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सोमवार, 18 जून 2012

बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी ... ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

आज 18 जून है ... आज ही के दिन झाँसी की रानी , महारानी लक्ष्मी बाई ने वीरगति पाई थी ... बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी। सुभद्रा कुमारी चौहान जी की यह पंक्तियां आज भी न केवल महारानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा बयां करती हैं, बल्कि इनको पढ़ने-गुनगुनाने मात्र से मन में देशभक्ति का एक अद्भुत संचार हो उठता है। आजादी के महासंग्राम का स्वर्णिम अध्याय बनी झांसी की इस वीरांगना की शहादत ताजनगरी में आज भी जिंदा है। लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों से युद्ध और उनके बलिदान से जुड़ा एक दुर्लभ टेलीग्राम यहां जोंस पब्लिक लाइब्रेरी के ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में सुरक्षित है।
आदर्श नंदन गुप्ता अपने इस आलेख मे आगे बताते है कि अंग्रेजों ने महारानी लक्ष्मीबाई से युद्ध भले ही झांसी में लड़ा, लेकिन इसकी पटकथा और निर्देशन आगरा से ही हुआ। बात 1857 की है, जब आगरा ही प्रांतीय सरकार का मुख्य केंद्र था। उस समय लेफ्टीनेंट गर्वनर जेआर कॉलविन की मौत हो चुकी थी और सीनियर मेंबर बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ईए रीड ने उनका कार्यभार संभाल लिया था। कमिश्नर आगरा के पद पर आर. सैम्सन थे। लिहाजा उस वक्त मुख्य रूप से इन दोनों ने ही आगरा से युद्ध का संचालन किया था। इसलिए झांसी में महारानी के बलिदान होने का टेलीग्राम अंग्रेज सेना के हेड असिस्टेंट इंचार्ज के हस्ताक्षर से आगरा ही आया। जो झांसी से 18 जून, 1858 को अंग्रेज सैन्य अधिकारी आर हेमल्टन ने आगरा के प्रभारी गवर्नर ईए रीड को भिजवाया था।
इस तार के मिलने पर ही अंग्रेजों ने लंदन और कोलकाता में बैठे उच्चाधिकारियों को सूचित कर प्रशासनिक सेवाएं उपलब्ध करायी थीं। तार में लिखा था-'द रानी ऑफ झांसी इज किल्ड। ब्रिगेडियर स्मिथ टुक फोर गन्स इन फाइट यस्टरडे'। झांसी की रानी के साथ हुए इस युद्ध को अंग्रेज सरकार ने इतना प्रमुख माना था कि इसकी गूंज यूरोपियन देशों में भी रही।
इतिहासविद राजकिशोर राजे के मुताबिक, दिल्ली अंिभलेखागार में आगरा की सीट से गदर के दौरान हुए पत्राचार व टेलीग्राफिक मैसेज सिस्टम के सौ से ज्यादा टेलीग्राम मौजूद हैं। इनमें से 27 केवल झांसी से संबंधित हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं 13 अप्रैल, 1858 का, जिसमें सूचना दी गयी थी कि झांसी पर अंग्रेजों ने दोबारा कब्जा कर लिया।

ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और आप सब की ओर से महाबलिदानी महारानी लक्ष्मी बाई को शत शत नमन !  

सादर आपका 


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posted by महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच...
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posted by shikha varshney at स्पंदन SPANDAN
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posted by सतीश सक्सेना at मेरे गीत !
*16 जून लगभग ५:३० सायं हिन्दी के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ राजेंद्र अग्रवाल जी, डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा , डॉ भारतेंदु मिश्र जी, श्री अशोक गुप्ता ,एवं प्रोफ़ेसर डॉ अम्बरीश सक्सेना, जिन्हें देश में मीडिया गुरु...

posted by संगीता स्वरुप ( गीत ) at गीत.......मेरी अनुभूतियाँ
नि: शब्द हूँ मैं तुम्हारे मौन को पालती हूँ पोसती हूँ और जब होता है मौन मुखरित तो हतप्रभ सी रह जाती हूँ , हमारी सोचें कितनी भी हों विरोधाभासी फिर भी कभी "हम" के वजूद से नहीं टकरातीं जब तुम्ह...

