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बुधवार, 6 जून 2012

रुपये की औकात बता दी योजना आयोग ने - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

ज़रा इस कार्टून पर नज़र डालिए ... 

कार्टून साभार श्री सतीश आचार्य
 दो शौचालयों की मरम्मत पर 35 लाख रुपये के खर्च को योजना आयोग ने जायज ठहराया है। बुधवार को आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि यह नियमित मरम्मत व रखरखाव का हिस्सा था। उनके मुताबिक, इस खर्च को फिजूलखर्ची बताना दुर्भाग्यपूर्ण है।
आयोग ने कहा कि मरम्मत पर खर्च किए गए 30 लाख रुपये की जानकारी पूरी तरह सही है, लेकिन यह खर्च केवल दो शौचालयों पर करने की बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। अहलूवालिया ने कहा कि यह खर्च दो शौचालयों पर नहीं, बल्कि 50 वर्ष पुरानी योजना भवन की इमारत के दो शौचालय ब्लॉक के आधुनिकीकरण व मरम्मत पर किया गया है। उन्होंने कहा कि इन ब्लॉकों में पाइप मरम्मत के साथ ही बिजली का काम भी कराया गया है। एक्सेस सिस्टम पर मोंटेक ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से पहले इसे महिला शौचालय के लिए सोचा गया था, लेकिन बाद में इस योजना को बंद कर दिया गया।
आरटीआइ के जवाब में आयोग ने बताया था कि योजना भवन के दो शौचालयों के डोर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम पर पांच लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
आयोग ने कहा कि नियमित मरम्मत व रखरखाव को गैरजरूरी खर्च बताना दुखद है। इससे पहले कई बार शौचालयों में चोरी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई थीं। इसके लिए पहले भी एक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम को आजमाया गया था, लेकिन वह व्यवहारिक नहीं था। लिहाजा, इस बार स्मार्ट कार्ड वाला सिस्टम लगवाया गया। आयोग ने दलील दी है कि ये शौचालय सार्वजनिक हैं, न कि सिर्फ योजना भवन के अधिकारियों और सदस्यों के लिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि सरकारी धन आखिरकार जनता का ही पैसा है। लिहाजा, इसे खर्च करते समय एहतियात बरती जानी चाहिए। शौचालयों पर हुए खर्च के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में आयोग ही जवाब दे सकता है।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि योजना आयोग ने कहा था कि रोज 32 रुपये से ज्यादा कमाने वाला गरीब नहीं है। इसी आयोग ने दो शौचालयों की मरम्मत पर 35 लाख रुपये खर्च कर डाले। सरकार की खर्च कटौती और मितव्ययिता की घोषणाओं का क्या हुआ?

देखिये साहब हम तो अपना काम कर चले ... खबर आप तक पहुंचा दी ... अब खबर का असर आप बताएं ??

सादर आपका 


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*ये बातचीत मेरे और प्रकाश(बैंगलोर के एक कॉफी शॉप के मालिक का बेटा जो लगभग मेरा हमउम्र ही है) के बीच 24 सितम्बर 2011 को हुई थी, जिसे उसी दिन मैंने ड्राफ्ट के रूप में सेव किया था..आज बहुत दिनों बाद देखा इसे...

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कभी कभी वक़्त इतनी तेजी से इन चंचल लहरों के संग हो लेता है कि पता ही नहीं चलता कब हम बहते बहते कितनी दूर चले आये हैं... ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात थी जब मैंने ब्लॉगिंग शुरू की थी... आज इ...
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posted by दिलीप at दिल की कलम से... 
वो ठूंठ बाँह लिए कहता रहा, काम मिले... मुझे तरस नहीं, मेहनत का मेरी, दाम मिले... मैं थक गया हूँ रात से, के अब हो कुछ ऐसा... थोड़ी सुबह, या ज़रा दिन, ज़रा सी शाम मिले... मुझे तो, दर्द सहन करने की, आदत की ग...

posted by हास्यफुहार at हास्यफुहार 
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मेरे जन्म को लेकर अफवाहें अपनी चरम पर हैं मगर मेरा जन्म ठीक उसी दिन हुआ था जब मिला था तुमसे पहली दफे अब मौत का दिन भी मुक़र्रर हुआ है ये वही दिन होगा जब यकीन होगा अब ना होगी मुलाक़ात तुमसे फिर कभी!!!


कल एक और पर्यावरण दिवस हमने बिता लिया। खबर है कि इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का विषय- ''हरित अर्थव्यवस्था: क्या आप इसमें शामिल हैं?'' (Green Economy: Does it include you?)। इस अवसर पर विशेष रेलगाड़ी का शु...
posted by noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् 
यह एक विशुद्ध गंभीर विषय है, हास्य से कोसों दूर। कृपया तेज हँसकर हम गृहस्थों की ध्यानस्थ अवस्था में विघ्न न डालें। हाँ, यदि हँसी न रुके तो मन ही मन हँस लें, क्योंकि मन ही मन हँसने से कभी किसी की भावनायें ...

posted by Point at poit 
यह जीवन की राहें .. जो हमें भूल जाएँ , तो अच्छा होता ... ऐसे जहाँ से दिल लगायें भी क्यों ?? हालत पे अपनी ... तो शबनम भी रोये पर कोई कहता है , हम भूल गये उनको बरबादियों की अजब कहानी सी बन गये है , वादे भूल...

"जिस दिन हम एक अनुचित व अनावश्यक कार्य पर नियंत्रण करेंगे ठीक उसी दिन हमें एक श्रेष्ठ व सारगर्भित मार्ग दिखाई देगा !"

posted by Vinamra at Scribble - VINspeaks
*ख़ुद की खोज* ऑफिस की फाइलों के पीले पन्नों में मैं खुद को खोजता हूँ. क्या पता खुश्क कागज़ पर काली-नीली स्याही मेरे अस्तित्व का खाका खीच दे. सड़कों के असंख्य गड्डों, छितराए पत्थरों में मैं...

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अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिंद !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. संतुलित सुंदर बढ़िया लिंक्स,,,,,कल पढते है,,,,,

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  2. अरे आज तो गजब के लिंक्स हैं. ३५ लाख का शोक कम करने के लिए शायद :).
    बढ़िया बुलेटिन.

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  3. बढ़िया लिंक्सके साथ ... सारगर्भित बुलेटिन ....!!

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  4. बहुत ही बढ़िया चयन....सारे लिंक्स बेहतरीन.....

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  5. hum to sab ke sab post padh liye.... :-) mast bulletin hai bhaiya...

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  6. बहुत ही सुन्दर सूत्र...पढ़ने का सुख देते हुये..

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  7. कथनी और करनी में फर्क करना सरकार नहीं जानेगी तो कौन जानेगा .... कई बार तो सबकुछ पेपर तक ही सीमित होता है - कुआं बनता भी है और भर भी जाता है ..... अब पसंदीदा लिंक्स पढूं

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  8. बहुत ही बढ़िया चयन...बढ़िया बुलेटिन.

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  9. ...आखिर अच्छी योजनाएं भी तो बनती हैं वहीँ...|

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  10. सरकार का कहना है कि 35 लाख की toilet जनता के इस्तेमाल के लिए है, योजना आयोग के अफसरों के लिए नहीं.
    गरीब जनता का कहना है," कुछ निकालने के लिए कुछ खाना भी पड़ता है!!!"


    वैसे "खुद कि खोज" को उपरोक्त लिस्ट में शामिल करने के लिए साधुवाद.

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