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रविवार, 29 अप्रैल 2012

जिंदगी की जद्दोजहद और ब्लॉग बुलेटिन

ब्लॉग बुलेटिन की 151वीं कड़ी के साथ आपका दोस्त  शाह नवाज़ एक बार फिर से हाज़िर है. हफ्ते भर प्लान बनाया था, कि इस बार के बुलेटिन में यह बात कहूँगा, वोह मुद्दा उठाऊंगा. मगर पूरा दिन मसरूफियात में यूँ ही गुज़र गया. सुबह से ही बैचेन था आप लोगो से रूबरू होने को, परन्तु जब आपके पास ब्लॉग पोस्टों के अपने पिटारे के साथ हाज़िर हुआ तो देखिये वक़्त इजाज़त नहीं दे रहा है. जब तैयारी पूरी की तो शिवम भय्या ने बताया की आउट पुट में गडबड है. गडबडी ठीक करने में कुछ ज्यादा ही समय लगा, जिसके कारण बहुत से लिंक छोड़ने पड़े, क्षमा चाहता हूँ........ 

पता नहीं ब्लॉगर की कमी है या अपनी. शायद अपनी ही होगी... ब्लॉगर नित नए प्रयोग कर रहा है और हम ठहरे वही पहले वाले. लगता है अपने आप को अब रोज बदलने का, अपडेट करने का समय आ गया है बंधू! 

सुबह फिर से ज़िन्दगी के जिहाद पर लगना है, ऑफिस के काम की फ़िक्र अभी से सताने लगी है. लोग कहते हैं कि हफ्ते के अंतिम दिन आराम मिल जाता है, पर सच कहूँ तो दिन चढ़ने के साथ-साथ बचे हुए कामों की फ़िक्र एक बार फिर से शुरू होने लगती है. क्या कहें ज़िम्मेदारी चीज़ ही ऐसी होती है, चैन लेने ही नहीं देती. 

चलिए ज़िन्दगी की जद्दो-जहद तो चलती ही रहेगी, आप ब्लॉग जगत की खट्टी-मीठी पोस्टों का आनंद लीजिये.


"छींटे और बौछारें" पर  पढ़िए
एक शाम कन्याकुमारी के नाम


कन्याकुमारी में विराट, अनंत समुद्र में से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने का अपना अलग अनुभव है. इन चित्रों से उस माहौल की कल्पना आप भी कर सकते हैं...




"काव्य मंजूषा" पर पढ़िए
ये कैसी नौकरी है जहाँ हर दिन की शुरुआत ही झूठ और फरेब से होती है....
कॉल सेण्टर में काम करने वाली एक नई युवा पीढ़ी की खेप की बाढ़ इन दिनों पूरे देश में आई हुई है ....पश्चिम के सुर में सुर मिलाते हुए और अंग्रेजियत का लबादा ...




"TSALIIM" पर पढ़िए
पानी के बिन जीवन कैसे सम्‍भव है ?

हालाँकि धरती का 70.87 प्रतिशत भाग पानी से घिरा हुआ है, बावजूद इसके धरती पर पीने के पानी का जबरदस्‍त संकट विद्यमान है। इसका मुख्‍य कारण यह है कि धरती पर उपलब्‍ध 97.5 प्रतिशत जल लवणीय है और मात्र 2.5 प्रतिशत जल पीने के योग्‍य है।

 "अनवरत" पर पढ़िए


वित्त मंत्री वाशिंगटन गए। वहाँ जा कर बताया कि प्रधानमंत्री बहुत मजबूत हैं। वे आर्थिक सुधार करने के लिए कटिबद्ध हैं (चाहे कुछ भी क्यों न हो)। उन्होंने ...


"मनोज" पर पढ़िए
भारतीय काव्यशास्त्र – 110


आचार्य परशुराम राय पिछले अंक में आलम्बन ऐक्य, आश्रय ऐक्य और विरोधी रसों का निरन्तरता के साथ वर्णन से काव्य में आए रसदोषों के परिह...