posted by रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
जो जीता वही सिकंदर पर हर परिणाम सत्य तो नहीं होता ! अधिकतर सत्य तो बस एड़ियां उचकाता रह जाता है और परिणाम अपनी मंशा की सत्यता पर इतराता है ! एक सच सत्य का होता है एक सच झूठ का .... जीत गया था अर्जुन क...

posted by Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav)
आज कुछ भी शुरू करने से पहले ही बता दूँ, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हो सकता है मेरी कुछ महिला ब्लॉगर दोस्तों को बुरा लगे मगर जो मुझे लगा जो मैंने महसूस किया वही मैंने लिखा। कमाल की बात है ना, आज के ज़माने ...

posted by Vibha Rani Shrivastava at " सोच का सृजन " 
ऐतिहासिक वृत्तान्त को कविता का रूप देती , मैं गुनगुनाती-मतवाली बुलबुल बन जाती .... इधर डोलती उधर डोलती सबका मन मोह लेती .... स्तब्ध निगाहें ,नि:शब्द जुबां नहीं देख पाती , एक भूखे आदमी के हाथ का कौर...

जरा कल्पना कीजिए आप कार से कहीं जा रहे हैं एक अपाहिज भिखारी अपने पहिएँ लगे पटरे याने अपनी पटरागाड़ी पर बैठा भीख माँग रहा है। आपके मन में करुणा उभरती है और आप सौ सौ रुपए के दो नोट कार की खिड़की से अपना हाथ...

posted by Digamber Ashu at विकल्प 
(चार्ली चैपलिन ने “द ग्रेट डिक्टेटर” फिल्म के इस भाषण में विश्व जन-गण की आकाँक्षाओं को अनुपम कलात्मकता के साथ अभिव्यक्त किया है और आज भी प्रासंगिक है. अनुवाद- पारिजात.) माफ कीजिये, मैं सम्राट बनना नहीं च...

posted by यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) at जो मेरा मन कहे 
चुपके से खींचा गया फोटो-09/06/2012 सिर पर एक हाथ ज़रूरी है हर पल का साथ ज़रूरी है आते जाते कदमों पर एक एहसास ज़रूरी है ज़रूरी हैं कल की यादें आज और कल की बातें ज़रूरी है वही प्रेरणा वही विश्वास जो कल था और आज ...

posted by चैतन्य शर्मा at चैतन्य का कोना 
आज फादर्स डे पर हम सब बच्चों ने स्कूल में बहुत प्यारे प्यारे कार्ड्स बनाये हैं । मैंने भी पापा के लिए ये कार्ड बनाये हैं । अगले महीने से मेरे समर वेकेशन शुरू होंगें और जम कर पापा के मस्ती करने का प्लान...

posted by अमित श्रीवास्तव at "बस यूँ ही " .......अमित 
वृक्ष जब युवा था कभी, जड़ से उग आये थे उसके, कोपल नए। पहले दो निकले, दो वर्षों के अंतराल पर, और छः वर्षों बाद, एक और कोपल। धीरे धीरे तीनों कोपल, पनपते गए । उन कोपलों में , मौजूद थे गुण, उस वृक्ष जैसे ही ...

posted by दिलीप at दिल की कलम से... 
नन्हा मोहसिन... दादा जी के साथ रोज़ मस्ज़िद जाता... टोपी पहन के जब झुकता... तो लगता तारा लिपट गया हो चाँद से... बाहर निकलता, तो एक पल को ठिठक जाता... मस्ज़िद के अहाते में लगे आम के पेड़... को एकटक देखने लगत...

posted by Sanjay Mahapatra at फुरसतनामा 
नमस्कार मित्रों , स्वागत है आपका देश के इस अद्भुत राजनैतिक खेल में जिसका नाम है “कौन बनेगा राष्ट्रपति” । इस खेल के नियम आपको पता है । जैसा कि लिखा हुआ है राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा और कौन उन्हे च...

