ब्लॉग बुलेटिन पर ललित शर्मा का नमस्कार, हम हैं यहाँ एक दिन के मेहमान कलाकार, दो महीने पहले शिवम ने भेजा था ब्लॉग, हमारा पूरा नहीं हुआ भ्रमण राग। आज यहां तो कल वहाँ, न जाने कहाँ-कहाँ। कभी चक्के पर हम, कभी हम पर चक्का, परन्तु याद था एक दिन लिखेगें बुलेटिन पक्का। शिवम का मेल आया कल तो लगा खटका। सोचा कि अब नहीं लिखेगें बुलेटिन तो है खतरा। खतरे को टाल जाओ और एक बुलेटिन लिख जाओ। इस बुलेटिंग को खूंटी पर टांग कर, हम बढ लिए हैं आगे, जा रहे हैं लौहपथ गामिनी सहस्त्र चक्र वाहिनी में भागे। जब तब छपेगा बुलेटिन, हम कहीं दूसरी जगह सुर मिला रहे होगें सरगम के साथ ताक धिन धिन……… सुनिए आज की बुलेटिन ……जो चुनी है हमने ब्लॉग जगत से……
सफलता के लिए उद्यम – सम्राट अशोक उवाच - आज विश्व धरोहर दिवस है. अपने आसपास बिखरे धरोहरों को संरक्षित रखने में सहायता करें. सदियों पहले से विभिन्न राजाओं के द्वारा अपनी शौर्य गाथा के प्रचार के लिए... ढाई आखर - तुम्हारे कहने से शुरुआत करने बैठी हूँ एक नए अध्याय की . जीवन की स्लेट से पिछला सारा लिखा हटा कर,मिटा कर . बीता वक्त भूल बिसार कर . लेकर बैठी हूँ नयी किता... उमड़ घुमड़ घिर आए रे सजनी बदरा - मेहदी हसन साहेब की क्लैसिकल सीरीज़ जारी है. आज एक कम्पोजीशन - राग देस में एक पारंपरिक बंदिश.
धूलि दुर्ग: कोटगढ - कोटगढ अकलतरा से डेढ किलोमीटर पर उत्तर दिशा में स्थित है। है। बर्फ़ गोले की चुस्कियों के साथ काली घोड़ी के सवार कोट गढ की ओर बढते जा रहे हैं। मेरे पास अक... खार में भी प्यार है - वक्त के संग चल सके तो, जिन्दगी श्रृंगार है वक्त से मिलती खुशी भी, वक्त ही दीवार है वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंग... हिट होने का चक्कर ... - हिट होने के चक्कर में, उसने - एक सिपाही को बेवजह धक्का दे दिया मगर, हिट नहीं हुआ ! फिर मौक़ा मिला भृष्टाचार के मुद्दे पर - तहसील के बाबू को खूब खरी-खोटी सुन...पहली भेंट... - अचानक एक दिन ठिठके हम अनजान प्रांतर। देखा मैंने - गौर मुख, आँखें कुछ सिकुड़ीं स्वच्छ, रजत पात्र गंगाजल बीच शालिग्राम गौर ललाट, धूप गौर - झुठलाये जाते...
मीठे पत्ते में नाड़ा खारिज - भ्रष्टाचार से हमारे सम्बन्धों की दीर्घता, सामीप्य की सघनता और सान्द्रता को उजागर करनेवाला यह किस्सा भी सुरेशचन्द्रजी करमरकर ने लिख भेजा है। मैं अपनी ओर से...नायक या निर्णायक - नया मार्ग प्रस्तुत करना या निहित दोष बतलाना है, कर्म-पुञ्ज से पथ प्रशस्त या बुद्धि-विलास सिखाना है, नूतनता में उद्बोधित या वही पुराना चिंतन हो, निश्चय कर लो... यादों का हसीं कारवाँ....!!! - *मीठी यादोँ की याद * *सुहाना काम करती है ,* *गुज़रे गुनाहों की याद * *बड़ा परेशान करती है |* *--अकेला * * * *फिर भी .....* *यादेँ ...!!!* *याद करना ज़रूरी ...
कैसा रहेगा आपके लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 का दिन ?? - मेष लग्नवालों के लिए 18 , 19 और 20 अप्रैल 2012 को भाई , बहन , बंधु बांधवों का महत्व बढेगा , उनके कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता पड सकती है। ... घर छोड़कर जाता छोटू - जयपुर में हाल ही मे हुई एक घटना में माँ की डांट से व्यथित होकर दस साल के भाई और आठ साल की बहन ने घर छोड़ दिया। दोनों मासूम बिना सोचे समझे घर से निकल प... विषयवस्तु बनाम शब्द और दृष्टिकोण ! - पिछले दिनों प्रेम पर लिखने का निश्चय किया ! चिंतनशील मित्र कह उठे...इस उम्र में येविषयवस्तु आपको शोभा नहीं देती ! फिर सपनों को जमीन पे उतारना चाहा , क.
