प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
प्रणाम !
आज का ज्ञान :-
किसी की भी सिर्फ बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस 'मक्खी' जैसी है जो सारे खूबसूरत बदन को छोड़कर, अक्सर केवल 'जख्मों' पर ही बैठती है !
किसी की भी सिर्फ बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस 'मक्खी' जैसी है जो सारे खूबसूरत बदन को छोड़कर, अक्सर केवल 'जख्मों' पर ही बैठती है !
अब ज़रा ईमानदारी से सोचिए ... कहीं आप और हम 'मक्खी' तो नहीं बनते जा रहे ???
सादर आपका
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इबादत: एक नाट्य-रूपांतर
*जेफरी आर्चर* का एगो कहानी संकलन है जिसका नाम है *“ट्विस्ट इन द टेल”* माने
कहानी में पेंच! ई बात त मुहावरा के तरह इस्तेमाल होने लगा है अऊर खासकर
फ़िल्मी दुनिया में त बिना इसके कोनो कहानी बन ही नहीं सकता. कहानी में कोनो न
कोनो पेंच होना ही चाहिए, चाहे बचपन का बिछडा हुआ भाई का पेंच, चाहे पैदा होते
ही बदला गया बच्चा का पेंच, चाहे पति/पत्नी के मरकर अचानक द में ज़िंदा सामने
आ जाने का पेंच! पेंच नहीं त कहानी नहीं. मगर कभी कोनो घटना को पेंच बनाकर
कहानी लिखने वाले कथाकार के बारे में कभी सोचे हैं! ऐसा पेंच जो कहानी के अंत
में अचानक आपके सामने आता है अऊर आपको एकदम अबाक कर देता है. आँख से आंसू... more »
एक शाम गीता के नाम - चिंतन
*सुखिया सब संसार है खाए और सोये।* *दुखिया दास कबीर है जागे और रोये।*। ज्ञानियों की दुनिया भी निराली है। जहाँ एक तरफ सारी दुनिया एक दूसरे नींद हराम करने में लगे हुए हैं वहीँ अपने मगहरी बाबा दुनिया को खाते, सोते, सुखी देखकर अपने जागरण को रुलाने वाला बता रहे हैं। जागरण भी कितने दिन का। कभी तो नींद आती ही होगी| कौन जाने, मुझे तो लगता है कि कुछ लोग कभी नहीं सोते। सिद्धार्थ को बोध होने के बाद किसका घर कैसा परिवार। मीरा का जोग जगने के बाद कौन सा राजवंश और कहाँ की रानी, बस"*साजि सिंगार बांध पग घुंघरू, लोकलाज तज नाची।*" जगने-जगाने की स्थिति भी अजीब है। जिसने देखी-भोगी उसके लिए ठीक, बाकियों क... more »
हमारा हवामहल "इबादत"
आज आपके लिए मैं, नहीं हम, जी हाँ ये आभासी रिश्तों का एक सम्मिलित प्रयास है, और हम लेकर आए हैं, आपके लिए *..ओ’ हेनरी की कहानी AService Of Love ( अ सर्विस ऑफ़ लव) का नाट्य रूपान्तरण " इबादत"...*. इस कहानी को नाट्य में रूपांतरित किया है हमारे *छोटू उस्ताद*यानि *अनुभव प्रिय *ने जिससे आपका परिचय करवाते हुए कहा था मैंने .. कि ये तो अभी शुरुआत है देखिये आगे-आगे करते हैं क्या?......अपनी पढा़ई के बीच से समय चुराना कोई अनुभव से सीखे ...अनुभव बच्चों के लिये एक आदर्श है... * **अभिनव के किरदार को आवाज दी है - अनुभव प्रिय ने* और इस नाटक का संपादन किया है मेरे *सलिल भैया* यानि more »
क्यों नहीं सफल होता है पॉलीथीन पर प्रतिबंध?
