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शुक्रवार, 11 मई 2012

जस्ट वन लाइनर जी








आज वन लाइनर ही झेला जाए महाराज , लीजीए पेशे खिदमत है








कुण्ठाएं :- आखिर जन्म ले ही लेती हैं


अम्बेडकर के कार्टून पर संसद में हंगामा :- चलता रहे कोई डिरामा ,  रामा रामा


एक निवेदन :- किसे नहीं स्वीकार होगा


लगें नाचने मेरे गीत :- रहो नचाते मेरे मीत


मां का प्यार :- इस पर न्यौछावर संसार


फ़ुटकर चिप्पियां :- लहरों पर बहती हुई


हुस्नो-एहसान की बातें :- कितनी हैं काम की बातें


अंबेडकर के इस कार्टून में गलत क्या है :- इहे तो सब तलाश रहे हैं जी


क्या शहीदों ने इसी आज़ाद भारत का सपना देखा था :- अजी इसका देखा होता तो नींद उड गई होती न


कहीं आपकी फ़ोटो पोर्न साइट पर तो नहीं :- खतरनाक जानकारी है भाई , खुद ही देखिए


सआदत हसन मंटो को उनके १०० वें जन्मदिवस पर हमारा सलाम  :- हाय इस देश को भूले कितने नाम


अशोक उनका भाई था और मैं क्या था :-  आपने पढा क्या ,मेरे लिए तो किस्सा नया था


तो याद करना छोड दिया :- हाय किसने दिल को तोड दिया


मोहब्बत का फ़ूल :- सबसे अनमोल


मेरे दोस्त मैं एक बार मारना तो चाहता हूं :- एक्के बार काहे जी


जब से पत्थर इतने रंगीले हो गए :- हाय मारने वाले हाथ ही ढीले हो गए


क्या कल्कि अवतार ही आखिरी उम्मीद है :- हां त और का , अब तो महाप्रलय आने का भी कोई चांस नहीं है


अंबेडकर को ऐसे न लपेटें :- फ़िर उन्हें कैसे कहां समेटें


क्या तुम्हें पता है :- है तो भी बता ही डालिए जी


गंगा नहीं नहाऊंगा , बस क्लीन चिट चाहिए :  चिट लेके गंगा में डुबकी लगा लीजीए न जी 


दशक  के शुरूआत की एक श्रेष्ठ फ़िल्म -विकी डोनर :- अब आप कहते हैं तो देख आते हैं






अच्छा जी , तो कल तक की राम राम , आप बुलेटिन बांचिए और पोस्ट सब पर टहलिए ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. thanks ...


    Ye bahut accha hai itne sare blog ek sath padne ko mil jate hai

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  2. वाह जी झा जी आज तो पूरे मूड मे लगाएँ है बुलेटिन ... बहुत दिनो बाद दिखी आपकी यह एवर ग्रीन वन लाइनर ... जय हो महाराज !
    मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद !

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  3. @मेरे दोस्त, मैं एक बार मरना तो चाहता हूँ
    दीपक बाबा की बक बक

    मरकर ज़िंदा हो रहे, है हिम्मत का काम |
    डबल बहादुर हैं प्रभू , बारम्बार सलाम |
    बारम्बार सलाम, करे कुछ लोग तगादा |
    बीबी ढूँढे काम, दोस्त दस बाढ़े ज्यादा |
    बेटा डबल सवार, ढूंढता नया परिंदा |
    ठीक-ठाक परिवार, करो क्या होकर ज़िंदा ||

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  4. बहुत बढ़िया लाइनर सजाये हैं झा जी....मिजाज दुरुस्त हो गया ...

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  5. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  6. ब्लॉग बुलेटिन में रचना शामिल करने के लिए आभार ,सभी लिंक्स बेहद प्रभावशाली हैं...

    सादर

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