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शुक्रवार, 29 जून 2012

यादों की खुरचनें - 10



वो आज भी यहीं है मेरे दिल की आस पास ... गुजरे लम्हों की निशानी लिए ...
इक फौजी के दिल के एहसास और उनकी ख्वाहिशें हमसे अलग नहीं होतीं , वह फौलादी दिल लिए मुस्कुराता तो है ,'रंग दे बसंती चोला ' गाता तो है ,
सरफरोशी की तमन्ना लिए सीमा पर खड़ा रहता तो है ..... पर बासंती हवाएँ उनको भी सहलाती हैं , सोहणी उनको भी बुलाती हैं ..... कुछ इस तरह ...

" एक गीतनुमा कविता।किसी हरे सूट की याद में....कश्मिर की एक ठंढ़ी बर्फिली शाम कहीं सुदूर किसी छोटे से पहाड़ी टीले पर

हरे रंग का सूट तेरा वो और हरे रंग की मेरी वर्दी
एक तो तेरी याद सताये उसपे मौसम की सर्दी
सोया पल है सोया है क्षण
सोयी हुई है पूरी पलटन
इस पहर का प्रहरी मैं
हर आहट पे चौंके मन
मिलने तुझसे आ नहीं पाऊँ,उफ!ये ड्युटी की बेदर्दी
एक तो तेरी याद सताये उसपे मौसम की सर्दी
क्षुब्ध ह्रिदय है आँखें विकल
तेरे वियोग में बीते पल
यूँ तो जीवन-संगिनी तू
संग अभी किन्तु राईफल
इस असह्य दूरी ने हाय क्या हालत मेरी है कर दी
एक तो तेरी याद सताये उसपे मौसम की सर्दी


.....बस शब्दों का जोड़-तोड़ है और हरी वर्दी वालों का एक छोटा सच!!! "

कितना बड़ा है ये दुनिया का मेला , पर सोच की एक एकात्मक धरती - कोई खुश , कोई उदास , कोई बेज़ार -
"बेवजह समय काटना,
कितना आसान और कितना मुश्किल,
सुबह से ऐसे बैठा हूँ जैसे काम का अंबार है मुझ पर,
सोचता हूँ ऐसे, जैसे सो ख़्याल हैं दिमाग़ में,
किसी को दिखा रहा हूँ,
कि व्यस्त हूँ इस अव्यवस्था में,
जीवेन की दौड़ में और रास्ते की खोज में,
परछाई का रंग लाल हो रहा है जैसे,
सूरज कहीं कहीं से फिर खो रहा है जैसे,
पकड़ सकता हूँ अपनी परछाई के रंग को मैं,
ऐसे ही मान जाओगे या कर के दिखाऊं मैं,
मेरा रंग जो भी हो
परछाई तो रंगीली हो,
अपने मन से जो सपने देखूं
थोड़े तो नशीले हों,
वैसे तो आप ही आप को खिलाते हैं रंगो का ये खाना,
ना जाने काला रंग किसको है निभाना,
रंगहीन सी जिंदगी और रंगीली ये परछाई,
सालों से तस्वीरों में दिखती ये तन्हाई,
निकल कर बाहर आज फिर लुट गयी है,
अव्यवस्थता की गहरी खाई मैं कहीं डूब गयी है,
मेरी तन्हाई दे दो मुझे कि
मैं नही चाहता रंगो में नहाना,
मैं बस बेवजह समय काटना चाहता हूँ......"

समय काटो न काटो , वह बढ़ता जाता है ...... कभी द्रुत , कभी मंद ! गुजरते वक़्त को देख ऐसे भी ख्याल उसके साथ साथ गुजरते हैं -
" इस गुजरते हुए वक्त को देख
और अपने कीमती जीवन को जाया होते हुए देख !
कोई निम्नतम-सी कसौटी को ही तू चुन,
और इस कसौटी पर खुद को ईमानदारी से परख !
जिस तरह यह वक्त गुजर जाएगा
उसी तरह पागल तू भी वापस नहीं आएगा....!!
पगले,अपनी असीम ताकत को पहचान
इस तरह बेचारगी को अपने भीतर मत पैदा कर
हालात किसी भी काल बहुत अनुकूल नहीं हुए कभी
कभी किसी के लिए भी नहीं..
सभी अपनी-अपनी लड़ाईयां इसी तरह लड़ा करते रहे हैं ओ पगले
फर्क बस इतना कि कोई अपने लिए,कोई सबके लिए !
तूने अपने जीवन को यह कैसा बना रखा है ओ मूर्ख...?
जीता तो है तू खुद के लिए,और बातें करता है बड़ी-बड़ी !
इस तरह की निंदा-आलोचना से क्या होगा....
सबसे पहले तुझे खुद को ही बदलना होगा
सबको उपदेश देने से पहले तू खुद के बारे में सोच...
सड़क पार आकर आम जनता के लिए जी....
तब यह धरती तेरी यह आकाश तेरा ही होगा...
अगर इस राह में मर भी गया तू
तो बच्चे-बच्चे की जुबान पर नाम तेरा ही होगा...!
मादरे-वतन की मिटटी से कभी गद्दारी मत कर-मत कर-मत कर
ज़िंदा अगर है तो आदमियत की मुखालिफत मत कर
सिर्फ कमा-खाकर अपने और अपने बच्चों के लिए जीना है फिर
अपनी खोल-भर में सिमटा रह ना,बड़ी-बड़ी बातें मत कर
तेरे वतन को तुझसे कभी कोई उम्मीद रत्ती भर भी नहीं रे मूर्ख !
तू अभी की अभी मर जा,नमक-हलाली की बातें मत कर...!!
(कोई इन शब्दों को खुद पर ना ले,इन शब्दों में जो गुजारिश है,वो सिर्फ खुद के लिए है,इतना पढ़-भर लेने के लिए धन्यवाद !!)"

कौन किस ग़म का मारा है , कौन जाने - वो अपनी कहते हैं , हम अपनी सुनते हैं - क्योंकि , सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया

11 टिप्‍पणियां:

  1. कितना बड़ा है ये दुनिया का मेला , पर सोच की एक एकात्मक धरती - कोई खुश , कोई उदास , कोई बेज़ार -

    सच है ...
    सुंदर बुलेटिन ...!!

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  2. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ..आभार

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति |
    आशा

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  4. SUNDAR PRASTUTI..AABHAR

    ISE BHI PADHEN:-
    "कुत्ता घी नहीं खाता है "
    http://zoomcomputers.blogspot.in/2012/06/blog-post_29.html
    अपने अकेलापन को दूर करने के लिए आपको कितने लोंगो की आवश्यकता पड़ेगी?.....अरशद अली
    http://dadikasanduk.blogspot.in/2012/06/blog-post.html

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  5. एक बार फिर काफी उम्दा यादों का संकलन ... आभार दीदी !

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  6. बेहतरीन लिंकों का सुन्दर संकलन,,,,,रश्मी जा बधाई,,,,

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  7. सारे लिंक्स बहुत ही बढ़िया है। धन्यवाद।

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  8. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स बेहतरीन प्रस्‍तुति ...आभार

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