प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
आज 18 जून है ... आज ही के दिन झाँसी की रानी , महारानी लक्ष्मी बाई ने वीरगति पाई थी ... बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी। सुभद्रा कुमारी चौहान जी की यह पंक्तियां आज भी न केवल महारानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा बयां करती हैं, बल्कि इनको पढ़ने-गुनगुनाने मात्र से मन में देशभक्ति का एक अद्भुत संचार हो उठता है। आजादी के महासंग्राम का स्वर्णिम अध्याय बनी झांसी की इस वीरांगना की शहादत ताजनगरी में आज भी जिंदा है। लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों से युद्ध और उनके बलिदान से जुड़ा एक दुर्लभ टेलीग्राम यहां जोंस पब्लिक लाइब्रेरी के ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में सुरक्षित है।
आदर्श नंदन गुप्ता अपने इस आलेख मे आगे बताते है कि अंग्रेजों ने महारानी लक्ष्मीबाई से युद्ध भले ही झांसी में लड़ा, लेकिन इसकी पटकथा और निर्देशन आगरा से ही हुआ। बात 1857 की है, जब आगरा ही प्रांतीय सरकार का मुख्य केंद्र था। उस समय लेफ्टीनेंट गर्वनर जेआर कॉलविन की मौत हो चुकी थी और सीनियर मेंबर बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ईए रीड ने उनका कार्यभार संभाल लिया था। कमिश्नर आगरा के पद पर आर. सैम्सन थे। लिहाजा उस वक्त मुख्य रूप से इन दोनों ने ही आगरा से युद्ध का संचालन किया था। इसलिए झांसी में महारानी के बलिदान होने का टेलीग्राम अंग्रेज सेना के हेड असिस्टेंट इंचार्ज के हस्ताक्षर से आगरा ही आया। जो झांसी से 18 जून, 1858 को अंग्रेज सैन्य अधिकारी आर हेमल्टन ने आगरा के प्रभारी गवर्नर ईए रीड को भिजवाया था।
इस तार के मिलने पर ही अंग्रेजों ने लंदन और कोलकाता में बैठे उच्चाधिकारियों को सूचित कर प्रशासनिक सेवाएं उपलब्ध करायी थीं। तार में लिखा था-'द रानी ऑफ झांसी इज किल्ड। ब्रिगेडियर स्मिथ टुक फोर गन्स इन फाइट यस्टरडे'। झांसी की रानी के साथ हुए इस युद्ध को अंग्रेज सरकार ने इतना प्रमुख माना था कि इसकी गूंज यूरोपियन देशों में भी रही।
इतिहासविद राजकिशोर राजे के मुताबिक, दिल्ली अंिभलेखागार में आगरा की सीट से गदर के दौरान हुए पत्राचार व टेलीग्राफिक मैसेज सिस्टम के सौ से ज्यादा टेलीग्राम मौजूद हैं। इनमें से 27 केवल झांसी से संबंधित हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं 13 अप्रैल, 1858 का, जिसमें सूचना दी गयी थी कि झांसी पर अंग्रेजों ने दोबारा कब्जा कर लिया।
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और आप सब की ओर से महाबलिदानी महारानी लक्ष्मी बाई को शत शत नमन !
सादर आपका
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posted by सतीश सक्सेना at मेरे गीत !*16 जून लगभग ५:३० सायं हिन्दी के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ राजेंद्र अग्रवाल जी, डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा , डॉ भारतेंदु मिश्र जी, श्री अशोक गुप्ता ,एवं प्रोफ़ेसर डॉ अम्बरीश सक्सेना, जिन्हें देश में मीडिया गुरु...
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posted by Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav)आज कुछ भी शुरू करने से पहले ही बता दूँ, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हो सकता है मेरी कुछ महिला ब्लॉगर दोस्तों को बुरा लगे मगर जो मुझे लगा जो मैंने महसूस किया वही मैंने लिखा। कमाल की बात है ना, आज के ज़माने ...
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posted by Mired Mirage at घुघूतीबासूतीजरा कल्पना कीजिए आप कार से कहीं जा रहे हैं एक अपाहिज भिखारी अपने पहिएँ लगे पटरे याने अपनी पटरागाड़ी पर बैठा भीख माँग रहा है। आपके मन में करुणा उभरती है और आप सौ सौ रुपए के दो नोट कार की खिड़की से अपना हाथ...
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posted by Sanjay Mahapatra at फुरसतनामानमस्कार मित्रों , स्वागत है आपका देश के इस अद्भुत राजनैतिक खेल में जिसका नाम है “कौन बनेगा राष्ट्रपति” । इस खेल के नियम आपको पता है । जैसा कि लिखा हुआ है राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा और कौन उन्हे च...