posted by प्रेम सरोवर at प्रेम सरोवर 
*'**हम रउआ सब के भावना समझतानी।**'*** * * * * ****भोजपुरी हिंदी भाषा की सशक्त पक्षधर बने, इस उम्मीद के साथ संविधान की 8वीं अनुसुची में भोजपुरी का स्वागत है***- **(**माननीय श्री पी.चिदांबरम**)*** * * * **...

posted by Vinamra at Scribble - VINspeaks
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सुनो ! तुमसे बात करना कविता लिखने जैसा है ..बेहद नाजुक बातें होती है तुमसे ...बातें नाजुक हां ...इन गुलाबी होंठो से खुदा ना करे कोई और बातें हो ..तो मैं कह रहा था तुमसे बात करना .....तुम्हारी उंगलिया अनज...

posted by शिवम् मिश्रा at बुरा भला 
आज फादर'स डे है ... मैं इस बहस में नहीं पड़ता कि यह रस्म देशी है या विदेशी ... मुझे यह पसंद है ! आज मैं खुद एक पिता हूँ और जानता हूँ एक पिता होना कैसा लगता है ... कितनी भावनाएं ... कितने अरमान जुड़े होते ह...

posted by noreply@blogger.com (Shekhar Suman) at खामोश दिल की सुगबुगाहट... 
भले ही मैं इस तरह के ख़ास दिनों में कोई यकीन नहीं रखता, मेरे लिए पापा की बातें करने के लिए कोई एक दिन काफी नहीं हो सकता... लेकिन जब आस पास सब एक दूसरे को फादर्स डे की मुबारकबाद देते नज़र आते ह...

posted by डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन 
दिल्ली से करीब पौने तीन सौ और देहरादून से २५ किलोमीटर की लगातार चढ़ाई के बाद आती है *क्वीन ऑफ़ हिल्स ( पर्वतों की रानी ) मसूरी*. यहाँ पहली बार १९८४ में आना हुआ था शादी के बाद जिसे पहला हनीमून भी कह सकते ह...

posted by कुमार राधारमण at स्वास्थ्य 
गर्मियों के अंत और बारिश की शुरूआती दिनों में कंजंक्टिवाइटिस का प्रकोप होता है। आमतौर पर यह संक्रमण पीड़ित व्यक्ति से संपर्क में आने पर दूसरों तक फैलता है। व्यक्तिगत साफ सफाई एवं चुनिंदा सावधानियों के ज़...

posted by Mukesh Kumar Sinha at जिंदगी की राहें 
कभी कभी .... सुबह की सतरंगी धुप भरी भोर.. दिखती है, एकदम अलग एक अलग मायने के साथ और जिंदगी में कुछ खुबसूरत पल खिल उठते हैं कलियों से फूलो में बदलते हुए.... जिंदगी पाती है एक नया खुबसूरत अर्थ बदलता हुआ आ...

posted by विनीत कुमार at हुंकार 
22 साल का तरुण. तरुण सहरावत, तहलका का फोटो पत्रकार. हम सबके बीच से चला गया,हमेशा के लिए. हमारे आदि पत्रकार, हम सबके आदर्श भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से भी बहुत पहले. सोचिए तो,पत्रकारिता के पेशे में 22 की उम्र क...

पर याद छोड़ जाएगे.... * *हम न रहेगें पर हमारी याद रह जायेगी, जो आपको तन्हाई में हंसाएगी रुलाएगी! वो बीती यादें आपका सहारा बन जायेगीं, आप भूलना चाहें पर फिर भी याद आयेगीं! याद आएगा हर लम्हा हमारे ...

posted by Kulwant Happy "Unique Man" at युवा सोच युवा खयालात 
कहीं तुम्‍हें बुझाने का हो रहा है प्रयास कहीं तेरी सलामती की होती है अरदास कहीं करे सृजन तू कहीं करे विनाश ए अग्‍नि, तू वैसे ही दिखे जैसे पहने लिबास
posted by singhSDM at nazariya.....नजरिया.....
*प्यास की कैसे लाए ताब कोई* *नहीं दरिया तो हो सराब कोई* शाइरी के शौकीनों के लिए जावेद अख़्तर का नया गज़ल/नज़्म संग्रह ‘लावा’ बेशक एक दरिया ही है, सराब तो (मृगतृष्णा) कतई नहीं। एक मुद्दत बाद जावेद अख़्...
posted by अजय कुमार झा at बिखरे आखर .
चित्र , गूगल इमेज खोज इंजन के परिणाम से , साभार * * * * *ये न पूछ मुझसे कि ये आज मुझे हुआ क्या है ,* *जो ज़िंदगी ही मर्ज़ है तो बता इसकी दवा क्या है* *पत्थर के इस शहर में जाने हर ईंट क्यूं पराई है* *धधक र...

posted by Puja Upadhyay at लहरें 
ईश्क हमेशा बचा के रखता है अपना आखिरी दांव --- लो, लहरों ने अपने पाँव समेट लिए! अब किनारे की रेत में लिख सकते हो तुम अपनी प्रेमिका के लिए असंख्य कविताएं --- आखिरी सांस में ही खुलता है रहस्य कि किससे किया था...
"बदलते वक्त के सांथ बहुत कुछ बदल जाता है कोई बहुत आगे निकल जाता है तो कोई बहुत पीछे रह जाता है किन्तु वक्त अपने सांथ न तो किसी को आगे ले जाता है और न ही किसी को पीछे छोड़ता है ... वो तो कुछ इंसानों के मजबू...

posted by पं.डी.के.शर्मा"वत्स" at कुछ इधर की, कुछ उधर की 
यह बात तो हर कोई जानता है कि माँस कैसे प्राप्त किया जाता है. जीवन हर जीव को उतना ही प्रिय है, जितना कि हम सब को. अपनी खुशी से कोई पशु मरना नहीं चाहता. अत: उसे मारने से पूर्व अनेक क्रूर और अमानुषिक यातनाएं ...

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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिंद !!

24 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन ब्लॉग बुलेटिन .....चैतन्य को शमिल करने का आभर ,

    वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को नमन

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  2. वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को शत शत नमन !
    इतने अच्छे-अच्छे लिंक्स के साथ मेरे लिखे पोस्ट को मान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार भाई .... :))

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  3. बहुत अच्छे लिंक , और बेहतरीन प्रस्तुति , बधाई आपका !

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद भैया



    सादर

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  5. Dear Shivam
    Thanx to all team member. I m obliged for adding me in this list.

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  6. Dear Shivam
    Thanx to all team member. I m obliged for adding me in this list.

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  7. बहुत ही बेहतरीन बुलेटिन मिसर जी । एक से एक पोस्ट झलकियां और लिंक्स हैं । बांचते हैं सबको फ़ुर्सत से । सुंदर बहुत सुंदर , जय जय हो

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  8. वाह क्या बात है... इसे कहते हैं बुलेटिन... सब कुछ समेट कर ले आये दादा...

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  9. फोटो थोड़ी छोटी रखकर अथवा अन्यथा भी यदि फोंट साइज को बढ़ाया जाए तो पढ़ना और अधिक सुरूचिकर होगा।

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  10. बहुत बढ़िया बुलेटिन ..... मुझे भी शामिल करने के लिए आभार

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  11. झांसी की रानी को श्रद्धांजली ...

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  12. महारानी लक्ष्मी बाई को शत शत नमन !
    मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार,,,,,,शिवम् जी,,,,

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  13. एक से बढकर एक लिंक्स यहां मौजूद हैं। मुझे भी स्थान देने के लिए शुक्रिया

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  14. झाँसी की रानी को शत शत नमन जिसने अंग्रेजों को नाकों चने चबबा दिए.
    बढ़िया बुलेटिन.

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  15. सुन्दर लिंक्स से सजा बेहतरीन बुलेटिन ! बहुत बढ़िया !

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  16. प्रिय शिवम् भाई,
    इस बेहतरीन ब्लॉग श्रृंखला में मेरी कविता "मेरा वो छोटा सा घर" को शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद.

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  17. बढिया बुलेटिन रहा. बहुत सारे जाने पहचाने व भूले बिसरे ब्लॉग फिर से देखने को मिले. आभार.
    घुघूतीबासूती

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  18. बढ़िया चित्रमयी चर्चा . आनंद आ गया .

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  19. बहुत खूब | अरे आजकल शताब्दी क्यों बंद है |

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!