तीन साल..... बाप रे बाप!!! कैसे बीते यह तीन साल... पूरा देश त्राहि माम कर उठा इन तीन सालों में.... न कांग्रेसी खुश... न भाजपाई खुश न कारपोरेट खुश न उद्योग खुश और न तो देश की जनता को ही कोई आराम.... तो फ़िर आखिर आज कल खुश कौन है.... खुश है हमारा मीडिया... आई पी एल वाले लोग.... भ्रष्टाचारी लोग.... हवाला वाले लोग... है न.... कुल मिला के आज कल देश में फ़ील बैड का माहौल है.... याद है न २००४ में कैसे फ़ील गुड के गुब्बारे की जनता नें हवा निकाल दी थी... आज का माहौल तो उससे कई गुना खराब है.... फ़िर भी जनता चुप्पे से है... चलिए जनता को चुप रहनें दिया जाए और बुलेटिन की रेल को आगे बढाया जाए.....
कार्टून साभार श्री सतीश आचार्य
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जाको रखे साइयाँ , मार सके न कोय -- डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
एक *पिछली पोस्ट *में आपने पढ़ा , चिकित्सा के क्षेत्र में चमत्कार नहीं होते . यह बात चमत्कारी दावों पर ज्यादा लागु होती है . लेकिन चिकित्सा में कभी कभी ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं , जो किसी चमत्कार से कम नहीं होती . आखिर डॉक्टर्स भी इन्सान ही होते हैं . जीवन देना भले ही डॉक्टर्स के हाथ में हो , लेकिन मृत्यु से बचाना अक्सर डॉक्टर्स के हाथ में नहीं होता . यदि ऐसा होता तो संसार में कोई मृत्यु ही नहीं होती . डॉक्टर सिर्फ सही उपचार ही कर सकता है . असंभावित घटनाओं पर उसका कोई वश नहीं होता . बात उन दिनों की है जब मैं अस्पताल के आपातकालीन विभाग में केजुअल्टी में काम करता था . केजुअल्टी को प्राइव... more »
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अब वक्त नहीं है , थोडा और रुकने का संजय कुमार चौरसिया at " जीवन की आपाधापी "
मुझे *" संत कबीर दासजी "* का एक दोहा याद आता है ! *" काल करे सो आज कर , आज करे सो अब , पल में परलय होएगी ,बहुरि करेगा कब "* किन्तु हम हमेशा यही सोचते हैं ! काश , अगर हम थोड़ा और रुक जाते तो यह मोबाईल हमें और सस्ता मिल जाता , काश , थोड़ा और रुक गए होते तो शायद शादी के लिए लड़का - लड़की और अच्छी मिल जाती और ( साथ में दहेज़ भी ) अक्सर हम लोग इस तरह की बात अपने जीवन में एक -दो बार नहीं कई बार अपनी रोज की दिनचर्या में अपनों के साथ अपने दोस्तों के बीच करते रहते हैं ! कभी कभी लगता है कि , हम शायद सही कह रहे हैं ! हमने शायद जल्दबाजी में आकर कोई चीज खरीद्ली या फिर किसी को खरीदते देख य... more »
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सूफ़ी रहस्यवाद-5 मनोज कुमार at विचार
सूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-16 *सूफ़ी रहस्यवाद-5* *अमीर खुसरो* सूफ़ी ईश्वर से प्रेम करता है और यह विश्वास रखता है कि ईश्वर उससे प्रेम करता है और यह भी कि ईश्वर का हरेक काम *हिकमत* (तत्वदर्शिता) से भरा होता है। जब लोग केवल परंपराओं का पालन कर रहे होते हैं, तब सूफ़ी उस परंपरा के मूल का निर्वाह भी कर रहा होता है। मिसाल के तौर पर नमाज़ को लिया जाए तो जब आम आदमी नमाज़ में खड़े होने और झुकने की क्रियाएं कर रहा होगा तब सूफ़ी इन क्रियाओं के मूल को भी आत्मसात कर रहा होता है। जब वह सज्दे में अपना सिर रखता है, तब वह अपने अहंकार को भी त्याग देता है। सूफ़ी केवल बाह्याचार का रस्मी प... more »
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और भगवान प्रयोगशाला की ओर चल दिए ! (व्यंग्य ) Suman at "सुरभित सुमन"
"सोने की चिड़िया कहलाने वाले हमारे भारत देश को भ्रष्टाचार के दीमक ने इस कदर खोकला कर दिया है की इस दीमक को ख़तम कर देश को बचाना मेरे हिसाब से अब मनुष्य के बस की बात नहीं रही ! इसीलिए मैंने भगवान् को माध्यम बना कर एक छोटा सा व्यंग्य किया है!" हम सब भगवान् को जग के पालन हार साथ में सृष्टि के कुशल रचनाकार के रूप में जानते हैं ! उन्होंने धरती आकाश की रचना की पर वे खुश नहीं हुए ! चाँद तारें बनाये, पशु पक्षी,पेड़ पौधे सारी सुन्दर प्रकृति बनायीं फिर भी खुश नहीं हुए उनको इन सब में कुछ न कुछ कमी महसूस हुई तब जाके उन्होंने मनुष्य की रचना की, और कहते है की भगवान् अपनी इस अपूर्व रचना पर इतने प... more »
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मैं कल रात उन दीवानों में थी मेरी नज़रें गुजरे ज़मानों में थी ये दिल घबराया ऊँचे मकाँ में बड़ा फिर सोयी मैं कच्चे मकानों में थी यूँ तो दिखती हूँ मैं भी शमा की तरहां पर गिनती मेरी परवानों में थी उसकी बातों पे मैंने यकीं कर लिया कितनी सच्चाई उसके बयानों में थी मेरे अपनों ने कब का किनारा किया मुझसे ज़्यादा कशिश बेगानों में थी क्या ढूंढें 'अदा' वो तो सब बिक गया तेरे
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पानी का इतिहास प्रवीण पाण्डेय at न दैन्यं न पलायनम्
कहते हैं कि पानी का इतिहास सभ्यताओं का इतिहास है, इस बहते पानी ने कितना कुछ देखा होता है, कितना कुछ सहा होता है। यही कारण रहा होगा कि स्वर्गीय भूपेन हजारिका गंगा को समाज में व्याप्त विद्रूपताओं के लिये उलाहना देते हैं, गंगा बहती हो क्यों? नदियाँ हमारे इतिहास की साक्षी हैं, पर इनका भी अपना कोई इतिहास है, यह एक अत्यन्त रोचक विषय है। इस विषय पर विद्वानों का ध्यान जाना स्वाभाविक है, यदि नहीं गया तो संभव है कि अगले विश्वयुद्ध की आग पानी से ही निकलेगी। मेरी उत्सुकता इस विषय में व्यक्तिगत है। यमुना नदी मेरे गृहनगर से बहती है। जब से यह ज्ञात हुआ है कि वहाँ बहने वाला पानी हिमालय का है ही नह... more »
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बहुत होगया अलबेला खत्री !!!....अब केवल क्षमा याचना, जो दे उसका भी भला- जो न दे उसका भी भला ...AlbelaKhatri.comatAlbelakhatri.com
* * * * * प्यारे मित्रो, बन्धुओ, स्वजनों और समस्त परिचितों/अपरिचितो ! विनम्र प्रणाम * * मुझे यह स्वीकार करते हुए अत्यन्त खेद और लज्जा के साथ साथ गहरे दुःख का अनुभव हो रहा है परन्तु सच कहने से पीछे नहीं हटूंगा कि अपनी तार्किक क्षमता अथवा अपरोक्ष अहंकार के चलते मैंने ब्लॉग्गिंग के इस मंच पर बहुत से ऐसे आलेख लिखे जो मुझे नहीं करने चाहिए थे. परन्तु इन्सान कितना भी चतुर क्यों न हो, भूल करता ही है . मुझसे भी भूलें हुईं और बहुतायत में हुईं. भले ही उनके पीछे मेरा मक़सद केवल सच का साथ देना था लेकिन विनम्रता के अभाव में वे सब आलेख मेरे लेखन पर काले धब्बों... more »
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ज़िन्दगी में पहले सी रवानी नहीं होगी डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"at "निरंतर" की कलम से.....
वक़्त से पहले ही साथी के साथ सफ़र अधूरा रह गया यादें सहारा, रोना साथी,बन गया वक़्त के साथ ये घड़ी भी कभी गुजरेगी फिर भी यादें दिल दिमाग पर दस्तक देती रहेंगी चैन से रहने नहीं देगी अकेलापन कचोटेगा बहारों में सुगंध ज़िन्दगी में पहले सी रवानी नहीं होगी,
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ब्रिटेन के वीजा के लिए टीबी की जांच जरूरी. Kusum Thakur at आर्यावर्त
ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। छह महीने की अवधि के लिए ब्रिटेन का वीजा चाहने वाले लोगों को अब टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) की जांच कराना आवश्यक होगा। दरअसल टीबीरोगियों के लिहाज से भारत समेत 66 देशों को उच्च जोखिम वाली इस श्रेणी में रखा गया है। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने सोमवार को यह घोषणा की। इसके मुताबिक टीबी की जांच और उसके बाद उपचार में आने वाला खर्च भी आवेदकों से ही वसूल किया जाएगा। देशों में यह टीबी स्क्रीनिंग कार्यक्रम जुलाई से अगले 18 महीनों में शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि फिलहाल यह जांच ब्रिटिश एयरपोर्ट पर की जाती है। इस नई प्रक्रिया के शुरू होते ही एयरपोर्... more »
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विदेशी नीतियों का विरोध Suman at लो क सं घ र्ष !
