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शुक्रवार, 1 जून 2012

ब्लॉग लिंक्स + मनोज कुमार = आज की ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार आज की बुलेटिन लेकर हाज़िर हूं।
मेरे बारे में
उपेन्द्र नाथ की पचास के करीब कहानियां, कवितायें व लघु- कथायें विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। घडी की टिक -टिक के साथ चलती इस व्यस्त जिंदगी से कभी कभी कुछ पल चुरा पते हैं तो उनमे कहानियों और कविताओं का सृजन कर लेते हैं और उन्हें अपने ब्लॉग सृजन शिखर पर भी प्रकाशित करते हैं। आज उनकी कुछ क्षणिकाओं से आप रू-ब-रू होइए --- एक यहां पर है
मुस्कराहट एक गुनाह
ये मुस्कराहट
चली जाये तो
सन्नाटा
आ जाये तो
गुनाह
उन्हें गुनाह पसंद नहीं
और हमें सन्नाटा
इस तरह बढती रही
हमारे गुनाहों की संख्या

वैसे तो कोई विशेष हलचल नहीं रही विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर। फिर भी कुछ निष्ठावान ब्लॉगर ने अपने कर्तव्य का निर्वाह किया। राधारमण जी ने
गुटका और सिगरेट हैं ओरल कैंसर की जड़ शीर्षक से यह बताने की कोशिश की है कि क्या आप तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, पान, गुटखा आदि के बगैर रह नहीं सकते? क्या इस कारण आपके मुंह में तकलीफ रहने लगी है? सावधान हो जाइए, विशेषज्ञ कहते हैं कि यह ओरल यानी मुंह का कैंसर हो सकता है। ओरल कैंसर यानी मुख का कैंसर, कैंसर के कारणों में आठवां प्रमुख कारण है। इसमें मुंह तो प्रभावित होता ही है, होंठ और जुबान पर भी इसका असर पड़ता है। वैसे यह गाल, मुंह के तालु, मसूड़ों और मुंह के ऊपरी हिस्से में होता है। इसके लक्षण आमतौर पर पकड़ में नहीं आते।
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अमृता तन्मय ने एक ऐसी लक्षमण रेखा खींच दी है ब्लॉग काव्य-जगत में जिसे लांघ पाना कव्य-रचनाकारों के लिए एक बड़ी चुनौति है, इसलिए यहां आइए और चैलेंज स्वीकार कीजिए।
अक्सर
मेरी कविता
लाँघ जाती है
अनगिनत खींची हुई
लक्ष्मण रेखाओं को...
रावणों को
चकमा देकर
हथिया लेती है
पुष्पक विमान..
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बापू से आज तक परिवर्तन की चाह कई महापुरुषों में रही जो सत्य के साधक रहे। अनीता जी कुछ ऐसी ही भाव हमारे समक्ष रख रही हैं।
पहले भी हुए थे ऐसे महान
वह भी इस कड़ी में अंतिम नहीं होगा
यह भी पता है उसे
यह श्रंखला जारी रहेगी
जाने कब तक
सत्य का आधार
चेतना को ही माना था उसने
और यह कोई दोष तो नहीं...
मेरा फोटो
आशा और उत्साह का सृजन होता है जब कोई कवि कहे बढ़ कदम रुकने न पाये। संजय जी की कविताओं में कुछ अलग ही बात होती है। बिम्ब सर्वथा नवीन होते हैं और लय और प्रवाह हमें उन्हें गाने को विवश कर देते हैं।
राह काँटों से भरी हो,
या उमड़ती सी सरी हो, 
जीत की चाहत खरी हो,
काल सिर नत हो झुकाये।
बढ़ कदम रुकने न पाये।
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क्या आपको मालूम है शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ? नहीं? कोई बात नहीं वीरूभाई आपको एक विशेषज्ञ की तरह समझा देंगे। थोड़ा बहुत तो यहीं बता देता हूं कि यह बीमारी एक खून चूसने वाले कीट से फैलती है .अखबार हफिंग्टन पोस्ट में छपी के रिपोर्ट के मुताबिक़ इस बीमारी से योरोप और अमरीका के गरीब गुरबों (सभी गरीब समुदायों को )को खासा ख़तरा पैदा हो गया है .
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माहेश्वरी कनेरी बता रही हैं कि जीवन की ढ़लती शाम में ना जाने कितने बुजुर्ग कमजोर और थकते शरीर कोलेकर अकेले पन के भंवर जाल में जकड़े हुए हैं केवल इस आस में कि विदेश में बसा बेटा एक दिन जरुर लौट कर आएगा । इन बुजुर्ग माता पिता की आँखेपल पल इंतजार में पथरा जाती हैं पर लौट कर कोई नही आता.. बस इंतजार …सिर्फ इंतजार………
तरसता भटकता ढूँढ़ता
किसे ये मन बार-बार
जो चला गया अब न
आयेगा इस पार
पंख मिला उड़ चले
मुड़ के देखा न एक बार
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शेखर जेमिनी काफ़ी गंभीर विषयों पर आलेख प्रस्तुत करते रहे हैं। विज्ञान और स्वास्थ्य संबंधी उनके लेख सदा हमें नई जानकारी देते हैं। इस बार वे चिकित्सा में विकल्प की आधारभूत आवश्यकता पर जानकारी दे रहे हैं। कहते हैं प्रश्न यह नहीं है कि कौन सी चिकित्सा पद्धति सही है ? प्रश्न यह है कि कौन सी चिकित्सा पद्धति आम आदमी तक सहज-सुलभ हो सकती है ? प्रश्न के जवाब के लिए उनके ब्लोऑग पर पढ़ें।
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जीवन में शब्दों की लुकाछिपी चलती रहती है। रश्मि प्रभा ने इस भाव को बड़ी संजीदगी से अपनी कविता में ढाला है।
भावनाओं की आँधी उठे
या शनै: शनै: शीतल बयार बहे
या हो बारिश सी फुहार
सारे शब्द कहाँ पकड़ में आते हैं !
कुछ अटक जाते हैं अधर में
कुछ छुप जाते हैं चाँदनी में
कुछ बहते हैं आँखों से
और कभी उँगलियों के पोरों से छिटक जाते हैं
तो कभी आँचल में टंक जाते हैं
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अनुपमा पाठक बता रही हैं जब हौसला हो और आपका विश्वास तो बुरी से बुरी स्थिति में ही राह दिखाने वाला अगले ही मोड़ पर मिल जाएगा, आप कदम तो बढ़ाइए।
समस्या आती है तो सहारे सकल
छीन लेती है,
मन की शान्ति समस्त
लील लेती है;
ऐसे में
एक बार झांकना हृदय में,
हाथ थामने को
विधाता स्वयं खड़ा है!