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posted by Kulwant Happy "Unique Man" at युवा सोच युवा खयालातकहीं तुम्हें बुझाने का हो रहा है प्रयास कहीं तेरी सलामती की होती है अरदास कहीं करे सृजन तू कहीं करे विनाश ए अग्नि, तू वैसे ही दिखे जैसे पहने लिबास
posted by singhSDM at nazariya.....नजरिया.....*प्यास की कैसे लाए ताब कोई* *नहीं दरिया तो हो सराब कोई* शाइरी के शौकीनों के लिए जावेद अख़्तर का नया गज़ल/नज़्म संग्रह ‘लावा’ बेशक एक दरिया ही है, सराब तो (मृगतृष्णा) कतई नहीं। एक मुद्दत बाद जावेद अख़्...
posted by अजय कुमार झा at बिखरे आखर .चित्र , गूगल इमेज खोज इंजन के परिणाम से , साभार * * * * *ये न पूछ मुझसे कि ये आज मुझे हुआ क्या है ,* *जो ज़िंदगी ही मर्ज़ है तो बता इसकी दवा क्या है* *पत्थर के इस शहर में जाने हर ईंट क्यूं पराई है* *धधक र...
posted by Puja Upadhyay at लहरेंईश्क हमेशा बचा के रखता है अपना आखिरी दांव --- लो, लहरों ने अपने पाँव समेट लिए! अब किनारे की रेत में लिख सकते हो तुम अपनी प्रेमिका के लिए असंख्य कविताएं --- आखिरी सांस में ही खुलता है रहस्य कि किससे किया था...
posted by उदय - uday at सांई सन्देश - सबका मालिक एक"बदलते वक्त के सांथ बहुत कुछ बदल जाता है कोई बहुत आगे निकल जाता है तो कोई बहुत पीछे रह जाता है किन्तु वक्त अपने सांथ न तो किसी को आगे ले जाता है और न ही किसी को पीछे छोड़ता है ... वो तो कुछ इंसानों के मजबू...
posted by पं.डी.के.शर्मा"वत्स" at कुछ इधर की, कुछ उधर कीयह बात तो हर कोई जानता है कि माँस कैसे प्राप्त किया जाता है. जीवन हर जीव को उतना ही प्रिय है, जितना कि हम सब को. अपनी खुशी से कोई पशु मरना नहीं चाहता. अत: उसे मारने से पूर्व अनेक क्रूर और अमानुषिक यातनाएं ...
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिंद !!
बेहतरीन ब्लॉग बुलेटिन .....चैतन्य को शमिल करने का आभर ,
जवाब देंहटाएंवीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को नमन
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को शत शत नमन !
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे-अच्छे लिंक्स के साथ मेरे लिखे पोस्ट को मान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार भाई .... :))
रानी लक्ष्मीबाई को नमन ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar ... jay ho !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक , और बेहतरीन प्रस्तुति , बधाई आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद भैया
जवाब देंहटाएंसादर
Dear Shivam
जवाब देंहटाएंThanx to all team member. I m obliged for adding me in this list.
Dear Shivam
जवाब देंहटाएंThanx to all team member. I m obliged for adding me in this list.
बहुत ही बेहतरीन बुलेटिन मिसर जी । एक से एक पोस्ट झलकियां और लिंक्स हैं । बांचते हैं सबको फ़ुर्सत से । सुंदर बहुत सुंदर , जय जय हो
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है... इसे कहते हैं बुलेटिन... सब कुछ समेट कर ले आये दादा...
जवाब देंहटाएंफोटो थोड़ी छोटी रखकर अथवा अन्यथा भी यदि फोंट साइज को बढ़ाया जाए तो पढ़ना और अधिक सुरूचिकर होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ..... मुझे भी शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंझांसी की रानी को श्रद्धांजली ...
जवाब देंहटाएंमहारानी लक्ष्मी बाई को शत शत नमन !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिये आभार,,,,,,शिवम् जी,,,,
एक से बढकर एक लिंक्स यहां मौजूद हैं। मुझे भी स्थान देने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंझाँसी की रानी को शत शत नमन जिसने अंग्रेजों को नाकों चने चबबा दिए.
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन.
सुन्दर लिंक्स से सजा बेहतरीन बुलेटिन ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंप्रिय शिवम् भाई,
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन ब्लॉग श्रृंखला में मेरी कविता "मेरा वो छोटा सा घर" को शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद.
behtareeen links. :) inme khud ko pakar khushi milti hai..!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन .
जवाब देंहटाएंबढिया बुलेटिन रहा. बहुत सारे जाने पहचाने व भूले बिसरे ब्लॉग फिर से देखने को मिले. आभार.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रमयी चर्चा . आनंद आ गया .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब | अरे आजकल शताब्दी क्यों बंद है |
जवाब देंहटाएं