आज एक मेल आया। इनसे इतना ही परिचय है मेरा, और उनका भी कि उन्हें यह लिखना पड़ा …
“मनोज जी, आपका ई-मेल आईडी नहीं था सो पिछला मेल नहीं भेज सका... अभी अभी शिवम भाई से लिया....”
औरं संदेश इतना आदेशात्मक था, जिसमें एक प्रेम भी …
सोमवार : रश्मि दीदी
मंगलवार : शिवम भईया
बुधवार : मेहमान रिपोर्टर / मनोज जी
गुरुवार: अजय भईया
शुक्रवार : शाहनवाज़ भाई
शनिवार : देव
रविवार : सलिल दादा
अपना सुझाव प्लीज़ ज़रूर दीजिएगा....
-आपका देव
कि हम अपने को और रोक नहीं सके … और तुरत लिंक ढूंढ़ने निकल पड़े ..
हालाकि मैंने चर्चा से अपने को अलग रखने की सोच रखा था, पर इन झा जी को इंकार नहीं कर सका। पहले तो सोचा मेल से ही मना कर दूं, पर कर न सका …
झा जी आपका आग्रह ठुकरा न पाया, कितने दिनों तक कन्टीन्यू कर पाता हूं कह नहीं सकता।
चलिए शुरू करते हैं .. धीरेन्द्र जी बता रहे हैं क़ामयाबी के नुस्खे
हाथ बाँधकर बैठने से पहले सोच धीरेन्द्र
अपने आप कोई जिन्दगी संवरती नही,
गाँव की शान, सेहत की जान, आम लोगों को आसानी से आहार में मिलने वाले जिसकी गणना हरी पतेदार सब्जी में की जाती है, जो लौह तत्व और कल्स्शियम से भरपूर है हमारा पसंदीदा शाक ( साग ) जिसका नाम है बथुआ के क़ामयाब गुणों के बारे में यदि जानना चाहते हैं तो इसे अवश्य पढ़ें। प्रस्तुत कर रहे हैं डॉक्टर अनवर जमाल।
अनुपमा त्रिपाठी जी आई हैं घूँघट में मुखड़ा छिपाए .... लेकर।
हरी-हरी पतियाँ पीस-पीस,
असुंअन जल सींच सींच ,
महीन महीन मेहंदी कर लाये ..
हथेली सजाये ..
चलते चलते केवल राम जी हमें ले चल रहे हैं सार्थक ब्लॉगिंग की ओर और कहते हैं …
इंटरनेट ने दुनिया को एक क्लिक तक सीमित कर दिया और अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में हमें एक नायाब तोहफा दिया " ब्लॉगिंग " . आज दुनिया के तमाम लोग तरह - तरह के माध्यमों से एक - दुसरे से जुड़ रहे है . मानवीय भावनाओं को अभिव्यक्ति के नए साधन मिले हैं , इन साधनों ने मनुष्य में रचनाशीलता का जो संचार किया है वह कभी - कभी सोचने पर मजबूर करता है .
अपना पंचू, अरे अरे वही लोकेन्द्र सिंह राजपूत लगा रहे हैं सौ सुनार की एक लोहार की
तुम्हारा ही नाम लेकर रजनीश कर रहे हैं … इंतज़ार।
शिशुओं में आम है पीलिया यह जानकारी लेकर राधा रमण जी आए हैं स्वास्थ्य सबके लिए पर।
त्वचा और आँखों का पीला पड़ना गंभीर समस्या के लक्षण हैं। पीलिया में त्वचा का रंग बदलकर पीला हो जाता है। यह बदलाव सबसे ज़्यादा आँखों में दिखाई देता है, आँखों का सफेद हिस्सा पीला पड़ जाता है। लिवर में बिलिरुबिन नामक पिगमेंट के शरीर में एकठ्ठा होने से यह पीलापन दिखाई देने लगता है। सामान्य स्थिति में यह लिवर में बनने वाले बाइल के साथ आँत में पहुँचता है और मल के ज़रिए शरीर से बाहर निकल जाता है। रक्त में बिलिरुबिन पिगमेंट का स्तर बढ़ने पर या इसका निकास बाधित होने पर यह पीले रंग का पिगमेंट शरीर में इकठ्ठा होने लगता है, जिससे पीलिया हो जाता है। वयस्क या अधेड़ावस्था में पीलिया लिवर के क्षतिग्रस्त होने जैसी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।
अपनी आपबीती सुनाते हुए निखिल आनंद गिरी कहते हैं एक सूरज टूट कर बिखरा पड़ा है...
मखमली यादों की गठरी
पास उसके...
और कुछ सपने पड़े हैं आंख मूंदे....
ज़िंदगी की रोशनाई खर्च करके,
बेसबब नज़्मों की तह में,
चंद मानी भर गया है.....
एक शायर मर गया है....
ये सिर्फ़ दिल की बातें ही नहीं है यह है पापा! मुझे क्या बनना है .....(.लघुकथा) सुनील कुमार की
परिवार के सब लोग एक - दुसरे की और देख रहे थे कौन है वास्तविक अपराधी ? मै ,पिता जी, बुआ जी या मेरे संस्कार या एक संयुक्त परिवार की इच्छा .......मेरा तीन वर्ष का बेटा मेरी तरफ देख रहा था जिसकी आँखों में एक प्रश्न था पापा मुझे क्या बनना है .....
एस.एन. शुक्ल खोज रहे हैं मेरी कविताओं में (138) इन्सान कहाँ है ?
हिन्दू , ईसाई , सिख है , मुसलमान यहाँ है,
मैं खोजता रहा हूँ कि इन्सान कहाँ है ?