अब आज्ञा दीजिये ... फिर मिलेंगे ... जल्द ही ...

13 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिंक्स की बढ़िया प्रस्तुति.

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  2. आभार सर , बहुत अच्छे लिंक दिए है आपने.बढ़िया प्रस्तुति.

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  3. बहुत अच्छी शुरुआत , और अच्छी पकड़ - अपने को पाकर सब खुश होते हैं , मैं भी हूँ

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  4. बेहद उम्दा और चुनिन्दा लिंक्स से सजी आज की इस ब्लॉग बुलेटिन मे आपका वही पुराना रंग दिखा ... जिस के हम मुरीद रहे है ... आभार मनोज दादा !

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  5. सारे लिंक्स अच्छे हैं|रश्मिजी वाला गीत कल के बुलेटिन में भी था.इसका लिंक कल भी गडबड था पहले और आज भी !

    ...बहरहाल मनोज जी का चयन सराहनीय है !

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  6. जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार संतोष त्रिवेदी जी ... लिंक मे हुई गड़बड़ी सुधार दी गयी है !

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  7. थोड़े पढ़ लिये हैं, थोड़े पढ़ने हैं..

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  8. अजय जी के धुआंधार बुलेटिन के बाद तनी आरामदेह बुलेटिन दिखाई दिया है.. इसको कहते हैं बुलेटिन का छोटा पैक!!

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  9. सभी लिंक्स अच्छे है
    बढीया बुलेटीन...

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  10. वाह मनोज भाई ..जय हो ..जय जय हो , अरे आते रहा करिए महाराज , टीम बडी जबरार लगती है हो ..बहुत बहुत शुभकामनाएं

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