प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
प्रणाम !
कल २० नवम्बर है ... कल ही दिन शेर - ए - मैसूर टीपू सुल्तान का जन्म हुआ था !
'मैसूर के शेर' के नाम से मशहूर और कई बार अंग्रेजों को धूल चटा देने वाले टीपू सुल्तान राकेट के अविष्कारक तथा कुशल योजनाकार भी थे।
उन्होंने अपने शासनकाल में कई सड़कों का निर्माण कराया और सिंचाई व्यवस्था
के भी पुख्ता इंतजाम किए। टीपू ने एक बांध की नींव भी रखी थी। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने टीपू सुल्तान को राकेट का अविष्कारक बताया था। [देवनहल्ली वर्तमान में कर्नाटक का कोलर जिला] में 20 नवम्बर 1750 को जन्मे टीपू सुल्तान हैदर अली के पहले पुत्र थे।
इतिहासकार जीके भगत के अनुसार बहादुर और कुशल रणनीतिकार टीपू सुल्तान अपने जीते जी कभी भी ईस्ट इंडिया साम्राज्य
के सामने नहीं झुके और फिरंगियों से जमकर लोहा लिया। मैसूर की दूसरी लड़ाई
में अंग्रेजों को खदेड़ने में उन्होंने अपने पिता हैदर अली की काफी मदद
की।
टीपू
ने अपनी बहादुरी के चलते अंग्रेजों ही नहीं, बल्कि निजामों को भी धूल
चटाई। अपनी हार से बौखलाए हैदराबाद के निजाम ने टीपू से गद्दारी की और
अंग्रेजों से मिल गया।
मैसूर की तीसरी लड़ाई में अंग्रेज जब टीपू को नहीं हरा पाए तो उन्होंने
मैसूर के इस शेर के साथ मेंगलूर संधि के नाम से एक सममझौता कर लिया, लेकिन
फिरंगी धोखेबाज निकले। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के निजाम के साथ
मिलकर चौथी बार टीपू पर जबर्दस्त हमला बोल दिया और आखिरकार 4 मई 1799 को श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए टीपू शहीद हो गए।
मैसूर के इस शेर की सबसे बड़ी ताकत उनकी रॉकेट सेना
थी। रॉकेटों के हमलों ने अंग्रेजों और निजामों को तितर-बितर कर दिया था।
टीपू की शहादत के बाद अंग्रेज रंगपट्टनम से निशानी के तौर पर दो रॉकेटों
को ब्रिटेन स्थित वूलविच म्यूजियम आर्टिलरी गैलरी में प्रदर्शनी के लिए ले गए।
भारत माता के इस 'शेर' को पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से शत शत नमन !
सादर आपका
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आज सिर्फ हैड लाइंस ...
टीपू सुलतान जैसे शेर को नमन .बढ़िया बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंहाईगा वाली लिंक देखी ... अच्छी लगी ...
जवाब देंहटाएंदो को शीर्षक देख कर अभी छोड़ दिया..बाद के तीन देखने का मन नहीं किया...लेकिन सत्य का बीज अलग-सा लगा..
जब तक है जान हमने भी देखी इसी खातिर....
आगे के कल के लिये बुकमार्क...
माता-पिता बेटा सबके लिए...
:-)
लेकिन ये बताना भूल ही गई कि टीपू सुलतान के आगे सब फ़ीका सा लगा...
जवाब देंहटाएं.बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति . बधाई इंदिरा प्रियदर्शिनी :भारत का ध्रुवतारा
जवाब देंहटाएंअपनी मैसूर यात्रा के दौरान मैने काफी कुछ देखा टीपू के बारे में
जवाब देंहटाएं। बढिया
आपका प्रयास अद्भुत है ....!!टीपू सुल्तान को नमन ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ....आभार इसमे मेरे काव्य को भी स्थान मिला ....
.बढ़िया बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंrecent post...: अपने साये में जीने दो.
मेरी तरफ से भी सुलतान को जन्मदिन की वधाई, अच्छी बात है वीर किसी भी रूप में हो उसका सम्मान होना चाहिए !
जवाब देंहटाएंगजब जी गजब ! आप कमाल की जानकारियां जुटा लाते हैं और अब तो ये ब्लॉग बुलेटिन का एक खास आकर्षण हो गया है । कल माउस का जन्मदिन , आज एक और नई जानकारी । बढिया है । साथ में चुनिंदा पोस्टों का संकलन , हमेशा की तरह सार्थक बुलेटिन
जवाब देंहटाएंदेश के लिए कुर्बानियां देने वाले वीरों को लाखों सलाम...
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन ...मेरा कमेन्ट ....?स्पैम मे देखें ....
जवाब देंहटाएंमैसूर यात्रा के दौरान टीपू सुल्तान के बारे में जाना था...वे रॉकेट के आविष्कारक थे, यह अभी जाना...टीपू सुल्तान को नमन|
जवाब देंहटाएंहाइगा शामिल करने के लिए आभार
एग्रीगेटर का काम हो गया , धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंगजब इन्फ़ार्मेशन निकाले है शिवम भईया... सुपर है।
जवाब देंहटाएंइसको कहते हैं परफेक्ट इन्फोटेनमेंट!!! एक बुलेटिन का सबसे अहम रोल यहाँ दिखाई देता है!! शिवम जी बधाई!!
जवाब देंहटाएंअसली शेर को नमन....
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी के साथ प्रस्तुति।
बहुत ही रोचक पोस्ट..
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