सभी मित्रों को देव बाबा की राम राम.... आईए बजट के बाद के इस पहले बुलेटिन में आम आदमी की नज्ब टटोलते हैं और सरकारी मशीनरी को लग गये जंग की भी बात करते हैं... सरकार लाचार है, बोलती है पैसा नहीं है, सर्विस टैक्स बढाना ज़रूरी है, सब्सिडी हटाना ज़रूरी है, पेट्रोल की ही तर्ज़ पर डीजल को भी डायरेक्ट मार्केट रेट से जोडे जाने की भी संभावना तलाशी जा रही है... मसलन आम आदमी के लिए राहत की कोई बात फ़िलहाल तो नहीं दिख रही। सरकार खुद में उलझी हुई है और उसकी इसी उलझन से जनता पशोपेश में है। ना मालूम कौन सा घटक कब घुडकी दे जाये और सरकार धराशाही हो जाये... इसी उलझन के बीच एक खबर आई सचिन के शतक की और उसके बाद बांग्ला देश के साथ मैच में भारत के हार की... मीडिया नें सचिन को अधिक तवज्जो दी और प्रणव के बज़ट पर सचिन का महा-शतक ही हावी दिखा। यह बदलता हुआ भारत है.... क्या कहियेगा..... फ़िलहाल टैक्स में मामूली छूट मिली, लेकिन वह राहत के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा समान ही है... एक दिन पहले सरकार पी-एफ़ की ब्याज दर घटाकर पांच करोड लोगों को ठेंगा दिखा चुकी थी और फ़िर आज के बज़ट से कुछ इसी तरह की उम्मीद थी। प्रणव दा नें भी उसी तर्ज़ में अपना बज़ट रख दिया... अब संसद उसे पास भी कर देगी, क्योंकि संख्या बल जुटानें में कांग्रेस को पुरानी महारत है।
चलिए बज़ट के कुछ आंकडो पर नज़र डालते हैं..... सरकार जहां आयकर छूट के कारण 4,500 करोड़ रुपये का नुकसान उठायेगी, वहीं अप्रत्यक्ष कर उपायों से 45,940 करोड़ रुपये कमा भी ले जायेगी... मतलब एक का दस ले जायेगी... यह नौ रुपये का अन्तर हमारी और आपकी जेब से जायेगा। मंहगाई की मार से पहले ही बेहाल जनता को और थोडा मार देगी और क्या.....
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आज वो हमें मनाने आये है डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"(Dr.Rajendra Tela,Nirantar)" at "निरंतर" की कलम से.....
आज वो हमें मनाने आये हैं अपनी बेवफाई की वजह बताने आये हैं ज़ख्मों पर मरहम लगाने आये हैं समझते हैं हम उनकी बातों में आ जायेंगे अश्क पोंछ कर उनकी बाहों में झूल जायेंगे भूल गए पहले भी कई बार वादे किये थे हमसे हर बार रोता छोड़ गए हमने भी तय कर लिया अब उन्ही के तीर से उन्हें मारेंगे हँस कर कह देंगे थोड़ी सी देर से आये हैं हम उनके रकीब को हाँ कर चुके हैं......
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ये सुलझाए नहीं सुलझते Dabral at उल्झे ख्याल ...
मन के उलझे हैं तार , सुलझाए नहीं सुलझते । ऐसी क्या उलझन होगी ? कि गिरह पे गिरह पड़ गयीं ? कभी बुझते कभी सुलगते, ये सुलझाए नहीं सुलझते । यादों के जालों से हैं तार , भीड़ से आते हैं बार बार । कौन सा सिरा पकडूँ , कौन सा छोडूँ ? सरसरी रेत से जलते , फिसलते, ये सुलझाए नहीं सुलझते । अरमानों की पतंगों को , मन की उमंगों को , अब कहाँ से डोर दूँ उनको ? सब तार रहते हैं उलझते , ये सुलझाए नहीं सुलझते । अक्षत डबराल "निःशब्द"
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1987 की एक और कविता शरद कोकास at शरद कोकास
*बचपन में अपने जन्मगृह बैतूल की वे शामें याद हैं जिनमें मेरे ताऊजी मुनिश्री
मदन मोहन कोकाश ,मकान के दालान में बैठकर रामचरित मानस का पाठ करते थे ।
मोहल्ले के लोग , उनके मित्र , और भी जाने कहाँ कहाँ से लोग आकर बैठ जाते थे
। कोई फेरीवाला , कोई भिखारी , कोई दुकानदार । सर्दियों के दिनों में अलाव भी
जल जाता था । बड़े होने पर रामकथा के पाठ का यह बिम्ब याद रहा और उसने इस तरह
कविता का रूप लिया ।अगर आप ध्यान से देखेंगे तो एक महत्वपूर्ण बात कही है
मैंने इस कविता में । *
*राम कथा *
*कम्बल के छेदों से *
***मदन मोहन कोकाश *
*हाड़ तक घुस जाने वाली *
*हवा के खिलाफ *
*लपटों को तेज़ करते हुए *
*वह सुन... more »
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शक की सूई ...संस्मरण... अदा at काव्य मंजूषा
बात
शायद आठ-दस साल पुरानी होगी...