उर्वरको की घटती खपत * हिन्दी दैनिक बिजनेस स्टैंडर्ड के एक अप्रैल की सूचनाओं के अनुसार रासायनिक खादों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त अर्थात विनियंत्रित किए जाने के बाद से रासायनिक खादों के इस्तेमाल में खासी गिरावट हुई है |इस गिरावट का प्रमुख कारण रासायनिक खादों के इस विनिय्त्रण के बाद उनकी कीमतों में बार -- बार होती रही बढ़ोत्तरी रही है | समाचार पत्र की सूचनाओं के अनुसार यह गिरावट खासकर डी. ए. पी. ( डाई अमोनिया फास्फेट ) और एम् .ए. पी. (मोनो अमोनिया फास्फेट ) की खपत में हुई है | हालाकि यूरिया की कीमत में भी भारी वृद्धि हुई है पर चूकि अभी भी वह सरकारी नियंत्रण में है , इसलिए डी। ए .पी. ... more »
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यानिस रित्सोस : कर्त्तव्य मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते
*महान यूनानी कवि यानिस रित्सोस की एक कविता... * * * * * *कर्त्तव्य : यानिस रित्सोस * (अनुवाद : मनोज पटेल) * * सांझ के झुटपुटे में टिमटिमाता है एक सितारा किसी कुंजी के रोशन छेद की तरह तुम अपनी आँखें चिपका लेते हो उस पर -- भीतर नजर डालते हो -- हर चीज देखते हो तुम पूरी तरह रोशन है दुनिया बंद दरवाजे के पीछे तुम्हें उसे खोलने की जरूरत है :: :: ::
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उसमें इतनी गिरहें थीं कि खोलने वाला खुद उलझ जाता था Puja Upadhyay at लहरें
अजीब लड़की थी कि उसे चिट्ठियां लिखने की बीमारी थी...हर कुछ दिन में ऐसे छटपटाने लगती थी जैसे हवा में ओक्सिजेन खत्म हो गयी हो. कितना भी बातें कर ले...लिखे बिना उसका दिन नहीं मानता था. ऐसे में लगता था कि कोई उसका हाथ पकड़ के मरोड़ दे...कुछ ऐसे कि उँगलियाँ चिटक जायें...नील पड़ जाएँ और वह कलम न उठा सके. उसे सादा कागज़ यूँ खींचता था जैसे मरने वाले को मौत अपनी ओर...जैसे पहाड़ों का निर्वात अपनी ओर...घाटियों की गहराई छलांग लगा देने को पुकारती हो जैसे. फिरोजी सियाही...गुलाबी...नारंगी...हरा...उसे नीले और काले रंग से लिखना नापसंद था. उसने एक दिन आखिर परेशान होकर घर की सारी कापियों में आग लगा द... more »
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posted by शिवम् मिश्रा at हर तस्वीर कुछ कहती है ...(चित्र साभार :- श्री सतीश आचार्य एवं संता-बंता॰कॉम )
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अन्त में सबकी सुनानें के बाद अपनी भी सुनाता चलूं और सांड और इंसान के बीच का फ़र्क सभी को बतलाता चलूं.....
जय हिन्द
आपका देव
बढ़िया बुलेतिन ....शुभकाम्नायें...देव जी ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिक्स .. बुलेटिन की रेल को आगे बढाया जाए.....
जवाब देंहटाएंकी रेल अच्छी चल रही है.. बधाई बुलेटिन टीम....
बढ़िया लिंक्स, बढ़िया कार्टून्स, बढ़िया बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंआभार आपका!!
सभी लिंक्स आकर्षित कर रहे हैं .... अभी आपकी पसंद की प्रशंसा बाद में लिंक्स की ....रेल की रफ्तार अच्छी चल रही है ....
जवाब देंहटाएंजय हो देव बाबू खूब छाँट के लाएँ है आज आप लिंक्स हमारी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार ... जोरदार बुलेटिन लगाए है !
जवाब देंहटाएंये फील बेड माहोल यहाँ भी समाचारों में दिख रहा है..पर बुलेटिन गुड है.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार .....
जवाब देंहटाएंबाह बाह देव बाबा खूब सजाए हैं बुलेटिनिया आज का । बेहतरीन लिंक्स चयन । सच कह रहे हैं अब ई सोचा जाए कि अगिला दू बरस में क्या क्या हो सकता है
जवाब देंहटाएंसही है बुलेटिन!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिक्स...
जवाब देंहटाएंदेव जी ,
जवाब देंहटाएंआप के स्नेह के लिए ...
बहुत-बहुत शुक्रिया !
अत्यन्त पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंसादर