर, हम कमरे से बाहर ही
देवी चौधरानी और महारानी तपस्वनी .......
इन दो महिलाओं ने देश की आजादी के लिए वो अलख जगाई जिसे आज हम सब भूल गये है ................ नर--- नारी सृष्टि चक्र में दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू है | शक्ति का स्रोत उसी समय फूटता है , जब उसके खनन में इन दोनों का सहयोग होता है | श्रम शक्ति का आधार ही नारी का वह अनोखा योगदान है , जिसे पुरुष ने कभी स्वीकारा नही है | आज हम जिस आजादी की जिस हवा में सांस ले रहे है , उस बयार को प्रवाहित करने में भारतीय नारी किसी भी पुरुष से किसी कदर पीछे नही रही है | ब्रिटिश हुकूमत के आरम्भिक काल में ही देश की नारी ने ही उसकी दासता को चुनौती दी है और भारत के पौरुष को जगाया है | सन 1763 में बंगाल के भयंक... more »
सॉफ्ट टार्गेट
shaheen and her friend faced the charges for writing on facebook rimsha maseeh: pakistani girl facing blassfemy charges पकिस्तान में चौदह साल की किशोरी को ईशनिंदा के इलज़ाम में घेर लिया जाता है तो भारत में दो लड़कियां केवल इसलिए गिरफ्तार कर ली जाती हैं क्योंकि उन्हें भारत की आर्थिक राजधानी की रफ़्तार के ठहरने पर एतराज़ था आखिर क्यों ढूंढे जाते हैं सॉफ्ट टार्गेट . . .
खोखले से हम
खोखले से हम नाते रिश्तों मैत्री सम्बन्धों पड़ोसी से बोलचाल सोफे पर चिपके टी वी पर आँख कान गड़ाए अपनों को छोड़, राह चलतों को राम राम जय श्री कृष्ण नमस्कार दुआ सलाम करना छोड़, जी टॉल्क पर हाय नेट पर या फेसबुक पर कुछ मन को छू लेने वाला खोजते, खीजते खोखले से, खाली मन खाली हाथ, लौट जाते हैं कल फिर से आने को। घुघूती बासूती
आरम्भ 1 दिसम्बर से
*(कृपया अब दूसरी कोई भी पोस्ट 25 दिसम्बर तक ना डाली जाये )* भीनी भीनी हवाओं की आहटें कहानियों कविताओं संस्मरणों हाइकु क्षणिकाओं .... संग हिंदी साहित्य के परिकल्पना मंच पर दस्तक दे रही हैं स्वागत कीजिये अपनी रचनाओं के संग मील का पत्थर हो यह परिकल्पना कोई कसर न छोड़िये परिकल्पना को इंतज़ार है आपका आप उसके मंच को साकार कीजिये परिकल्पना आपकी कल्पनाओं को पंख देगी है पंख मेरी झोली में सांता क्लॉज से लेकर आई हूँ आप आइये तो :)
दुनिया का ‘सबसे गरीब’ राष्ट्रपति : जोसे मुजिका
जोसे मुजिका का खेत में बना मकान, उनकी पत्नी और कुत्ता (फोटो- बीबीसी) -व्लादिमीर हर्नान्डेज यह एक आम शिकायत है कि राजनीतिज्ञों की जीवनशैली उन लोगों से बिलकुल अलहदा होती है जो उन्हें चुनते हैं. लेकिन उरूग्वे में ऐसा नहीं है. यहाँ के राष्ट्रपति से मिलें– जो खेत में बने एक जर्जर मकान में रहते हैं और अपनी तनख्वाह का बड़ा हिस्सा दान कर देते हैं. अपने कपड़े वे खुद ही धोकर घर के बाहर सूखाते हैं. पानी उनके अहाते में बने कुएँ से आता है, जहाँ घास-फूस फैली रहती है. सिर्फ दो पुलिस अधिकारी और एक तीन टांग वाला कुत्ता, मनुएला बाहर रखवाली करते हैं. यह उरूग्वे के राष्ट्रपति, जोसे मुजिका का घर है जि... more »
मन की कोमल पंखुड़ी पर ....फिर बूँद बूँद ओस.....!!
