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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

इन्हें नहीं पढ़ा तो समझो कुछ अधुरा रह गया ...



पढने,सीखने,लिखने,मिटाने,सहेजने .... कोई आखिरी पड़ाव नहीं . नहीं होती कोई बात ऐसी - जो आखिरी बार कही गई हो . प्यार,माँ,बचपन,दर्द,चुनौती .... सबका अपनी आँखों से चलता जाता है सिलसिला,ऐसा नहीं वैसा - कौन नहीं चाहता और चाहने पर नहीं देनेवाला करता है कुतर्क -
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ...
याद है खामोशी फिल्म के इस गीत को वह लड़की गाती है, जो सबको मुर्ख बनाती थी . सच तो ये है कि -
प्यार नहीं छुपता छुपाने से .... खैर चलिए एक नज़र चुने गए लिंक्स पर डालिए और लम्बी सांस लेकर कहिये - 
वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता कुछ !!!










8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ....वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता !!!

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  2. बहुत ही बढ़िया अच्छा हुआ पढ़ लिया

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