दोराहा, निश्चय और समंजस - कोई पैंतीस बरस हुए, बुआ की पुत्री के विवाह में जाते हुए रास्ते में दुर्घटना हुई और पिताजी के दाहिने हाथ की कोहनी में गंभीर चोट लगी। रेडियस अस्थि का ह... सुनामियों के मध्य ज़िन्दगी की पुकार (कहानी-- 8) - *(जया के कविता संग्रह को पुरस्कार मिलने पर पत्रकारों के इस सवाल ने 'उसकी कविताओं में इतना दर्द कहाँ से आया ?' उसे पुरानी यादों के मंज़र में धकेल दिया...ब...जोशीमठ यात्रा- देवप्रयाग और रुद्रप्रयाग - एक दिन विधान चन्द्र उपाध्याय का फोन आया कि नीरज, पांच और छह अप्रैल की छुट्टी है, कहीं चलते हैं। हालांकि मैं कुछ ही दिन पहले आगरा-सातताल-कार्बेट फाल का चक्क...
जंगल में मंगल -- फाईव इन वन ( भाग १ ) - श्री अरविन्द मिश्र जी की एक पोस्ट पर टिप्पणी देते हुए हमने लिखा था-- मंगल पर मंगल मनाने में तो पांच सौ साल लग जायेंगे। क्यों न अभी जंगल में ही मंगल मनाया ज...जहाँ प्रेम सत्कार हो - *युवा-शक्ति मिल कर करे, यदि कोई भी काम, मिले सफलता हर कदम, निश्चित है परिणाम। जिज्ञासा का उदय ही, ज्ञान प्राप्ति का स्रोत, इसके बिन जो भी करे, ज्ञानार्जन न ... मै जीना चाहती थी - जो लिख दिया एक बार मिटाया तो नही जा सकता... मै जीना चाहती थी हाँ लिखा भी था तुम्हे एक दिन मै जीना चाहती थी ज्यादा कुछ तो मांगा ही नही था बस चंद सांसे उध...
आज की बुलेटिन यहीं समाप्त होती है……… राम राम
बुलेटिन बढ़िया रही...एकदम ललित शर्मा स्टाइल में.
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन ललित जी...........
जवाब देंहटाएंजितने लिंक्स देखे ..सभी शानदार.....
बाकी भी अब देखते हैं.....
शुक्रिया आपका.
अनु
ललित जी,... बुलेटिन बढ़िया लगी ....
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
वाह वाह जी जय हो ..तरबूजों के नाश्ते का असर दिख रहा है ..बुलेटिन एकदम मीठा मीठा लगा । खूबसूरत पोस्टों का संकलन ललित भाई । आपका स्वागत और आभार
जवाब देंहटाएंशानदार बुलेटिन...बढ़िया लिंक्स संकलन...
जवाब देंहटाएंदनादन चल रही गोलियों की तरह ललित बाबू का बुलेटिन!!
जवाब देंहटाएंमेरे अनुरोध को इतना मान देने के लिए ललित दादा ... आपको को बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद ! मेरे लिए निजी तौर पर आपका यहाँ पोस्ट लगाना बेहद जरूरी था ... सब जानते है मैंने ब्लॉग पोस्टो की चर्चा करना ब्लॉग4वार्ता से शुरू किया ... ब्लॉग बुलेटिन तो काफी बाद मे आया है ! कुछ लोगो को यह संदेह था कि मेरे ब्लॉग4वार्ता से अलग हो जाने के बाद से आपके और मेरे बीच खटास आ गयी है ... आज के बाद उन अटकलो पर भी विराम लग जाना चाहिए !
जवाब देंहटाएंएक बार फिर आपको बहुत बहुत धन्यवाद और प्रणाम !
सफर मे होने के बावजूद इतने सारे उम्दा लिंको को हम सब के लिए इतनी खूबसूरती से पेश करना तो कोई आप से सीखे ! जय हो ललित दादा आपकी !
जवाब देंहटाएंललित जी ने बुलेटिन को नई ऊंचाई प्रदान की है।
जवाब देंहटाएंachhe links
जवाब देंहटाएंभाई बहुत सुंदर ब्लाग बुलेटिन है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स यहां मौजूद हैं..
भाई ललित जी हिंदी की गरिमा बनाएं रखें... लिंको....क्या है.
आपने लिखा तो और लोग भी उसी भाषा का इस्तेमाल करने लगे।
वड़ा ही संक्षिप्त और प्रभावी बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंआप तो चर्चा जगत के महान योद्धा है ललित भाई आपसे छुप कर कोई पोस्ट कर ही नही सकता:) बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी रचना शामिल की आपने।
जवाब देंहटाएंसादर
bahut badiya links ke sartha sarthak blog bulletin prastuti..
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