"नारी , NAARI" पर पढ़िए
ब्रेस्ट इम्प्लांट , इंडिया टुडे का कवर गैर जरुरी
ब्रेस्ट इम्प्लांट करना ना करना किसी का अपना अधिकार हैं जो उसको संविधान और कानून ने दिया हैं इस पर बहस करना फिजूल हैं अगर क़ोई एडल्ट हैं और ये करना चाहता ...



"सिंहावलोकन" पर पढ़िए
अकलतरा के सितारे


आजादी के बाद का दौर। मध्‍यप्रांत यानि सेन्‍ट्रल प्राविन्‍सेस एंड बरार में छत्‍तीसगढ़ का कस्‍बा- अकलतरा। अब आजादी के दीवानों, सेनानियों की उर्जा नवनिर्माण...



"न दैन्यं न पलायनम्" पर पढ़िए
उन्होनें साथ निभाया

दस दिन की यात्रा थी, पैतृक घर की। बहुत दिन बाद छुट्टी पर गया था अतः अधीनस्थों को भी संकोच था कि जब तक अति आवश्यक न हो, मेरे व्यक्तिगत समय में व्यवधान...




"मेरे गीत !" पर पढ़िए
मैंने तो मन की लिख डाली ( भूमिका मेरे गीत की )


*उर्मिला दीदी * *बचपन में दो साल की उम्र की धुंधली यादों में मुझे , मुझे २० वर्षीया उर्मिला दीदी की गोद आती है जो मुझे अपनी कमर पर बिठाये, रामचंदर दद्दा...


"शब्दों का सफर"  पर पढ़िए
लोबान की महक 


दुनिया में शायद ही कोई होगा जिसे खुशबू नापसन्द होगी । सुवास से न सिर्फ़ तन-मन बल्कि आसपास का माहौल भी महक उठता है । सुगन्धित पदार्थ की...





"अजित गुप्‍ता का कोना" पर पढ़िए
हम अक्‍सर “यूज” होते हैं
मानवीय रिश्‍ते एक-दूसरे के पूरक होते हैं। हर पल हमें एक-दूसरे की आवश्‍यकता रहती है। लेकिन कभी ऐसा लगता है कि फला व्‍यक्ति हमें यूज कर रहा है...



"स्पंदन SPANDAN" पर पढ़िए
उम्मीदों का सूरज
आज निकली है धूप बहुत अरसे बाद सोचती हूँ निकलूँ बाहर समेट लूं जल्दी जल्दी कर लूं कोटा पूरा मन के विटामिन डी का इससे पहले कि फिर पलट आयें बादल और ढक ...



"अंतर्मंथन" पर पढ़िए
फेसबुक ने बदल दी है ब्लॉगिंग की तस्वीर
लम्बे सप्ताहांत पर लम्बे सफ़र की लम्बी दास्ताँ जारी रहेगी . हालाँकि अभी दो दिलचस्प किस्त बाकि हैं . लेकिन अभी लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक . ब्रेक के बाद आपक...



"अपनी, उनकी, सबकी बातें"  पर पढ़िए
मुर्झाये उपवन में नन्ही कली का प्रस्फुटन (कहानी --10)


*(जया के कविता संग्रह को पुरस्कार मिलने पर पत्रकारों ने उसकी दर्द भरी कविताओं का राज़ पूछा .जया पुरानी यादों में खो गयी बचपन बड़े प्यार में बीता....बाबूजी...




"देशनामा"  पर पढ़िए
बिना शब्द की पोस्ट...खुशदीप



 इसे देखें, आप हिल जाएंगे...




"An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय"  पर पढ़िए
परशु का आधुनिक अवतार - इस्पात नगरी से [57]


माँ बाप कई प्रकार के होते हैं। एक वे जो बच्चों की उद्दंडता को प्रोत्साहित करते हैं जबकि एक प्रकार वह भी है जो अपने बच्चे की ग़लती होने पर खुद भी शर्मिन्दा...



"ज्ञानवाणी"  पर पढ़िए
मातृत्व की गरिमा बढ़ा देते हैं " पीले -पोमचे " ...राजस्थानी संस्कृति में परिधान (3)


प्रकृति द्वारा इस सृष्टि की सम्पूर्णता के लिए दिए गये अनुपम उपहारों में नर और नारी भी सम्मिलित हैं. प्रकृति ने ही उसी नारी को मातृत्व का सुख ,अधिकार और...