सुषुप्ति छाई ....गहरी थी निद्रा .... शीतस्वाप जैसा .. .. ....सीत निद्रा में था श्लथ मन ........!! न स्वप्न कोई .....न कर्म कोई ...न पारितोष ...... अचल सा था .....मुस्कुराने का भी चलन .... तब ....शांत चित्त ... बस जागृत रही आस ...... है छुपा हुआ कहाँ प्रभास ....? जपती थी प्रभु नाम .... गुनती थी गुन ...गहती थी तत्व ....और ... टकटकी लगाए राह निहारती थी .......शरद की ....!! हर साल की तरह ......कब आये शरद और ... हरसिंगार फिर झरे मेरी बगिया में ...बहार बनके .... अब पुनः ....शरद आया है ..... अहा .....लद कर छाया है ..... चंदा सूरज सा .... श्वेत और नारंगी रंग लिए ... हरसिंगार अबके ... more »
दाम्पत्य जीवन के आठ वर्ष
आज 28 नवम्बर को हमारी (कृष्ण कुमार यादव-आकांक्षा यादव) शादी की 8वीं सालगिरह है। दाम्पत्य के साथ-साथ साहित्य और ब्लागिंग में भी सम्मिलित सृजनशीलता की युगलबंदी करते हुए जीवन के इस सफ़र में दिन, महीने और फिर साल कितनी तेजी से पंख लगाकर उड़ते चले गए, पता ही नहीं चला। आज हम वैवाहिक जीवन के 8 वर्ष पूरे करके 9वें वर्ष में प्रवेश करेंगें। वैसे भी 9 हमारा पसंदीदा नंबर है। !! जीवन के इस सफ़र में आप सभी की शुभकामनाओं और स्नेह के लिए आभार !! रविकर जी की यह खूबसूरत पंक्तियाँ वर्ष-गाँठ आई सुखद, *आठ-गाँठ-कुम्मैद | मस्त रहें आठो पहर, इक दूजे में कैद | इक दूजे मे... more »
फेसबुक पर ज्यादा दोस्त होने का मतलब है ज्यादा तनाव
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग बिजनेस स्कूल द्वारा फेसबुक पर किए गए एक शोध से बड़ी दिलचस्प बाते सामने आई हैं। आप भी एक नज़र डाल ही लें - फेसबुक पर *जितने ज्यादा दोस्त होंगे अपराध आशंका भी उतनी ही ज्यादा* है - फेसबुक पर अपने नियोक्ताओं को जोडऩे या अभिभावकों को शामिल करने से खाता धारक की चिंता काफी ज्यादा बढ़ जाती है - करीब 55 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों का फेसबुक पर पीछा करते हैं - 50 फीसदी कंपनियां* अपने से फेसबुक पर जुड़े व्यक्ति को नौकरी नहीं देतीं * - फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति सात अलग-अलग की सामाजिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से जुड़ा होता है - फेसबुक पर लोग अपने *मौजूद more »
शिक्षा - एक वार्तालाप
सहसा पढ़ने बैठ गये बच्चे यह तब प्रारम्भ हुआ जब दशहरा के तुरन्त बाद बच्चों को अपने गृहकार्य की याद आयी। बच्चे घबराये से कार्य करने बैठ गये। पिछली रात के आनन्दमयी उन्माद में डूबे बच्चों को सहसा इतने मनोयोग से काम करते देखना बड़ा रोचक लग रहा था। फोटो खींच कर उसे फ़ेसबुक में डाल दिया। जो प्रतिक्रियायें आयीं, उसमें सबसे आलोचनात्मक और हृदयस्पर्शी आलोक की थी। वार्तालाप शिक्षा के प्रति समाज के दृष्टिकोण का एक संक्षिप्त रूप है, हिन्दी में अनुवाद भाव संरक्षित रखते हुये किया गया है।(आलोक चित्रकार हैं, मोहित बड़ी कम्पनी में कार्यरत हैं, दीप्ति सियोल में शिक्षण में हैं और प्रवीण रेलवे की सरकार... more »
नैन लगे उस पार
देह के अपने इस प्रांगण में कितनी कीं अठखेली पिया रे मधुघट भर भर के छलकाये औ रतनार हुई अखियाँ रे । खन खन चूडी रही बाजती छम छम छम छम पायलिया रे हाथों मेहेंदी पांव महावर काजल से काली अंखियां रे वसन रेशमी, रेशम तन पर केश पाश में बांध हिया रे । कितने सौरभ सरस लुटाये तब भी खिली रही बगिया रे । पर अब गात शिथिल हुई जावत मधुघट रीते जात पिया रे । पायल फूल कंगन नही भावत ना मेहेंदी ना काजलिया रे । पूजा गृह में नन्हे कान्हा मन में बस सुमिरन बंसिया रे । तुलसी का एक छोटा बिरवा एहि अब रहत मोर बगिया रे सेवा पहले की याद करि के रोष छोड प्रिय करो दया रे । दिन तो डूब रहा जीवन का सांझ ढले, फिर रात पिया more »
माता-पिता -बेटा
*यहाँ आपको मिलेंगी सिर्फ़ अपनों की तस्वीरें जिन्हें आप सँजोना चाहते हैं यादों में.... ऐसी पारिवारिक तस्वीरें जो आपको अपनों के और करीब लाएगी हमेशा...आप भी भेज सकते हैं- आपके अपने बेटे/ बेटी /नाती/पोते के साथ आपकी तस्वीर साथ ही आपके ब्लॉग की लिंक ......बस शर्त ये है कि स्नेह झलकता हो तस्वीर में... * *आज की तस्वीर में है - अनूप शुक्ला जी अपनी पत्नी श्रीमती सुमन शुक्ला जी और छोटे बेटे अनन्य के साथ -* * और अनूप जी के ब्लॉग को कौन नहीं जानता फ़िर भी....नाम है - फ़ुरसतिया*
ये कैसा चक्रव्यूह
पिछले कुछ महीनो में कई फ़िल्में आयीं और उन्होंने काफी दर्शकों को थियेटर की तरफ आकर्षित किया। बर्फी, इंग्लिश-विन्ग्लिश, OMG , जब तक है जान आदि। पर इन सबके बीच ही एक बहुत ही सार्थक, चिंतनशील, हमारे समाज की एक बहुत ही गंभीर समस्या से रूबरू करवाती एक फिल्म आयी 'चक्रव्यूह' और गुमनामी के अंधेरों में खो गयी। मुझे इस फिल्म का बहुत पहले से ही इंतज़ार था वैसे भी प्रकाश झा की कोई फिल्म मुझसे नहीं छूटती। इन फिल्मों की भीड़ में इसे भी देखा और तब से ही लिखना चाह रही थी, पर कुछ prior commitment ने व्यस्त रखा। नक्सल समस्या पर बनी इस फिल्म ने सोचने पर मजबूर कर दिया। हम जो बाहर रहकर देखतेmore »
मैनपुरी की तारकशी कला
*मैनपुरी की तारकशी कला * मैनपुरी का देवपुरा मोहल्ला…..तंग गलियों में हथौडी की चोट की गूंजती आवाज़…..को पकड़ते हुए जब चलना शुरू कर देंगे तो एक सूने से लकड़ी के दरवाज़े के खुलते ही एक ऐसी बेमिसाल कला का दीदार होगा जिसे तारकशी कहते है.पूरी दुनिया में तारकशी कला का मैनपुरी ही एक मात्र केंद्र है.इस कला की शुरुआत कैसे हुयी ये कहना मुश्किल है.लेकिन हिंदुस्तान में जब ब्रितानी हुकमत का सिलसिला शुरू हुआ तो तारकशी सात समन्दर पार पहुंच गयी. हिंदुस्तान से सीधे इस कला को पहचान नहीं मिली. यूरोप के देशो में इस कला को जबरदस्त लोकप्रियता हासिल हुयी.18 वी सदी में तारकशी के चाहने वाले पुरी दुनिया more »
10 रूपये का नोट नहीं , अब 10 रूपये के सिक्के !
जल्द ही आम आदमी के हाथों से 10 रूपये का नोट ग़ायब हो जाएगा , क्योंकि इसकी जगह 10 रूपये के सिक्के ले लेंगे । भारतीय रिज़र्व बैंक 10 रूपये के नोटों को हटाने की योजना बना रहा है , क्योंकि इस कागज़ी मुद्रा की आयु मात्र आठ से दस महीने ही होती है । वैसे 10 रुपये के सिक्कों का चलन मार्च 2009 से ही बाज़ार में है । इस संदर्भ में लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने यह जानकारी दी है । राज्य मंत्री ने कहा है कि - " भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक यह एक लंबी प्रक्रिया है । नोट के स्थान पर बाज़ार में सिक्कों का वितरण टकसालों की क्षमता पर निर्भर करेगी की वह कितन... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
गुरुपरब की बधाईयां.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स ,प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया ब्लॉग बुलेटिन । प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाई । मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए ब्लॉग बुलेटिन टीम और शिवम मिश्रा जी का बहुत - बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स । मेरी रचना को स्थान देने के लिये धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपको प्रकाश पर्व की अनेक शुभकामनाएं ।
achchhe links ...guru parv ki lakh lakh badhaiyan..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ......आभार शिवम भाई मेरी रचना को स्थान दिया ....!!गुरुपुरब की शुभकामनायें ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र हैं...पढ़ने का आनन्द देती...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ चुनी हैं आपने....बधाई.
जवाब देंहटाएंaapko bhi shubhkamnaen aur dhanywaad achhe links ke saath SOFT TARGET ko shamil karne ke liye.
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
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