मेरे माँ-बाबा मेरे पास कनाडा आये हुए थे...मेरा छोटा भाई सलिल, ओ.एन.जी.सी
में अधिकारी था, सिनिअर जीओलोजिस्ट, उसे पंद्रह दिन काम करना होता था और
पंद्रह दिनों की छुट्टी मिलती थी..उसकी पत्नी राधा और बच्चे रांची में ही
रहते थे...सलिल को बॉम्बे हाई के आयल रिग, जो हिंद महासागर में है...में
पंद्रह दिनों तक रहना पड़ता था...पंद्रह दिनों के लिए हेलीकाप्टर से रिग तक
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दिल्ली गान के रचयिता सुमित प्रताप सिंह संगीता तोमर Sangeeta Tomar at सुमित प्रताप सिंह
आदरणीय ब्लॉगर साथियो
सादर ब्लॉगस्ते!
* आ*पको पता है कि दिल्ली की स्थापना किसने की थी? नहीं पता? किताब-विताब
नहीं पढ़ते है क्या? चलिए चूँकि मैंने इतिहास में एम.ए.किया है, तो कम से कम
इतना तो मेरा फ़र्ज़ बनताही है, कि आप सभी को इतिहास की थोड़ी-बहुत जानकारी दे
सकूँ। आइए इतिहास के पन्नों की तलाशी लेते हैं। महाभारत युद्ध की पृष्ठ भूमि
तैयार हो रही है। कौरवों ने पांडवों को चालाकी से खांडवप्रस्थ देकर निपटा दिया
है। कौरवों के अन्याय को सहते हुए पांडवों ने अपने कठिन परिश्रम से
खांडवप्रस्थको इंद्रप्रस्थ बना दिया है। इस प्रकारइन्द्रप्रस्थ के रूप में
दिल्ली के पहले शहर की स्थापना हो चुकी ... more »
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भारत का रत्न – सचिन! मनोज कुमार at मनोज
*भारत का रत्न – सचिन!*
आज बजट आया। बहुत से सपने चूर-चूर हो गए।
आज ही सचिन ने शतक जड़ा। हमारे सपने पूरे हुए।
शतकों का शतक जड़ने के बाद सचिन ने कहा, “सपने देखो, उसका पीछा करो, सपने सच हो
सकते हैं। मुझे 22 साल लगे, विश्व कप को झोली में लाने का जो सपना देखा था …
उसे सच होने में! तो क्या हुआ, सच तो हुआ।”
सचिन ने करोड़ों भारतीय नवयुवक को सपने देखना सिखाया .. कि सपने देखो। .. वे सच
हो सकते हैं।
ज़्यादा क्या कहूं? देश का बच्चा-बच्चा सचिन की उपलब्धियों से वाकिफ़ है।
सच में सचिन भारत का रत्न है!
*सचिन तुझे सलाम!!*
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गुम क्यों हो....रश्मि at रूप-अरूप
उतरती धूप को विदा करने
आई शाम
रास्ता भूल आज मेरी
देहरी पर आ खड़ी हुर्इ्
और मुझे
अपनेआप में गुम पाकर
कहा.....
न किसी के जाने का दुख
न आने की खुशी
आम की बौर की तरह
आज तू क्यों बौराई है....
गुम है ऐसे जैसे
चली प्यार भरी पुरवाई है....
मदमाती हवा है इसलिए
महक रही है तू भीनी-भीनी
खुद पर इतराने वाली
ये याद रख कि
तू फूल नहीं बस मंजर है...
आज खिली-महकी है
कल सूख जाएगी.....
भौरों को पनाह देने वाली
कल न होगा कोई तेरे आसपास
पेड़ से टपक-टपक कर
धूल बन जाएगी......
इसलिए
हर सोच को कर खुद से परे
न कर 'खास' होने का गुमान
आज जो हैं बनते तुम्हारे
कल किसी को
तेरी याद भी नहीं आएगी......।
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वफ़ा ....... ***Punam*** at bas yun...hi....