मज़हब हैं , जातियाँ हैं, जातियों में जातियाँ,
इन जातियों में आपकी पहचान कहाँ है ?
और अंत में शिप्रा की लहरें पर पढ़िए एक नचारी।
आज बस इतना ही। फिर मिलेंगे।
सादर,
मनोज कुमार
अच्छा बुलेटिन ... अच्छे लिंक्स मिले
जवाब देंहटाएंमनोज दादा,
जवाब देंहटाएंप्रणाम !
आपका बहुत बहुत आभार जो आपने आज यह पोस्ट लगा कर ब्लॉग बुलेटीन को एक नयी दिशा दी ... १३/११/२०११ को ब्लॉग बुलेटिन पर पहली पोस्ट आई थी ... तब से ले कर अब तक हर बार यही कहा है और कहता रहूँगा कि सब को साथ ले कर चलना है ... आप बड़े है ... जब आपने यहाँ बुलेटिन टीम के ईमेल को सब के सामने रखा है ... तो जरुर कुछ ना कुछ सोच कर ही रखा होगा ... और मुझे पूरी उम्मीद है इसमें भी हम सब का ही भला होगा ... कुछ बातें आपका अनुसरण करते हुए सब के सामने रख रहा हूँ ... वैसे मेरे लिए बहुत आसान था कि मैं इस पोस्ट को ही बदल देता ... इतना तो मेरे बस में था ही ... पर शायद वो बहुत बुरा होता ... कुछ पुराने जख्म हरे हो जाते ... इस लिए नहीं किया ... शुरुआत से ही आपको विनती करता आया हूँ कि आप बुलेटिन को अपना थोडा सा समय दें ... पर शायद आपके पिछले अनुभव कितने कडवे है कि आपने अपने इस छोटे भाई को हर बार सिर्फ़ और सिर्फ़ दिलासा ही दिया ... यह कभी भी नहीं बताया कि आपने खुद को चर्चा से अलग रखने का सोचा हुआ है ... एक बार कह कर तो देखते आप तो घर की बात खुले में ले आये ???
ब्लॉग बुलेटिन टीम में ५ admin है देव कुमार झा उनमे से एक है ... आज जो मेल आपको मिला है वो सब को भेजा गया था ... फॉर इन्टरनल सर्कुलेशन ...और उसमे यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि यह निर्णय हो चुका है ... कब कौन बुलेटिन लगाएगा ... साफ़ साफ़ कहा गया है कि "यदि इस पर सभी की आम राय हो तो बताएं" ... सब के विचार मांगे गए थे ... और बताता चलूँ अभी तक वो भी पूरे नहीं मिले है ... कुछ लोगो के जवाब आने बाकी है ! मैं नहीं जानता आपको क्या बुरा लगा पर अगर मैं गलत नहीं तो यह आपका अंदाज़ नहीं अपनी बात कहने का ... खैर कोई ना ... आपके अगले आदेश के इंतज़ार में ...
आपका अनुज
शिवम्
:)
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक ढूंढ निकाले हैं. बाकी कड़वे और मीठे अनुभवों का नाम ही जिंदगी है.
जवाब देंहटाएंबड़े ही अच्छे सूत्र...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्तम लिंक्स और उनकी प्रस्तुति बहुत अच्छी.... :) शांति बहुत बड़ी चीज होती है ,शिवम् भाई COOL.... :)
जवाब देंहटाएंनयका रिपोर्टर की धार तेज़ है .मनोज जी स्वागत और आभार आपका !
जवाब देंहटाएं@ शिवम जी,
जवाब देंहटाएंधत्त!
आपलोग भी कुछ से कुछ सोचने और अर्थ निकालने लगते हैं।
हम लोग उनमें से नहीं हैं जो ब्लॉग जगत के मेल, पोस्ट और टिप्पणी में इन बिट्वीन द लाइन्स लिखते आ ढूंढते हैं। एतना लंबा टिप्पणी लिख दिए जेतना में एगो पोस्ट हो जाता।
हमको पहले त समझे में नहीं आया कि ई किसका मेल आ गया है। एक बार त बिना पढ़े डिलिट भी कर दिए थे। फिर सोचे कि एक बार देख लेते हैं। जब समझ में आया त लगा कि अब और नहीं चलेगा। इसलिए लिख दिया एगो पोस्ट।
और उस मेल में ऐसन कोई बात नहीं था जिसे सार्वजनिक कर देने से कोई हानि हो। जेतना सार्वजनिक किए हैं ऊ पोस्ट लिखने के पहले भूमिका बनाने के लिए, ही किए।
ठीके कहे हैं विभा जी ... कूऊऊऊऊल!!
Sunder Links....
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..
ज़िन्दगी हंसने गाने के लिए है.... इसे खोना नहीं है और इसी तरह लिंक्स के जरिये चाय पार्टी होती रहे
जवाब देंहटाएंमनोज जी,...ब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत२ आभार,...सभी लिंक्स अच्छे लगे,..बधाई शुभ कामनाए....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति,...
MY NEW POST ...कामयाबी...
बेहद उम्दा बुलेटिन... मनोज जी आपका स्वागत है..
जवाब देंहटाएंब्लाग बुलेटिन तो लोगों को जोडनें का, हंसनें हंसानें का और ब्लाग जगत की खबर देनें का माध्यम है...
मुझे इतना मान देनें के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
बुलेटिन के शेड्यूल पर अंतिम निर्णय होनें के बाद ब्लाग पर सूचित कर दिया जायेगा....
बहुत बढ़िया..अच्छे लिंक्स है...आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन... सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
बहुत बढ़िया बुलेटिन... सुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या ...प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut achhi bulletin prastuti...aabhar!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स के साथ बढ़िया बुलेटिन सजाया है आपने!...
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