"धान के देश में!"  पर पढ़िए
किसी को नहीं पता कि घोटालों का रुपया आखिर कहाँ जाता है
घोटाले होते हैं, और उसके बाद उसकी जाँच होती है जो कि पच्चीसों साल तक चलती है। पच्चीस साल के बाद जाँच का यह यह निष्कर्ष आता है कि फलाँ दोषी नहीं पाया गया...




"कवि योगेन्द्र मौदगिल"  पर पढ़िए
२३ को नकोदर के कविसम्मेलन में रहा.. 
- २३ को नकोदर के कविसम्मेलन में रहा.. २६ को सूर जयंती के उपलक्ष में हो रहे कविसम्मेलन में फरीदाबाद रहूँगा.. आज यहीं मस्ती मारते हैं.. आप सब के साथ जाल-मंच ...





"उड़न तश्तरी ...."  पर पढ़िए
सेन फ्रेन्सिसको से कविता...


एक सप्ताह गुजर चुका है सेन फ्रेन्सिसको आये. एक सप्ताह होटल में और रहना है फिर एक किराये का अपार्टमेन्ट ले लिया है, उसमें शिफ्ट हो जायेंगे. नजदीक ही है. ३० ...





"मानसिक हलचल - Halchal.org"   पर पढ़िए
लिमिटेड हाइट सब वे (Limited Height Sub Way)
रेल की पटरियों को काटते हुये सड़क यातायात निकलता है और जिस स्थान पर यह गतिविधि होती है, उसे लेवल क्रॉसिंग गेट (समपार फाटक) कहा जाता है। समपार फाटक रेल (और ...



और अंत में....




"पाल ले इक रोग नादां..."  पर पढ़िए
नहीं मंजिलों में है दिलकशी, मुझे फिर सफर की तलाश है...


नहीं मंजिलों में है दिलकशी...न, बिलकुल नहीं ! मोबाइल के उस पार दूर गाँव से माँ की हिचकियों में लिपटे आँसू भी कहाँ इस दिलकशी को कोई मोड दे पाते हैं| क्यों...




इसी के साथ आज का बुलेटिन समाप्त करता हूँ, अगले बुलेटिन के साथ इंशाल्लाह एक बार फिर अगले हफ्ते मिलेंगे... 

तब तक के लिए खुदा हाफ़िज़

16 टिप्‍पणियां:

  1. 151 शुभ अंक ..... जैसे लगा लिंक्स न होकर कोई तौहफा मिला हो .... :)बधाई 151 blog-buleti केलिए और आभार 151 हमें देने के लिए .... !!

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  2. जीवन समय पर अपना अधिकार जताता रहेगा, इतने सुन्दर सूत्र हमको समय के परे ले जाते हैं।

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  3. बहुत खूब शाहनवाज़ भाई ... मस्त बुलेटिन लगाई है ... इतनी दिनो की गैरहज़ारी की पूरी कसर निकाल दी आपने ... जय हो !

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  4. बहुत सुन्दर लिंक्स लगाये हैं………शानदार बुलेटिन्।

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  5. बेहतरीन बुलेटिन.......................

    स्पष्ट खुली खुली प्रस्तुति...

    सादर.

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  6. एक अच्छी शुरुआत के साथ कई अच्छे लिंक्स से रू-ब-रू हुआ।

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  7. बहुत उम्दा लिंक्स दिए हैं .
    अच्छी पसंद .
    आभार .

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  8. बहुत बढ़िया बुलेटिन.लिंक्स भी अच्छे हैं.

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  9. लगता है बहुत दिनों के बाद कुछ फुरसत मिली है। ऐसा अच्छा अच्छा काम करते रहिए समय निकाल कर।

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  10. बेहद खूबसूरत पोस्ट कतरों से सजा हुआ बुलेटिन । शाहनवाज़ भाई , बह्तु ही सुंदर और सहेजनीय पन्ना । बहुत बहुत शुभकामनाएं

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!