लखनऊ के कैंट इलाके में पॉलीथीन पर प्रतिबंध है। पर बावजूद इसके दुकानदार चोरी-छिपे पालीथीन का प्रयोग करते पाए जाते हैं। यही हाल उत्तराखंड, हिमांचल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गोआ के बहुत से जिलों का है।... Please read full story at blog...
कठै गया बे गाँव आपणा ?
कठै गया बे गाँव आपणा कठै गयी बे रीत । कठै गयी बा ,मिलनसारिता,गयो जमानो बीत || दुःख दर्द की टेम घडी में काम आपस मै आता। मिनख सूं मिनख जुड्या रहता, जियां जनम जनम नाता । तीज -त्योंहार पर गाया जाता ,कठै गया बे गीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता,गयो जमानो बीत ||(1) गुवाड़- आंगन बैठ्या करता, सुख-दुःख की बतियाता। बैठ एक थाली में सगळा ,बाँट-चुंट कर खाता । महफ़िल में मनवारां करता , कठै गया बे मीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता,गयो जमानो बीत ||(2) कम पीसो हो सुख ज्यादा हो, उण जीवन रा सार मै। छल -कपट,धोखाधड़ी, कोनी होती व्यवहार मै। परदेश में पाती लिखता , कठै गयी बा प्रीत || कठै गयी बा ,मिलनसारिता,गयो जमानो बी... more »
दिल को मेरे पत्थर का न बनाओ ऐसे
*[image: tumblr_mcq0jw5KqU1rjvnoho1_500]* *तुम इल्जाम मुझ पर न लगाओ ऐसे* *दिल को मेरे पत्थर का न बनाओ ऐसे* ** *मेरा जिगर तार तार हुआ है कई बार* *की दिल पर न चोट लगाओ ऐसे * ** *कुछ रंज मुझको पहले ही घेरे हुए है* *तुम मुझको हर बार न सताओ ऐसे* ** *शबो रोज याद कर के उस बेवफा को* *अब चैन दिल का न तुम गवाओ ऐसे* ** *कहा जाऊ मै अपना जख्मे जिगर लेके* *कि खुद को मै दुनिया से छिपाऊ कैसे*
धर्म के नाम पर अधर्म कब तक?
धर्म का मकसद इंसान का ताल्लुक पालनहार से जोड़ना है और धर्म इंसानों से मुहब्बत सिखाता है। लेकिन धर्म की सही जानकारी नहीं रखने वाले लोग दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। उन्हें कोई परवाह नहीं होती कि उनके कारण चाहे किसी को कितनी भी परेशानी होती रहे। मुहर्रम के नाम पर कल रात साड़े ग्याराह बजे (11.30 p.m.) तक लोग हमारे घर के सामने कान-फोडू ढोल के साथ हुडदंग मचाते रहे, और उसके बाद आगे निकल गए और लोगो को परेशान करने के लिए। उनके चेहरों की मस्ती बता रही थी कि उन्हें शहीद-ए-करबला हजरत इमाम हुसैन (रज़ी.) की शहादत के वाकिये से कोई वास्ता नहीं था। उनका वास्ता था, तो केवल और केवल अपन... more »
हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक के लोकार्पण की कुछ झलकियाँ
कल 24 नवम्बर को गुवाहाटी प्रेस क्लब में हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और उनके ही संपादन में निकली देहरादून से प्रकाशित होने वाली "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक का लोकार्पण हुआ। इस अवसर की कुछ झलकियाँ :- बाये से- श्री आनंद सुमन सिंह , श्री जी एम श्रीवास्तव जी, श्री किशोर जैन जी, श्रीमती सुधा श्रीवास्तव जी और श्रीमती हरकीरत हीर जी सरस्वती सुमन के क्षणिका विशेषांक का विमोचन हीर जी द्वारा रचित काव्य संग्रह " दर्द की महक" का विमोचन "दर्द की महक" का आवरण पृष्ट "दैनिक पूर्वोदय" में ये खबर
चौबीस साला सफ़र........
ये तस्वीर रिसेप्शन के दिन की है ;) जैसा तैयार कर के बिठा दिया, बैठ गये :) आइने में पीछे मेरी भांजी दीपम दिख रही है. रिसेप्शन हॉल में ले जाती मेरी बड़ी ननद कल्पना पांडे. कैसी दहशत होती है, जब सबकी निगाहें आप पर हों....बहुत असहज दिन होता है रिसेप्शन का... यही हाल उमेश जी का भी रहा होगा :) जा रही हूं वरने...उमेश जी को :) बायीं तरफ़ मेरी छोटी बहन कनुप्रिया, और दायीं तरफ़ मेरी बड़ी दीदी. लो, वर लिया ;) बैठे हैं दोनों चुपचाप :) आज की जोड़ी होती, तो बतिया रही होती :) दूल्हा-वेश उमेश जी का :) सिदूर-दान सात-फेरे :) :)
जैसलमेर किले में राजा की व शहर में पटुवों की हवेली का कोई सानी नहीं
राजस्थान यात्रा- भाग 1-जोधपुर शहर आगमन भाग 2-मेहरानगढ़ दुर्ग भाग 3-कायलाना झील व होटल लेक व्यू भाग 4-मन्डौर- महापंडित लंकाधीश रावण की ससुराल भाग 5-होटल कैन्डी राजपूताना व उम्मेद भवन भाग 6-होटल द गेट वे जो किसी महल से कम नहीं भाग 7-जैसलमेर का किला (दुर्ग) भाग 8-जैसलमेर में राजा की हवेली व पटुवों की हवेली जैसलमेरके किले में एक घुमक्कडी भरा चक्कर लगाते समय हमने देखा कि यह किला कोई खास ज्यादा बडा नहीं है। (दिल्ली के लाल किले जैसा) लोगों से पता लगा कि पहले इस किले से अन्दर ही सारा शहर समाया हुआ था। किले के अन्दर चारों ओर घर ही घर बने हुए है। यहाँ अन्य किलों की तरह बडा सा मैदान तलाशने पर भी... more »
वार्तालाप
मैं धर्म और धर्म ग्रन्थों में पूरी श्रद्धा रखती हूँ मगर इसका मतलब यह नहीं कि मैं अंधविश्वास को मानती हूँ। लेकिन इतना भी ज़रूर है कि जिन चीजों को मैं नहीं मानती उनका अनादर भी नहीं करती ऐसा सिर्फ इसलिए ताकि जो लोग उस चीज़ को मानते हैं या उसमें विश्वास रखते हैं उनकी भावनाओं को मैं ठेस नहीं पहुंचाना चाहती। एक दिन ऐसे ही धर्म की बातों को लेकर एक सज्जन से बात हो रही थी। सामने वाले का कहना था कि किसी भी धर्म में कही गयी अधिकांश बातें केवल उस धर्म के पंडितों या मौलवियों या यूं कहें कि उस धर्म के मठाधीशों द्वारा बनायी गयी हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं, काफी हद तक यह बात मुझे भी सही... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
बहुत तेज ब्लॉग बुलेटिन :)
जवाब देंहटाएंगजब ...
जवाब देंहटाएंअपने कार्य की दो-दो लिंक!!को यहाँ पाकर मन खुश हुआ .....शुक्रिया
जवाब देंहटाएं२ दिन से शहर से बाहर हूँ एक भी पोस्ट नहीं देख पाई थी. शुक्रिया सार्थक लिंक्स का.
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन मे मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए.. शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 27/11/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका चर्चा मंच पर स्वागत है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स का संयोजन किया है आपने ... आभार
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंkafi achchhe link hai... abhar.
जवाब देंहटाएंअच्छी रिपोर्ट, इतने अच्छी-अच्छी पोस्टों के बीच मेरी पोस्ट का लिंक भी शामिल करने के लिए धन्यवाद!
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