* मरने की दुआ दे वो कोई अपना ही होगा,*
* दुश्मन को क्या खबर कि कहाँ जी रहे हैं हम !*
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* न जाने क्यूँ उठाते हैं हम तोहमतें उनकी,*
* जाने क्यूँ लफ्ज़-ए-ज़हर पिए जा रहे हैं हम !*
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* देते हैं वो दुहाई मुझे मेरी वफ़ा की,*
* उनकी ही बेवफाई पे हँसे जा रहे हैं हम !*
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* है इक सफ़र ये जिंदगी अब चल रहे हैं हम,*
* उम्मीद-ए-वफ़ा किसी से क्यूँ करेंगे हम !*
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* ... more »
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संतोष त्रिवेदी ने तेताला पर चर्चाभार बखूबी संभाला : हिंदी चिट्ठाजगत हुआ मतवाला अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़
पहचानें हर दिल अज़ीज कुलवंत हैप्पी को
जी हां
आप परिचित हैं
जिनका नाम है
संतोष त्रिवेदी
पर उन्हें संतोष नहीं है
अच्छा रचे बिना
सच्चा रचे बिना
वे विविध रंगी प्रयोग करने में रखते हैं यकीन
न हो विश्वास
तो क्लिक करें तेताला की नई पोस्ट
फलक ,राहुल और ग़ालिब !
और मान लें
स्वीकार लें
जैसा कि उपर्युक्त पोस्ट पर
अब तक 80 से ऊपर हिट्स
बतला रहे हैं
तेताला पर चर्चा को
ऊंचाईयां देने में
वंदना गुप्ता जी
और
संगीता स्वरूप जी का
अप्रतिम योगदान है
उन्होंने ऊंचाईयां दी हैं
संतोष जी सोपान पर पहुंचायेंगे
खूब आगे बढ़ायेंगे
आपको चर्चा के समन्वयकारी
चिट्ठे, माइक्रो ब्लॉगिंग, फेसबुक और ट्विटर के
... more »
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पर तुम रोना नहीं माँ ............. (KESAR KYARI........usha rathore...) at ज्ञान दर्पण
माँ ओ माँ ............श्श्श्श माँ ... ओ माँ ..
मै बोल रही हूँ .........सुन पा रही हो ना मुझे ...
अह सुन लिया तुमने मुझे ........
ओह माँ कितना खुबसूरत है तुम्हारा स्पर्श
बिलकुल तुम जैसा माँ .........
मेरी तो अभी आँखे भी नहीं खुली ... पर ..
तुम्हारी खूबसूरती का अंदाज़ा लगा लिया मैने
तुम्हारी दिल की धडकनों से ....
हा माँ तुम्हारा दिल
यही तो रहता है .. मेरे पास
उपरी मंजिल पर ....
धक् धक् धक् धक् ........ना जाने दिन भर कोनसी सीढिया चढ़ता रहता है
नाता है मेरा तुम्हारे दिल की इन धडकनों से ...
क्योकि उसका ही एक टुकड़ा मेरे अन्दर धडक रहा है
समझ सकती हु तुम्हारी बैचनी माँ
आखिर तुम्हारे दिल ... more »
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इस्मत की क़लम से......... वन्दना अवस्थी दुबे at अपनी बात...
*भारत के कई हिस्सों में बेटी के विवाह के समय एक कुप्रथा प्रचलित है, वर-पक्ष
के प्रत्येक सदस्य के वधु के पिता द्वारा चरण-स्पर्श. मैं बुन्देलखंड की हूं
और वहां ये प्रथा चलन में है. जब भी ऐसा दृश्य देखती हूं मन अवसाद-ग्रस्त हो
जाता है. पिछले दिनों मेरी परम मित्र **इस्मत ज़ैदी भी एक शादी में गयीं और इस
रस्म से दो-चार हुईं. पढिये उनकी व्यथा, उन्हीं की क़लम से-*
*कब जागेंगे युवा?????*
सारे मौसमों की तरह शादियों का भी एक मौसम होता है और उन दिनों घरों में
निमंत्रण पत्रों की बहार सी आ जाती है , हमारे यहाँ भी ऐसा ही होता है ,पिछले
कुछ दिनों में शादियों के कई निमंत्रण आए लेकिन सब से आवश्यक निमंत... more »
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चलिए फ़िर देव बाबा की तरफ़ से आप सभी को शुभकामनाएं.... आखिर में एक गज़ल की पंक्तियां याद आ रही हैं... की घर से निकले थे हौसला करके... लौट आये खुदा खुदा करके.... शायद मंहगाई की मार इस हद तक पड जाए की घर से निकलना दूभर हो जाये..... ..... सोचिए ज़रा....
जय हिन्द
देव बाबा
सह लीजिये, रह लीजिये..
जवाब देंहटाएंदिया कुछ नहीं,सिर्फ अँधेरे के सिवा,
जवाब देंहटाएंहम तो पैदाइशी मार ऐसी सह रहे !
बहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने ...आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहर तरह के लिंक्स
संदेशात्मक लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लिंकों की प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंफालोवर बनाने के ली आभार,...
MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
वाह बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंसार्थक शब्दों के साथ सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंजे बात देव बाबु की जय हो ... महाराज खूब संभालें हो बुलेटिन का मोर्चा ... जय हो ...
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