जब लोग इस्टेज पर एक्टिंग करता था, त उनको सिनेमा में काम करने वाला लोग भांड देखाई देता था. जब छा गया त लोग मान गया कि सिनेमा भी कला है. तब आया टेलीबिजन. लोग बड़ा पर्दा अऊर छोटा पर्दा का सामाजिक बिसमता पैदा करने का कोसिस किया. मगर “सत्यमेव जयते” के तरह टेलीबिजन आज सिनेमा से आँख मिलाकर बतियाता है अऊर कदम मिलाकर चलता है.
अइसहीं साहित्त लिखने वाला लोग सिनेमा में कोनो लिटरेचर हो सकता है, नहीं मानते थे. मगर आनंद मठ, देबदास, चित्रलेखा, गाइड बनने के बाद मान लिए अऊर फिर साहिर, मजरूह, नीरज, कमलेश्वर जईसा साहित्तकार लोग के सिनेमा में आ जाने से ऊ हो भेद मिट गया.
तब आया ब्लॉग. बड़ा साहित्तकार लोग को अपना इम्पोर्टेंस तनी कम होता नजर आया. जब सब कबी हो जाएगा त उनका कबिता कौन पढेगा. ब्लॉग में अच्छा-बुरा का बात त बाद में, ऊ लोग एक सिरा से सब ब्लोगर को नकार दिए अऊर फिर से ओही सामाजिक बिसंगति का दौर सुरू हो गया.
मगर विश्व पुस्तक मेला – २०१२, नई दिल्ली में २७ फरवरी के रोज ई दूरी भी समाप्त हो गया. ब्लोगर लोग के द्वारा लिखा गया कबिता संग्रह, इतिहास, ब्यंग्य, कथा-कहानी का किताब अऊर सब किताब का माने हुए साहित्तकार लोग के कर-कमल द्वारा बिमोचन. रश्मि दी, यशवंत माथुर, अविनाश वाचस्पति, अनुपमा त्रिपाठी, गुंजन अग्रवाल, राजेश उत्साही, जयदीप शेखर, एम्. वर्मा आदि के सर्जना को एगो मंच मिला. संजीव जी, मदन कश्यप, प्रेम जनमेजय, शेरजंग गर्ग जैसे साहित्कार लोग के हाथ से पुस्तक का लोकार्पण गरब का बिसय था ऊ सब लोग के लिए. हमरे लिए भी कुछ नया-पुराना ब्लोगर लोग से मिलने का अबसर था. मगर ई खास अबसर था इसलिए कि पहिला बार हमरी सिरीमती जी हमरे ब्लॉग जगत के लोग से मिलीं.
हमरे लिए त पर्दा गिरा, खेल खतम!! हम अपने दुनिया में बापस.. बाद में का हुआ, काहे हुआ, सही हुआ कि गलत हुआ कउन देखे. अऊर भी गम हैं जमाने में.. आप तो ई सब लिंक देखिये अऊर ब्लॉग-बुलेटिन के सेंचुरी पर हमरा टीम का पीठ थपथापाइए!!
++++
* और चलते-चलते गंगा की गोद में हरी सब्जियां
बढ़िया प्रस्तुती सलिल जी...
जवाब देंहटाएंशतक के लिए बधाई...
इन्तज़ार सचिक के शतक का था मार दिया सलिल ने...
:-)
शुभकामनाएँ..
सादर.
बहुत पते की बात कह दी है आपने ..कि छोटे बड़े लेखक का भेद मिटा दिया है ब्लॉग ने..पर यह बात पचती नहीं बहुतों को..और वो यहाँ वहाँ ब्लॉग लेखन पर छींटा-कशी करते देखे जा सकते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक अन्दाज़्।
जवाब देंहटाएंअरे! यहाँ करना है --हिप हिप हुर्रेऎऎऎऎऎऎऎ..........
जवाब देंहटाएंसलिल जी,ब्लॉग बुलेटिन १०० वी पोस्ट के लिए आपको तथा पूरी टीम टीम को बहुत२ बधाई शुभ कामनाए,....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,
NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...
अरे पता नहीं काहे लोग सचिन सचिन चिल्लाता रहता है ... सेंचुरी तो सलिल दादा मार रहे है आजकल ... जय हो दादा आपकी ... १०० वी पोस्ट पर ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और सब पाठको को बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसेंचुरी मुबारक हो सर!
जवाब देंहटाएंलिंक्स अभी देखते हैं।
सादर
बधाई हो .....जो लिखते थे लिखते हैं हैं , जिन्होंने लिखा है , जो पढ़ चुके, जो पढ़ रहे ........ बुलेटिन शतक जारी रहे
जवाब देंहटाएंआने वाले दिनों में ब्लॉग भी मुख्यधारा बनेगा..
जवाब देंहटाएंक्या बात है :) Congrats :)
जवाब देंहटाएंआउर ई लगा महासतक । धांय ,ढिशुम ,पटाक ..हुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र । जय हो प्रस्तावना में तगडा धोलाई किए हैं सर । ई तो आने वाला वक्त बताएगा कि ब्लॉग जगत की धमक से जौन लोग कान बंद किए बैठे हैं , उनके कान बंद करने से धमक ईको होकर और गूंजेगा और तब ...मुझसे नफ़रत करो या मुहब्बत ,मगर मुझे दरकिनार नहीं कर पाओगे ।
जवाब देंहटाएंबुलेटिन के सौवें अंक तक पहुंचने के लिए और इस दौरान , सभी साथी ब्लॉगरों द्वारा इसका साथ निभाने और इसे स्नेह प्रदान करने के लिए हमारी तरफ़ से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं । आने वाले दिनों में बहुत सारे प्रयोग आपको इस मंच तक खींच लाएंगे । इसी विश्वास के साथ
सलिल भाई खूबे आनंद आयो।
जवाब देंहटाएंमन मयूर नाच कर दिखाओ।
प्रकाशक का डांस भी भायो।
प्रकाशक ने सबका खूब नचायो।
नाच नाच कर गुम किया
सब ढूंढ रहे थे
इधर था अबी
अबी तुरत किदर गया।
बाद में अपने स्टाल पर
पुस्तक बेचते मिल गया।
असली धंधा किताब बेचना है
किताब बेचने से कौन करेगा मना है
।
पन भैया ब्लॉगर भाईयों को
चाय तो पिला दी होती
वे चाहते तो नहीं थे
पर कभी अनचाहे ही
अपना कमाल दिखा देते
।
यह क्या किया कि
रूमाल झाड़ कर दिखा दिया।
सौ वीं पोस्ट के लिए बधाई ...!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया बुलेटिन ...!!
शतक के लिए बधाई|बढ़िया बुलेटिन .|
जवाब देंहटाएंलोगबाग
जवाब देंहटाएंयहां भी भड़ास निकालेने से बाज नहीं आते हैं।
ब्लॉगरों की यही अदा तो हमें भाते हैं
बुलेटिन अच्छा जमा है
आपका अंदाज़ निराला है
जै जै.... सलिल दादा की....
जवाब देंहटाएंमहाशतक की बधाई.....
दूसरा शतक भी जल्द लगे...
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट...
बहुत-बहुत बधाई १००वीं पोस्ट पूरे होने के ... !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंBadhai 100 post ke liye
जवाब देंहटाएंhame aage bhi intjar rahega
shubkamnaye
बेहतरीन बुलेटिन ! खाते में शतक जोड़ने के लिये अनंत बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं